सिरोही चिकित्सा विभाग और घोटाले पार्ट: 1: सिरोही चिकित्सा विभाग में कोविड—19 के नाम पर लाखों रुपए का गबन उजागर, सिरोही के पूर्व कलेक्टर ने बीसीएमओ पिंडवाड़ा को माना दोषी, लेकिन सीएमएचओ ने किया बचाव
सिरोही के बीसीएमओ पिंडवाड़ा को पूर्व कलेक्टर ने वित्तीय अनियमितताओं के चलते सौंपी थी चार्जशीट,लेकिन सीएमएचओ सिरोही ने बीसीएमओ पिंडवाड़ा का बचाव करते हुए दी थी क्लीन चिट। पूर्व कलेक्टर ने सीएमएचओ सिरोही की भूमिका बताई संदिग्ध।
गणपत सिंह मांडोली
सिरोही।
सिरोही जिले के पूर्व पुलिस अधीक्षक और शराब तस्करों से सांठगांठ जग जाहिर होने के बाद अब सिरोही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से लाखों रुपए के घोटाले उजागर हो रहे हैं। फिर चाहे सिरोही चिकित्सा विभाग के मेल नर्स द्वारा रुपयों के लालच में घर पर ही अवैध क्लिनिक चलाने का मामला हो या फिर कार्य व्यवस्था के नाम पर अपनों को रेवड़ियां बांटने का खेल हो।
सिरोही चिकित्सा विभाग के एक के बाद एक कई कारनामे उजागर हो रहे हैं। सिरोही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की लगातार मिल रही शिकायतों को लेकर firstbharat.in ने पड़ताल की तो कई और चौकाने वाले मामले सामने आए।
firstbharat.in आज से सिरोही चिकित्सा विभाग की शिकायतों के आधार पर एक के बाद एक घोटाले पाठकों के सामने पेश करेगा। इस कड़ी में आज सिरोही के पिंडवाड़ा ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा की गई वित्तीय अनियमितता को लेकर समाचार प्रकाशित कर रहा है।
यहां पिंडवाड़ा ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी का खेल उजागर होने के बावजूद सिरोही के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा उन्हें क्लीन चिट देना सवालों के घेरे में है। इस आधार पर सिरोही सीएमएचओ की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है। पेश है एक रिपोर्ट:— पार्ट:1
पिंडवाड़ा ब्लॉक में हैंड सेनेटाइजर खरीद में घोटाला, पूर्व कलेक्टर ने बीसीएमओ को सौंपी थी चार्जशीट
सिरोही जिले के पिंडवाड़ा ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन स्वास्थ्य केंद्रों में कोविड—19के दौरान हैंड सेनेटाइजर मशीन खरीदी गई। इस मशीन को जयपुर की फर्म द्वारा खरीदकर पिंडवाड़ा ब्लॉक में हजारों रुपए की हेराफेरी की गई। लेकिन चिकित्सा विभाग की कारगुजारी उजागर होने पर बड़े ही सफाई से इस मामले को दबा दिया गया और स्वयं सिरोही के सीएमएचओ पिंडवाड़ा के ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बचाने में जुट गए।
इतना ही नहीं, सिरोही सीएमएचओ ने इन्हे क्लीन चिट तक दे दी। लेकिन यहां सिरोही के पूर्व कलेक्टर ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए आरोप प्रमाणित माना तथा बीसीएमओ के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वेतन वृद्धि रोकने के आदेश जारी किए।
यह है मामला
सिरोही जिले के पिंडवाड़ा ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी के अधीन स्वास्थ्य केंद्रों में कोविड—19 के दौरान हैंड सेनेटाइजर मशीन खरीदी गई। यह मशीनें जयपुर की आर एस सर्जीकल एंड मार्केटिंग जयपुर की फर्म से खरीदी गई। चिकित्सा विभाग ने इस फर्म से एक मशीन 9912 रुपए में खरीदी बताई। इसका ब्लॉक के कई स्वास्थ्य केंद्रों पर वितरण कर दिया गया। इसके बाद शिकायत पर जांच शुरू हुई।
जांच में गबन उजागर: 5310 रुपए की मशीन खरीदी 9912 रुपए में
