नहीं रहे बीकानेर के 'रवि राज': बीकानेर के महाराजा रविराज सिंह का निधन, इनके दादा ने भूदान कर दी थी लाखों बीघा जमीन

बीकानेर राज परिवार के लिए इस साल लगातार यह तीसरी बड़ी शोक खबर है। सबसे पहले जनवरी माह में महाराजा गंगा सिंह की पोती महारानी डूंगरपुर श्रीमती देवकुमारी धर्मपत्नी महारावल साहब महिपाल सिंह डूंगरपुर का निधन हो गया था। इसके बाद फरवरी माह में राजपरिवार के मुखिया बृजराजसिंह का निधन हो गया। 

बीकानेर के महाराजा रविराज सिंह का निधन, इनके दादा ने भूदान कर दी थी लाखों बीघा जमीन

जयपुर | बीकानेर के पूर्व राज परिवार के महाराजा रवि राज सिंह का मंगलवार को हृदयगति रुकने से निधन हो गया। वे ​45 वर्ष के थे। रविराज सिंह ने मेयो कॉलेज अजमेर से स्कूल एजुकेशन  किया था। ये महाराजा गंगासिंह के पोते महाराज अमरसिंह के पौत्र थे, जिन्होंने भूदान आन्दोलन से प्रभावित होकर अपनी लगभग पूरी सम्पत्ति ही दान कर दी थी। उनके नाम दो लाख 84 हजार बीघा जमीन भूदान करने का रिकार्ड रहा है।

कानेर के लोगों में इस समाचार के बाद शोक छा गया। बीकानेर राज परिवार के लिए इस साल लगातार यह तीसरी बड़ी शोक खबर है। सबसे पहले जनवरी माह में महाराजा गंगा सिंह की पोती महारानी डूंगरपुर श्रीमती देवकुमारी धर्मपत्नी महारावल साहब महिपाल सिंह डूंगरपुर का निधन हो गया था। इसके बाद फरवरी माह में राजपरिवार के मुखिया बृजराजसिंह का निधन हो गया।  बृजराजसिंहजी का ननिहाल बीकानेर का राज परिवार था। वे महाराजा गंगासिंहजी की छाेटी बेटी सुशीलाकुमारी के बेटे थे।

Photo Ravi Raj Singh HH Bikaner

अब रवि राज सिंह के निधन की खबर से हर कोई स्तब्ध है। रविराज सिंह मिलनसार और सीधे—सरल व्यक्तित्व के थे। दो अप्रैल को उन्होंने बूंदी में महाराव राजा वंशवर्धनसिंह के राजतिलक कार्यक्रम में शिरकत की थी। इसके बाद पांच अप्रैल को उनका जन्मदिन था। अपने फेसबुक पेज पर उन्होंने रामनवमी की बधाई भी दी थी। रविराज सिंह के मित्र महाराव राजा बूंदी वंशवर्धन सिंह ने बताया कि 11 अप्रैल को ही एक मित्र के माध्यम से उनसे फोन पर बात हुई थी। उनका अचानक चले जाना स्तब्ध करने वाला है।

Photo : Maharaj Amar Singh of Bikaner

प्रोफेशनल बैंकर थे
मेयो कॉलेज में पढ़े रविराज सिंह एक बैंकर रहे हैं। एक प्रतिष्ठित बैंक में उन्होंने प्रशासनिक पद पर सेवाएं भी दी। 24 अप्रैल 2004 को  बीकानेर के धन्नी मठ में आपका राजतिलक किया गया। आपका विवाह महाराष्ट्र में धुले जिले की दोंदेचा रियासत के सिसोदिया रावल की पुत्री शिप्रा कुमारी से हुआ था।

अमरसिंह जी के पोते थे

रवि राज सिंह के दादा महाराज अमरसिंह महाराजा करणी सिंहजी के छोटे भाई थे। रविराज के पिता का नाम महाराज चन्द्रशेखर सिंह हैं। महाराज अमर सिंह ने विनोबा भावे को करीब दो लाख  बीघा भूमि दान में दी थी। हालांकि आज के राजनेता इसका जिक्र तक नहीं करते। वसंती श्रीनिवासन की पुस्तक Hindu Spirituality and Virtue Politics में उल्लेख करती हैं कि कई भूस्वामियों ने यह किया, लेकिन बीकानेर के महाराज अमर सिंह ने छतरगढ़ की करीब 2 लाख 84 हजार 500 बीघा भूमि विनोबा भावे को दान कर दी थी। यह भूदान में सर्वाधिक था।

छत्तरगढ़ में शोक की लहर

वो बीकानेर के छतरगढ़ इलाके से थे। छतरगढ़ कस्बे सहित इलाके भर में शोक की लहर छाई वे बाजार भी बंद रहा। छतरगढ़ कस्बे के उनके दादा अमर सिंह ने राजस्थान भूदान यज्ञ बोर्ड को आचार्य संत विनोबा भावे को देश का सबसे बड़ा भूदान किया था, इस भूमि पर छतरगढ़ तहसील की 4 ग्राम पंचायतें व करीब 60 से अधिक चक, करीब 2 दर्जन से अधिक आबादी, 6000 किसान कृषि भूमि प्राप्त कर भूमिहीन से खेतिहर किसान बने थे। छतरगढ़ की कुल करीब 50 हजार से अधिक जनसंख्या इन 4 ग्राम पंचायतों में महाराजा अमर सिंह द्वारा दान दी गई भूमि पर जीवन यापन कर रहे हैं। जिससे इलाके भर के किसानों द्वारा आज महाराजा अमर सिंह के पौत्र महाराजा रविराज सिंह के निधन का समाचार मिलते हैं शोक में डूब गया।

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