Vaccine प्रमाणपत्र पर पीएम की फोटो विवाद: Kerala High Court ने वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र पर पीएम मोदी की फोटो के खिलाफ लगाई गई याचिका को किया खारिज
कोरोना वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की फोटो के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका खारिज कर दी गई। कोर्ट ने इस संबंध में याचिकाकर्ता को कहा कि यह प्रधानमंत्री का जनता को दिया संदेश है, कोई विज्ञापन नहीं है।
नई दिल्ली, एजेंसी।
कोरोना वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की फोटो के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका खारिज कर दी गई। कोर्ट ने इस संबंध में याचिकाकर्ता को कहा कि यह प्रधानमंत्री का जनता को दिया संदेश है, कोई विज्ञापन नहीं है।
जस्टिस एस मणिकुमार और शाजी पी शाली की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया। इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने सिंगल जज बेंच के आदेश को यथावत रखते हुए याचिकाकर्ता पर लगाया हुआ जुर्माना कम नहीं किया।
हाईकोर्ट ने भी सिंगल बेंच के फैसले से सहमत नजर आए। सिंगल बैंच ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का फोटो कोई विज्ञापन नहीं है।
संदेश देना उनका अधिकार है, भले ही वह वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र पर ही क्यों न हो। इससे पहले भी दिसंबर माह में एक आरटीआई कार्यकर्ता की ओर से लगाई गई याचिका को भी सिंगल कोर्ट ने खारिज कर दिया था। याचिका कर्ता पर एक लाख का जुर्माना तक लगाया गया था।
केरल हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील की ओर दलील दी गई कि प्रधानमंत्री की फोटो प्रमाण पत्र पर लगाने से जनता को कोई फायदा नहीं हो रहा है।
किसी भी व्यक्ति का प्रमाणपत्र उसकी प्राइवेट प्रॉपर्टी है। इस पर उस व्यक्ति की जानकारी दर्ज होती है। यह प्रचार की जगह नहीं है। इस तरह की फोटो से मतदाता का मन बदल सकता है। फोटो लगाकर प्रमाणपत्र देने वाले को अपनी बात सुनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
इससे पहले भी वैक्सीन प्रमाणपत्र पर पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर होने को लेकर विवाद हुआ था। बिहार में एनडीए सरकार में साझीदार रहे पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने इस पर सवाल उठाया था।
मांझी ने कहा था कि प्रमाणपत्र पर संवैधानिक संस्थाओं के सर्वेसर्वा राष्ट्रपति का फोटो होना चाहिए। यह न्याय संगत नहीं है।
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वैक्सीन प्रमाण पत्र मेरी प्राइवेट प्रॉपर्टी है,इस पर मेरे कुछ अधिकार हैं। मैंने वैक्सीनेशन के लिए पैसा दिया है और पीएम की फोटो लगाकर उसका क्रेडिट लेने का अधिकार सरकार को नहीं है।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि ये हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं। किसी और देश के नहीं। वे हमारे जनादेश से सत्ता में आए हैं। आप अपने ही प्रधानमंत्री को लेकर शर्मिदा क्यों है!
100 करोड़ लोगों को इस पर कोई परेशानी नहीं है, तो आप को समस्या क्यों है! ऐसा लगता है कि आप कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से यहां तक कहा गया कि दूसरे देशों में ऐसी कोई फोटो नहीं है। इस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि उन्हें अपने प्रधानमंत्री पर गर्व नहीं होगा। हमें हमारे पीएम पर गर्व है। आपको भी होना चाहिए।
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