इस मामले को लेकर शिकायत की गई। शिकायत के आधार सिरोही के तत्कालीन कलेक्टर ने जांच करवाई। जांच में हैंड सेनेटाइजर मशीन की वास्तविक मूल्य 5310 सामने आया। जबकि सिरोही चिकित्सा विभाग ने एक हैंड सेनेटाइजर मशीन के पेटे 9912 रुपए भुगतान कर दिया। ऐसी एक नहीं दो नहीं, 30 मशीनों का भुगतान कर सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाई।
मशीनों के रिकॉर्ड को लेकर अलग—अलग रिपोर्ट
इस मामले में गबन की जांच की गई तो पिंडवाड़ा ब्लॉक के स्वास्थ्य केंद्रों से अलग—अलग रिपोर्ट आने पर कई सवाल खड़े हो गए। पिंडवाड़ा की 2 उपकेंद्रों ने इन मशीनों को ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से प्राप्त होना बताया। जबकि कुछ उप केंद्रों ने 10 हजार रुपए राशि की प्राप्ति दिखाकर मशीन खरीद बताई। इसमें भी चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि इन हैंड सेनेटाइजर मशीनों की खरीद को लेकर ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में कोई रिकॉर्ड ही नहीं पाया गया।
पूर्व कलेक्टर ने सौंपी चार्जशीट, वेतन वृद्धि रोकने के दिए आदेश
इस मामले में राजस्व अनियमितताएं उजागर होने पर सिरोही के तत्कालीन कलेक्टर भगवती प्रसाद ने बीसीएमओ पिंडवाड़ा को चार्जशीट सौंप दी। बीसीएमओ पिंडवाड़ा डॉ सत्य प्रकाश शर्मा को चार्जशीट देकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया। इसके जवाब में बीसीएमओ ने किसी प्रकार की मशीन खरीद करने से इनकार कर दिया। बहरहाल, भगवती प्रसाद ने जांच और बीसीएमओ के व्यक्तिगत बयान के बाद वित्त नियमों का उल्लंघन माना। इसके बाद बीसीएमओ पिंडवाड़ा डॉ सत्य प्रकाश शर्मा की वेतन वृद्धि रोकने के आदेश जारी किए।
पूर्व कलेक्टर ने सीएमएचओ की भूमिका को भी माना संदिग्ध
पिंडवाड़ा ब्लॉक में हैंड सेनेटाइजर खरीद को लेकर हुई वित्तीय अनियमितताओं पपर पूर्व कलेक्टर भगवती प्रसाद ने सिरोही के सीएमएचओ को भी दोषी माना है। सिरोही के तत्कालीन कलेक्टर भगवती प्रसाद ने बीसीएमओ पिंडवाड़ा को दी चार्जशीट में यह स्पष्ट उल्लेख किया है कि पिंडवाड़ा मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय, खरीद एंव मार्ग दर्शन में शामिल है। इसमें वित्त नियमों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। यह खरीद बीसीएमओ पिंडवाड़ा की पर्यवेक्षण की कमी तथा लापरवाही को दर्शाता है। क्योंकि मशीनें बाजार मूल्य से अधिक में खरीदी गई थी।
पूर्व कलेक्टर ने यहां स्पष्ट लिखा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सिरोही की थी। लेकिन उन्होंने केवल कमेटी की रिपोर्ट को ही अग्रेषित कर दिया तथा ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी पिंडवाडा को क्लीन चिट दे दी। इस लिए सीएमएचओ सिरोही की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है।
सिरोही सीएमएचओ ने किया बचाव, बताया फर्म ने लौटाई अधिक राशि
सिरोही के पूर्व कलेक्टर भगवती प्रसाद की चार्जशीट देने के बाद भी सीएमएचओ सिरोही ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बचाते हुए नजर आए। यहां सीएमएचओ सिरोही की ओर से बताया गया कि फर्म ने बाजार मूल्य से अधिक राशि वसूली थी, यह राशि वापस लौटा दी।
यहां आप को बता दें कि यह घोटाला उजागर होने के बाद कार्रवाई की गई तो आरएस सर्जिकल एंड मार्केटिंग कंपनी के नाम से 1 लाख 38 हजार 60 रुपए का चेक वापस लौटाया हुआ दिखाया गया।
यहां सवाल यह है कि चोरी करने के बाद पकड़े जाने पर चोरी का माल वापस लौटाने वाला बरी हो जाता है क्या? क्या चोरी के मामले में उन पर कार्रवाई नहीं होने चाहिए?
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