वैक्सीनेशन पर पीएम को ​पत्र: देश के पूर्व प्रधानमंत्री ने मोदी को विदेशी वैक्सीन बिना ट्रायल इंडिया में इस्तेमाल करने के लिए लिखा पत्र

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर सुझाव दिए है। सिंह ने वैक्सीनेशन का कार्य तेजी से करने और विदेशों में चल रही वैक्सीन को बिना ट्रायल के इंडिया में लगाने के लिए भी सुझाव दिया है। 

देश के पूर्व प्रधानमंत्री ने मोदी को विदेशी वैक्सीन बिना ट्रायल इंडिया में इस्तेमाल करने के लिए लिखा पत्र

नई दिल्ली। 
देश में कोरोना संक्रमण लगातार तेजी पांव फैला रहा है। ऐसे में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर सुझाव दिए है। सिंह ने वैक्सीनेशन का कार्य तेजी से करने और विदेशों में चल रही वैक्सीन को बिना ट्रायल के इंडिया में लगाने के लिए भी सुझाव दिया है। 
पूर्व पीएम सिंह ने कहा कि वैश्विक महामारी को रोकने के लिए वैक्सीनेशन सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। हमें यह नहीं देखना चाहिए कि कितने लोगों को टीका लग चुका है इसके विपरीत यह देखना चाहिए कि आबादी के कितने फीसदी लोगों को अब तक वैक्सीन मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले मोदी सरकार को अगले छह महीनों के लिए वैक्सीन्स के दिए गए ऑर्डर तथा उन्हें किस तरह देश के विभिन्न राज्यों के बीच वितरित किया जाएगा, इस बारे में बताना चाहिए। सिंह ने कहा कि यदि हम पर्याप्त आबादी को टीका लगाना चाहते हैं तो हमारे पास एडवांस में पर्याप्त ऑर्डर होने चाहिए ताकि हम सही समय पर वैक्सीन्स की सप्लाई कर सकें।
विदेशी वैक्सीन को मिले मंजूरी


पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि घरेलू वैक्सीन निर्माता पर्याप्त मात्रा में टीके नहीं बना पा रहे हैं। अतः हमें उन विदेशी वैक्सीन्स को आयात करने की मंजूरी देनी चाहिए जिन्हें यूरोपीय मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए ने मंजूरी दे दी है। भारत देश में ट्रायल के बिना ही मंजूरी मिलनी चाहिए ताकि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन पहुंचा सकें। इसके अलावा सरकार को इन टीकों के विभिन्न राज्यों को किए जाने वाले वितरण का फॉर्मूला बताना चाहिए कि किस आधार पर टीके वितरित किए जाएंगे, इसी आधार पर राज्य टीकाकरण की योजना बना सकेंगे। इनमें से केन्द्र सरकार दस फीसदी टीके इमरजेंसी के लिए रख सकती हैं। सिंह ने कहा कि देश में बीमारी को रोकने के लिए 45 वर्ष से कम आयु वाले लोगों को भी वैक्सीनेशन में छूट दी जानी चाहिए। खासतौर पर जो फ्रंटलाइन वर्कर्स (यथा स्कूल टीचर्स, पब्लिक ट्रांसपोर्ट ड्राइवर्स, म्यूनिसिपल तथा पंचायत कर्मियों को 45 वर्ष से कम आयु होने पर भी टीका लगाया जा सकता है। वहीं भारत में वैक्सीनेशन का काम अधिकतर प्राइवेट कंपनियों के हाथ में है। वर्तमान की आपातकालीन परिस्थितियों तथा जनस्वास्थ्य को देखते हुए वैक्सीन उत्पादकों को फंड तथा छूट देनी चाहिए ताकि वे तेजी से मैन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ा कर अधिक से अधिक वैक्सीन बना सकें।

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