एसीबी के आदेश बने मजाक: राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का आदेश बना मजाक, रिश्वत के आरोपी को सेवा से बर्खास्त करना तो दूर प्रमोशन देकर किया प्रोत्साहित
भ्रष्टाचार ब्यूरो ने एक रिश्वत के आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां रिश्वत लेने के जुर्म में कोर्ट ने 2012 में आरोपी को सजा सुनाई। इसके बाद ब्यूरो ने आरोपी को सिरोही सेंट्रल कॉ आपरेटिव बैंक के स्टेनो पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए। लेकिन लापरवाही और अंधेरनगरी का आलम यह है कि सेवा से बर्खास्त करने के
सिरोही, 21 अक्टूबर 2024। राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के आदेश मजाक बनकर रह गया। ब्यूरो ने एक रिश्वत के आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां रिश्वत लेने के जुर्म में कोर्ट ने 2012 में आरोपी को सजा सुनाई। इसके बाद ब्यूरो ने आरोपी को सिरोही सेंट्रल कॉ आपरेटिव बैंक के स्टेनो पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए।
लेकिन लापरवाही और अंधेरनगरी का आलम यह है कि सेवा से बर्खास्त करने के आदेश होने के बाद बावजूद आरोपी स्टेनो को प्रमोशन दिया गया। इतना ही नहीं, आरोपी के खिलाफ काईवाई नहीं होने पर उसके हौंसले बुलंद हुए और आरोपी ने करोड़ों रूपए का गबन भी कर दिया।
इस मामले में सिरोही निवासी एक व्यक्ति ने कलेक्टर को ज्ञापन देखकर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
सिरोही निवासी प्रवीण नाथ गोस्वामी ने सिरोही कलेक्टर को ज्ञापन दिया है कि सेंट्रल कॉ—आपरेटिव बैंक में तत्कालीन स्टेनो उमाशंकर दवे को रिश्वत लेने के मामले में एसीबी ने गिरफ्तार किया था।
एसीबी ने आरोपित उमाशंकर के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की और कोर्ट ने 19.04.2012 में जुर्म प्रमाणित मानते हुए उमाशंकर को 1 वर्ष का कठोर कारावास के साथ 10 हजार रूपए के अर्थ दंड सुनाया।
इसके बाद एसीबी के महानिदेशक कार्यालय से रिश्वत के आरोपी उमाशंकर दवे को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए।
ज्ञापन में प्रवीण नाथ गोस्वामी ने बताया कि आरोपी उमाशंकर दवे को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश जारी होने के बावजूद आदिनांक तक कार्रवाई नहीं की गई।
आरोपी स्टेनो उमाशंकर दवे ने अधिकारियों से मिलीभगत कर सेवा से बर्खास्त के आदेशों को मजाक बना दिया।
स्टेनो उमाशंकर को बैंक प्रशासन ने बर्खास्त करने की बजाय प्रमोशन देकर शाखा प्रबंधक बना दिया।
गोस्वामी ने कलेक्टर से मांग की है कि आरोपी उमाशंकर दवे और बैंक में उनसे मिलीभगत करने वाले कार्मिकों की जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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