राजस्थान में पानी पर राजनीति : भाजपा सरकार के जलदाय मंत्री पेयजल संकट को दूर करने के लिए कर रहे है औचक निरीक्षण, कांग्रेसी नेताओं ने निरीक्षण पर उठाए सवाल, इन हालात के जिम्मेदार कौन ?
प्रदेश में पेयजल संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। पेयजल संकट को दूर करने की बजाय जलदाय मंत्री कभी अनर्गल बयान दे रहे है तो कभी पीएचईडी कार्यालयों के औचक निरीक्षण कर रहे हैं। ऐसे में विपक्ष की ओर से जलदाय मंत्री की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठा रहे है
जयपुर।प्रदेश में भीषण गर्मी का दौर जारी है। मौसम विभाग लगातार अलर्ट जारी कर रहा है। ऐसे में प्रदेश में पेयजल संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। पेयजल संकट को दूर करने की बजाय जलदाय मंत्री कभी अनर्गल बयान दे रहे है तो कभी पीएचईडी कार्यालयों के औचक निरीक्षण कर रहे हैं।
ऐसे में विपक्ष की ओर से जलदाय मंत्री की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठा रहे है। मंगलवार को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्यपाल से मिलकर प्रदेश के पेयजल और बिजली संकट पर सरकार के मंत्रियों से समाधान करने की मांग की।
भाजपा सरकार के जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने औचक निरीक्षण कर अधिकारियों को निर्देशित किया। चौधरी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी प्राप्त शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाए।
उन्होंने कर्यालय में मौजूद स्टाफ के सम्बन्ध में जानकारी लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि शिकायतों के शीघ्र एवं प्रभावी निस्तारण के लिए पर्याप्त स्टाफ को लगाया जाए।
जलदाय मंत्री चौधरी ने कहा कि भीषण गर्मी के इस दौर में प्रदेश में आमजन तक पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है।
वरिष्ठ अभियंताओं को फील्ड में जाकर पेयजल आपूर्ति की स्थिति जांचने के निर्देश दिए गए है।
वहीं दूसरी ओर डोटासरा ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा कि प्रदेश की जनता पानी और बिजली की समस्या से परेशान हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई जिम्मेदारी भरा बयान नहीं आया।
वहीं जलदाय मंत्री औचक निरीक्षण कर रहे है लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं आ रहा। ऐसे में राज्यपाल से मिलकर आग्रह किया है कि जनता को तुरंत राहत प्रदान करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देशित करें।
वहीं पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी सोशल मीडिया पर जलदाय मंत्री के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया। गहलोत ने कहा कि राजस्थान में जल संकट हर गर्मियों में आता है परन्तु पहले से प्लानिंग कर इसे आसानी से हल किया जा सकता है। प्रदेश में छह महीने से सरकार में होने के बावजूद पेयजल समस्या पर कोई योजना नहीं बनाई गई। यह सरकार की बड़ी लापरवाही है।
वहीं पेयजल मंत्री पेयजल सप्लाई सुनिश्चित करने की बजाय गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी कर रहे हैं। अगर वे जनता की समस्या का समाधान नहीं कर सकते तो सीएम से विभाग बदलाव करवा लें।
पेयजल और बिजली संकट में राज्य सरकार, PHED विभाग, बिजली विभाग, जिला प्रशासन, नगरीय एवं पंचायतीराज निकाय सभी की जिम्मेदारी थी कि पहले से योजना बनाई जाती एवं आकस्मिक परिस्थितियों से भी निपटने की तैयारी की जाती लेकिन सरकार की ओर से ऐसा नहीं किया गया।
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