सनातन पर विद्वानों के विचार: Navonmesh Foundation ने किया सनातन 2047 की थीम पर वैचारिक महाकुंभ ''टॉक फेस्ट'' का आयोजन, राज्यपाल बागड़े ने किया उद्घाटन, शिव शंकर शर्मा और महेंद्र शर्मा लिखित पुस्तक "दिग्विजयी हिंदुत्व" का विमोचन

भगवान श्रीराम ने सीमा की रक्षा के लिए उत्तर पश्चिम सीमा पर विदेशी आक्रांताओं को रोकने के लिए चौकियों की स्थापना की, क्योंकि उन्हें पता था आक्रमण वहीं से हो सकता है। यही कार्य हमारे महान राजाओं ने किया, लेकिन इतिहास को गलत तरीके से लिखकर ऐसे राष्ट्र नायकों को भुलाया जा रहा है।

Navonmesh Foundation ने किया सनातन 2047 की थीम पर वैचारिक महाकुंभ ''टॉक फेस्ट'' का आयोजन, राज्यपाल बागड़े ने किया उद्घाटन, शिव शंकर शर्मा और महेंद्र शर्मा लिखित पुस्तक "दिग्विजयी हिंदुत्व" का विमोचन

जयपुर, 22 दिसंबर। नवोन्मेष फाउंडेशन, जयपुर का वैचारिक महाकुंभ ’’टॉक फेस्ट’’ रविवार को होटल क्लार्क्स आमेर में संपन्न हुआ। चार सत्रों में सम्पन्न हुए कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने किया और उद्घाटन सत्र सक्सेस को संबोधित भी किया।

इस सत्र की अध्यक्षता पूर्व सांसद रामचरण बोहरा ने और संचालन नवोन्मेष के समन्वयक युगल किशोर शर्मा ने किया। इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस दौरान राम माधव ने शिव शंकर शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक दिग्विजय हिंदुत्व का विमोचन भी किया।

सनातन 2047 की थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में ’’सक्सेस मंत्र@सनातन, नारायणी@सनातन, सनातन@2047 और भारत द ग्लोबल लीडर@2047’’ सत्र हुए। प्रथम सत्र का संचालन महेन्द्र शर्मा ने किया तथा प्रखर वक्ता कपिल मिश्रा और विख्यात शिक्षक राजवीर सिंह चलकोई ने संबोधित किया।

द्वितीय सत्र संचालन संगीता प्रणवेन्द्र शर्मा ने किया तथा न्यूज एंकर रूबिका लियाकत, लेखिका शैफाली वैद्य एवं सहायक प्रोफेसर डॉ. अनामिका पूनियां ने संबोधित किया तृतीय सत्र का संचालन शिवशंकर शर्मा ने किया तथा आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर, प्रख्यात अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय एवं दलित चिंतक गुरुप्रकाश पासवान ने संबोधित किया और अध्यक्षता एस एस अग्रवाल ने की।

चतुर्थ सत्र का संचालन पत्रकार प्रताप राव ने किया, सामाजिक नेता एवं लेखक राम माधवन ने संबोधित किया और अध्यक्षता युगल किशोर शर्मा ने की।

प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए कपिल मिश्रा ने बताया कि सनातन की सफलता तभी कहलाएगी जब कोई सनातनी भूखा न सोए, हमारी बहिन बेटियां सुरक्षित रहें। अभी मस्जिद खोदकर मंदिर ढूंढने पर विवाद चल रहा है, लेकिन संभल में तो बिना खोदे ही मंदिर मिल रहा है।

कांग्रेस सरकार के शासन में हमें मनगढ़ंत इतिहास पढ़ाया गया। अकबर को महान बताया, लेकिन वास्तविक नायकों को भूला दिया गया। हमें स्वावलंबी युवाओं को प्रेरित करने की आवश्यकता है।

वक्ता प्रख्यात शिक्षक राजवीर सिंह ने कहा कि भारत के भूगोल और इतिहास का वास्तविक ज्ञान युवाओं को होना चाहिए। भगवान श्रीराम के शासन का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने अपने सीमा की रक्षा के लिए उत्तर पश्चिम सीमा पर विदेशी आक्रांताओं को रोकने के लिए चौकियों की स्थापना की, क्योंकि उन्हें पता था आक्रमण वहीं से हो सकता है।

यही कार्य हमारे महान राजाओं ने किया, लेकिन इतिहास को गलत तरीके से लिखकर ऐसे राष्ट्र नायकों को भुलाया जा रहा है। 

द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए वक्ता शैफाली बैद्य ने बताया कि नारी पर अत्याचार सनातन की प्राचीन अवधारणा में कहीं नहीं था। हम अपनी ऐतिहासिक नायिकाओं को भूल चुके हैं। सावित्री की कहानी का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने यमराज को अपने तपोबल और तर्क से परास्त कर अपने पति का जीवन बचाया था।

