Sirohi पंचायत में भ्रष्टाचार का बोलबाला: सिरोही पंचायत समिति सदस्य ने विकास अधिकारी और सहयोगियों पर लगाए करोड़ों रूपए के घोटाले के आरोप, कलेक्टर से की जांच की मांग

सिरोही पंचायत समिति सदस्य ने समिति के ही विकास अधिकारी पर भ्रष्टाचार और गबन के गंभीर आरोप लगाए है। समिति के निर्वाचित सदस्य ने मामले की जांच के लिए कलेक्टर को ज्ञापन ​देकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग भी की है।

सिरोही पंचायत समिति सदस्य ने विकास अधिकारी और सहयोगियों पर लगाए करोड़ों रूपए के घोटाले के आरोप, कलेक्टर से की जांच की मांग

सिरोही, 17 अ​क्टूबर 2024। सिरोही पंचायत समिति सदस्य ने समिति के ही विकास अधिकारी पर भ्रष्टाचार और गबन के गंभीर आरोप लगाए है। समिति के निर्वाचित सदस्य ने मामले की जांच के लिए कलेक्टर को ज्ञापन ​देकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग भी की है।

वहीं 9 सितंबर 2024 को विकास अधिकारी द्वारा जारी की गई निविदा सूचना को तत्काल निरस्त करने की भी मांग की। 

सिरोही पंचायत समिति के सदस्य तेरसाराम गरासिया ने आरोप लगाए कि  राज्य मुख्यालय से मुख्य अभियंता (ग्रामीण) जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग जयपुर के द्वारा दिनांक 8 सितम्बर 2024 को जारी दिशा निर्देशों से परे जाकर विकास अधिकारी सिरोही व इस हेतु नियुक्त कमेटी ने पिछले एक साल में डेढ़ करोड़ का टर्न ओवर, निविदादाता का अनुभव, बोरवेल खोदने की दो गाड़ियां होने जैसी मन मर्जी की शर्ते जोड़कर फर्म विशेष को निविदा देने का कुत्सित प्रयास किया है।


गरासिया ने आरोप लगाए कि विकास अधिकारी पं स सिरोही द्वारा अपने कारनामों को अंजाम देने के लिए लोकसभा चुनाव 2023 से पहले की बैठकों की कार्यवाहियों को खुला रखा गया है। इससे जब चाहे वो ऐसे प्रस्ताव लिखकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है।

इतना ही नहीं, विकास अधिकारी सिरोही ने अपने कार्यालय में 3-4 डिस्पेच रजिस्टर बना रखे है इसलिए जब चाहे उस पिछली दिनांक में भी आदेश जारी करने के कृत्य किये जा रहे है जिसके पर्याप्त सबूत शिकायतकर्ता के पास मौजूद है। 

गरासिया ने विकास अधिकारी मंछाराम पर आरोप लगाया है कि उन्होंने राज्य मुख्यालय व लेखाविज्ञ के आदेशों से परे जाकर जो तुगलकी फरमान जारी किये है वे भारत के संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।

इन्होंने राजकोष में सेंधमारी करने के चक्कर में बेरोजगारों का, नए उद्यमियों का हक छीनने व उन्हें रोजगार से वंचित करने का प्रयास किया है जो सर्वथा विधि विरुद्ध है। प्रकरण की निष्पक्षता से जांच अपेक्षित है।

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