रसूखदार को राहत-आमजन हो रहा आहत: नियमों के फेर में उलझ रही आम आदमी की इजाजत, अब सुलग रही विरोध की चिंगारी

माउंट आबू कहने को पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यहां नए निर्माण पर रोक है। इसी नियम की आड़ में आम आदमी अब पिस रहा है। होटल मालिकों को तो निर्माण की इजाजत मिल रही है, जबकि आमजन को नियमों की आड़ में निर्माण से रोका जा रहा है। सरकार की दोहरी नीति के कारण आमजन अब धरना-प्रदर्शन के साथ विरोध की आड़ ले रहा है।

नियमों के फेर में उलझ रही आम आदमी की इजाजत, अब सुलग रही विरोध की चिंगारी
Mount Abu Illegal or Legal Construction

सिरोही। आम आदमी को जीवन जीने के लिए क्या चाहिए। एक अदद छत, पेट में रोटी और पीने के लिए शुद्ध पानी। पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू में पेट में रोटी और पीने के लिए शुद्ध पानी की जरूरत तो पूरी हो रही है, लेकिन सिर पर सजी छत को मरम्मत की दरकार होने पर उसे ठीक कराने के लिए निर्माण की अनुमति नहीं मिल रही है।

इस कारण अब पालिका प्रशासन, राज्य सरकार और स्वायत शासन विभाग के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर है। ताजा मामला हीना रिजोर्ट का है, जिसे निर्माण की अनुमति देने के विरोध में शहर के एक जरूरतमंद विजयकुमार अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए हैं।

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कोई अगर यह कहे कि एक अकेला व्यक्ति सिस्टम से कैसे लड़ सकता हैं तो इसका जवाब दुष्यंत कुमार सालों पहले ही एक अकेला चला था जानिबे मंजिल की ओर, लोग जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया से दे चुके हैं। 

हिल स्टेशन माउंट आबू में नगर पालिका व प्रशासन की ओर से भवन मरम्मत की अनुमति को लेकर दोहरी नीति अपनाने के चलते यहां के मूल निवासी अब सड़कों पर उतरने को मजबूर है। रसूखदारों को महत्व देने व जरूरतमंदों को दरकिनार करने के कारण न केवल पालिका का साख दांव पर लग रही है, बल्कि इससे आमजन के आशियाने का सपना टूट रहा है।

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हीना रिजोर्ट को निर्माण की अनुमति सिर्फ इसलिए दे दी गई, क्योंकि सरकार को नियमों को दरकिनार कर अपने लोगों को ऑब्लाइज करना था। यह भी तब जब आबू-पिण्डवाड़ा विधायक, नगर कांग्रेस कमेटी, जिला कांग्रेस कमेटी अपने पत्रों में हीना रिजोर्ट की जमीन को विषम भौगोलिक परिस्थितियों में मान चुके हैं।

दूसरा पहलू यह है कि पीढि़यों से यहां रह रहे लोग निर्माण और पुर्ननिर्माण की अनुमति के लिए सारे दस्तावेज सही होने के बावजूद चक्कर काटने को विवश है। इसी मामले को लेकर अब विजयकुमार अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठकर जिला प्रशासन, सरकार और डीएलबी की आंखें खोलने का जतन कर रहे हैं।

विजय कुमार कहते हैं कि वे केवल साढे तीन सौ फीट पर मंजूरी मांग रहे है। लेकिन, नहीं दे रहे है। एक साल से चक्कर काट रहे है, लेकिन निर्माण की मंजूरी नहीं मिल रही है। 

mount abu businessman on strike

माउंट आबू कहने को पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यहां गुजरात-राजस्थान समेत कई प्रदेशों से सैलानी मनोरंजन के इरादे से कुदरती सौंदर्य का साक्षात करने आते हैं। यहां नए निर्माण पर रोक है। इसी नियम की आड़ में आम आदमी अब पिस रहा है। होटल मालिकों को तो निर्माण की इजाजत मिल रही है, जबकि आमजन को नियमों की आड़ में निर्माण से रोका जा रहा है।

सरकार की दोहरी नीति के कारण आमजन अब धरना-प्रदर्शन के साथ विरोध की आड़ ले रहा है। विजयकुमार कहते हैं कि माउंट में 2019 का बॉयलाज लागू है। उच्चतम न्यायालय और एनजीटी का हवाला देकर रोका जा रहा है। हीना रिसोर्ट को पांच मंजिल की मंजूरी दे दी।

नाले पर निर्माण होने के बावजूद नियमविरूद्ध सील खोल दी। प्रभावशाली व्यक्ति को नियम विरुद्ध स्वीकृति दी जा रही है। जबकि आम आदमी नियमों के अनुरूप स्वीकृति मांग रहा है तो भी नहीं मिल रही है।

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हाल ही में प्रभावशाली व्यक्ति हीना रिसोर्ट को नियम विरूद्ध कानून को ताक पर रखकर सम्पूर्ण भूखंड विनियमों का उल्लंघन कर बिना सेटबैक छोड़े 100 प्रतिशत पर पांच मंजिला निर्माण करने की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। आम आदमी की मांग है की उन्हें नियम अनुसार पट्टा शुदा भूमि पर 2019 के मानदंडों अनुसार निर्धारित जोन के अनुसार स्वीकृत दें।

आरोप है कि हीना रिजोर्ट का मालिक कांग्रेस कार्यकर्ता है, इस कारण राजकीय भूमि पर किये गए अतिक्रमण और उसके पश्चात उस पर किये गए अवैध निर्माण को शुल्क लेकर संशोधित मान चित्र जारी करने के आदेश दे दिये गए।

सरकार ने हीना रिसोर्ट को संशोधित मानचित्र स्वीकृति करने के आदेश संख्या 53645 दिनांक 19 अप्रैल 21 में विनियम 2019 लागू होना नहीं मानते हुए उसी विनियम का हवाला देकर 6 जुलाई 22 को शुल्क जमा कर संशोधित मानचित्र जारी करने का आदेश प्रदान किया है।

जबकि आबू की जनता जब स्वीकृति लेने जाती है तो उसे यह कह कर मना किया जाता है कि विनियम 2019 लागू नहीं है। या तो उस पर उच्च न्यायलय का स्थगन आदेश है या फिर एनजीटी के आदेश 10 मार्च 2021 का हवाला देकर वापस भेज दिया जाता है।

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