देश में स्त्रियों ने अपने पति के स्मरण में कई मंदिर का निर्माण करवाया। विदेशी आक्रांताओं और ब्रिटिश शासकों ने सनातन संस्कृति की नारी संबधी अवधारणा को गलत तरीके से प्रचारित किया। हमें बच्चों को प्राचीन परम्पराओं और कहानियों से अवगत करवाना चाहिए। 

रुबिका लियाकत ने बताया कि सनातन सबकी परम्परा है। देश की सनातन संस्कृति में नारी का सम्मान दिखाई देता है। सनातन में धन, बुद्धि और ताकत के लिए मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां दुर्गा की उपासना की जाती है। यह अर्धनारीश्वर का देश है। अहिल्या बाई होलकर की वजह से आज नारी टीका लगा पा रही है। तीर्थ दर्शन कर पा रही है।  

अनामिका पूनियां ने अपने संबोधन में कहा कि सनातन में तत्व की चर्चा होती है। सनातन संस्कृति में स्त्री और पुरुष में कोई भेद नहीं है। ब्रह्मा सरस्वती के बिना, शिव शक्ति के बिना, विष्णु लक्ष्मी के बिना अधूरे है। पुराने समय में युद्ध के समय बच्चों और महिलाओं पर हमला नहीं होता था, पर यह नियम और नैतिकता विदेशी आक्रांताओं ने नहीं दिखाया। 

तृतीय सत्र को संबोधित करते हुए स्वामी दीपांकर ने कहा कि कुंभकर्ण के बाद सबसे अधिक सोया है तो वह हिंदू है। लेकिन अब जागने का समय है और 2047 में सनातन कैसा दिखे इसके लिए आज ही जागरूक होने की आवश्यकता है। अब भारत पर उसी का शासन होना चाहिए जो किसी जाति का नहीं बल्कि 100 करोड़ हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व करे।

एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि हम अपनी पहचान एक हिन्दू नहीं बल्कि जाति, समुदाय, क्षेत्र और परंपरा से करते हैं। इतिहास की घटनाओं ने बताया कि जहां जहां घटे, वहां वहां कटे, बांग्लादेश आज का उदाहरण है। 25 प्रतिशत राज्यों में हिन्दू समाप्त हो चुका है।

बोर्डर पर जिलों में स्थिति विकट है। देश में लव जिहाद, ड्रग जिहाद, धर्मांतरण जिहाद, लैंड जिहाद, घुसपैठ जिहाद के जरिए डेमोग्राफी बदली जा रही है। इसलिए सनातन को एक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अधर्म का नाश करने से धर्म की जय होती है, केवल धर्म की जय करने से अधर्म का नाश नहीं होता।

संविधान में अल्प संख्यक की जो परिभाषा बताई उसके अनुसार सिर्फ पारसी और यहूदी ही इसमें आएंगे। जबकि पिछली सरकारें अल्पसंख्यक का लाभ किसी एक सम्प्रदाय को देना चाहती है। वास्तविकता ने देश की हर समस्या का समाधान हमारा संविधान।

प्रोफेसर गुरुप्रकाश पासवान ने बताया कि सनातन के तीन प्रमुख ग्रन्थ की रचना महाभारत, रामायण और संविधान की रचना किसने की? बड़े बड़े मंचों पर सनातन संस्कृति को गलत तरीके से परिभाषित किया जाता है। दलितों के प्रति अन्याय की बात करते हैं, जबकि सनातन को दलित समुदाय ने एकाकार होकर अपने कंधों पर संभाला है।

हमें अपनी कमियां और कुरीतियां स्वीकार करनी पड़ेगी, तभी सनातन संस्कृति का विकास संभव है। उन्होंने बताया कि दलितों के अधिकारों के नाम पर कई राजनीतिक पार्टियां सिर्फ अपना और अपने परिजनों का भला कर रही है। ऐसे लोग वैचारिक आतंकवादी है।
चतुर्थ और समापन सत्र भारत द ग्लोबल लीडर@2047 का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रताप राव ने किया, अध्यक्षता युगल किशोर शर्मा ने की और सत्र को सामाजिक नेता राम माधव ने संबोधित करते हुए स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद को कोट करते हुए कहा कि प्रत्येक राष्ट्र को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना होता है।

भारत का भी एक लक्ष्य था, हमें उसे समझकर आगे बढ़ना था। इस लक्ष्य को जानने वाले जीवित नहीं रहे, इसलिए हम आजादी के बाद गलत राह पर चल पड़े। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत अपने लक्ष्य की प्राप्ति में पिछड़ गया। भारत के साथ आजाद हुए या अस्तित्व में आए जापान, इजराइल, चीन आज विकसित राष्ट्र हैं।
पिछले दस वर्षों में 2014 से हम अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़े हैं। 

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