यूएपीए पर हाई कोर्ट की चिंता: दिल्ली कोर्ट ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार छात्र नताशा, देवंगना और आसिफ को दी जमानत

दिल्ली हाई कोर्ट ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने सरकार को कहा है कि किसी पर आतंकवादी का ठप्पा लगाने से पहले गंभीरता से विचार करें। अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि असहमति को दबाने के लिए इस कानून का इस्तेमाल किया गया।

दिल्ली कोर्ट ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार छात्र नताशा, देवंगना और आसिफ को दी जमानत

नई दिल्ली, एजेंसी। 
Delhi High Court ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने सरकार को कहा है कि किसी पर आतंकवादी का ठप्पा लगाने से पहले गंभीरता से विचार करें। अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि असहमति को दबाने के लिए इस कानून का इस्तेमाल किया गया। कोर्ट ने मंगलवार को कानून Unlawful Activities Prevention Act (UAPL) के तहत गिरफ्तार तीन छात्रों को जमानत देते हुए ये बातें कही। कोर्ट ने नताशा नरवाल (Natasha Narwal), देवंगना कलिता (Devangana Kalita)और आसिफ़ इकबाल तन्हा (Asif Iqbal)को जमानत दे दी है। पुलिस ने इन तीनों को बीते साल दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा मामले में साजिश के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार की नजर में विरोध के संवैधानिक अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच फर्क़ करने वाली रेखा कुछ धुंधली हो गई है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम बंबानी की बेंच ने कहा कि यूएपीए में आतंकवाद और आतंक  शब्द की परिभाषा कहीं पर नहीं दी गई है। अदालत ने यह भी कहा कि यूएपीए में आतंकवादी कृत्य की परिभाषा अस्पष्ट है और आकंतवादी कृत्य का इस्तेमाल किसी भी आपराधिक कृत्य के लिए नहीं किया जा सकता, ख़ासकर ऐसे कृत्यों के लिए, जिनकी परिभाषा पहले से अन्य क़ानूनों में तय है। अदालत ने कहा कि ऐसे में अदालत को यूएपीए के सेक्शन 15 में इस्तेमाल आतंकवादी कृत्य शब्दावली को इस्तेमाल करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए वरना इस बेहद घृणित अपराध की गंभीरता ख़त्म हो जाएगी।
यह है मामला
पिंजरा तोड़ की एक्टिविस्ट और जेएनयू की छात्राएं नताशा नरवाल, देवंगना कलिता और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को दिल्ली पुलिस ने बीते साल दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में गिरफ़्तार किया था। पहले दिल्ली पुलिस ने इन्हें 23 मई को गिरफ़्तार किया और फिर इन पर 29 मई को यूएपीए के तहत मामला दर्ज कर लिया गया। उस समय ये तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत पर थीं। आसिफ़ इक़बाल को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने 19 मई, 2020 को यूएपीए के तहत उस समय गिरफ़्तार किया गया था, जब पहले से ही वे सीएए और एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों के सिलसिले में दर्ज एक मामले में न्यायिक हिरासत में थे। इनकी ज़मानत याचिका पर फ़ैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य की नजऱ में विरोध के संवैधानिक अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच फर्क़ करने वाली रेखा कुछ धुंधली हो गई है।

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