United Global Peace Foundation: सेवा परमो धर्मः – युवाओं के सपनों को संबल देती एक सोच

बीकानेर का ऐतिहासिक लक्ष्मी निवास पैलेस आज एक नए उद्देश्य का साक्षी बना। जहाँ कभी शाही दावतें और राजनीतिक चर्चाएँ होती थीं, वहीं अब विचारों की ऐसी गोष्ठी हुई, जिसने न केवल सामाजिक चेतना को झकझोरा बल्कि युवाओं को आशा की एक नई रेखा भी दी।

सेवा परमो धर्मः – युवाओं के सपनों को संबल देती एक सोच

Bikaner | बीकानेर का ऐतिहासिक लक्ष्मी निवास पैलेस आज एक नए उद्देश्य का साक्षी बना। जहाँ कभी शाही दावतें और राजनीतिक चर्चाएँ होती थीं, वहीं अब विचारों की ऐसी गोष्ठी हुई, जिसने न केवल सामाजिक चेतना को झकझोरा बल्कि युवाओं को आशा की एक नई रेखा भी दी।

यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (यू.जी.पी.एफ.) के बैनर तले आयोजित इस संगोष्ठी का विषय था – "सेवा परमो धर्मः", यानी सेवा ही परम धर्म है। यह सिर्फ एक विषय नहीं था, बल्कि उस सोच का प्रतिबिंब था, जो समाज के हर उस वर्ग तक पहुँचने की कोशिश कर रही है जो अक्सर अवसरों की मुख्यधारा से दूर रह जाते हैं।

जब सपनों को मिलती है उड़ान

यू.जी.पी.एफ. के चेयरमैन श्री मेघराज सिंह रॉयल का यह कहना कि "अब आर्थिक स्थिति, प्रतिभा के पंख नहीं कतर सकेगी", न केवल भरोसा देता है, बल्कि उस चुप्पी को तोड़ता है जो आर्थिक अभाव में पलने वाली आकांक्षाओं के आसपास अक्सर छाई रहती है।

फाउंडेशन ने ऐसे छात्रों की जिम्मेदारी उठाने का संकल्प लिया है जो होनहार हैं लेकिन संसाधनों के अभाव में पीछे रह जाते हैं। चाहे शिक्षा हो या खेल, संस्था उनका साथ तब तक नहीं छोड़ती जब तक वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते।

आँकड़े नहीं, ज़िंदगी बदलती कहानियाँ

यू.जी.पी.एफ. के निदेशक शक्ति सिंह बांदीकुई ने जब यह बताया कि संस्था ने केवल 9 महीनों में 4 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता जरूरतमंद विद्यार्थियों, खिलाड़ियों और कन्याओं के विवाह आदि क्षेत्रों में दी है, तो यह केवल एक आँकड़ा नहीं लगा — यह उन सैकड़ों ज़िंदगियों की कहानी थी जो अब मुस्कुराना जानती हैं।

उन्होंने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की — "12वीं में 90% से अधिक अंक लाने वाले गरीब विद्यार्थियों को संस्था कोचिंग और हॉस्टल की सुविधा नि:शुल्क देगी।" आज जब निजी कोचिंग संस्थान आम विद्यार्थियों की पहुँच से बाहर होते जा रहे हैं, यह घोषणा उनके लिए संजीवनी से कम नहीं।

सेवा का विस्तार, नीतियों के साथ

संस्था की यह सोच भी सराहनीय है कि वह केवल सेवा के दायरे तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि नीति-निर्माताओं के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रम बना रही है जो युवाओं के लिए रोजगार गारंटी सुनिश्चित कर सकें। यह सोच आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

विचारों का मंच, अनुभवों की साझेदारी

कार्यक्रम में बीकानेर के सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण चेहरे उपस्थित थे — समाजसेवी सीताराम कच्छावा, नारी शक्ति संगठन की अध्यक्ष श्रीमती मधु खत्री, लोकप्रिय एंकर ज्योति रंगा, तीरंदाजी कोच अनिल जोशी, तथा विप्र फाउंडेशन के धनसुख सारस्वत। सभी ने अपने अनुभव साझा किए और युवाओं के लिए यू.जी.पी.एफ. की मुहिम को समर्थन देने का संकल्प लिया।

दृश्य और ध्वनि के माध्यम से विचारों की प्रस्तुति

गोष्ठी के दौरान यू.जी.पी.एफ. की एक परिचयात्मक फिल्म और पर्यावरण पर आधारित अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त डॉक्यूमेंट्री "धुन" का प्रदर्शन भी हुआ। इन फिल्मों ने विचारों को शब्दों से आगे जाकर दृश्य रूप में जीवंत कर दिया।

समापन, पर संदेश अमिट

कार्यक्रम का समापन एम.आर.एस. ग्रुप के निदेशक पीटर डीसा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। लेकिन यह केवल एक सभा का अंत नहीं था, बल्कि एक ऐसे विचार का आरंभ था, जिसमें हर वह युवा शामिल हो सकता है जो सपने देखता है और उन्हें पूरा करना चाहता है।

आज जब दुनिया प्रतिस्पर्धा और बाजारवाद की दौड़ में उलझी है, ऐसे में "सेवा परमो धर्मः" जैसे विचारों की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक है। और जब ऐसे विचारों को संस्थागत रूप दिया जाए, तो वे केवल शब्द नहीं रह जाते — वे क्रांति बन जाते हैं।

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