जालोर मांडोली ग्राम में पेयजल संकट: रामसीन के निकटवर्ती ग्राम मांडोली में पेयजल संकट, नलों से कई दिनों में नहीं आ रहा जल

जिले के रामसीन निकटवर्ती ग्राम मांडोली इन दिनों भयंकर पेयजल संकट से गुजर रहा है। लगभग 7 हजार की आबादी वाला गांव प्रशासन की उदासीनता व लापरवाही के कारण पीने के पानी के लिए तरस रहा है।

रामसीन के निकटवर्ती ग्राम मांडोली में पेयजल संकट, नलों से कई दिनों में नहीं आ रहा जल

जालोर।
जिले के रामसीन निकटवर्ती ग्राम मांडोली इन दिनों भयंकर पेयजल संकट से गुजर रहा है। लगभग 7 हजार की आबादी वाला गांव प्रशासन की उदासीनता व लापरवाही के कारण पीने के पानी के लिए तरस रहा है।
ग्राम मांडोली में महीने में एक बार जल सप्लाई हो रही है। शिकायत तो यह भी है कि एक बार भी जल सप्लाई खारे पानी की कर रहे है। इसमें में गुणवत्ता खराब बताई जा रही है। नतीजा लोगों को डायरियां, उल्टी—दस्त व कब्ज जैसी बीमारी का शिकार होना पड रहा है। 
अपर्याप्त मात्रा व अनियमित जलापूर्ति के चलते लोगों को  महंगे दामों में पानी के टैंकर डलवाना पड़ रहे है। 
हालात तो यह है कि गरीब व्यक्ति तो पैसे देकर भी पानी का टेंकर नहीं डलवा सकता है। 
पानी की किल्लत के कारण टैंकर मालिक भी मन माना दाम वसूल रहे है।
ऐसे में लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, इसके साथ ही पानी की किल्लत के कारण लोग अपने रोजमर्रा के कार्य भी नहीं करवा पा रहे है।
आगामी गर्मी को देखते हुए अभी से हो रही पेयजल किल्लत के कारण लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
ग्राम पंचायत द्वारा नियमित पेयजलापूर्ति को लेकर कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। 
न ही ग्राम पंचायत द्वारा इसको लेकर ग्रामीणों को कोई रास्ता निकाला जा रहा है कि कब तक लोगों की समस्या का समाधान निकाला जाएगा। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। 
अगर ग्राम पंचायत द्वारा समय रहते एहतियात बरती होती तो आज लोगों को गंभीर पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ता।
इसके साथ ही जलदाय विभाग भी नियमित जलापूर्ति को लेकर गंभीर नहीं है। उसी का परिणाम है कि एक महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद अभी तक गांव के नालों में पानी नहीं आया है।
गांव के भरत सिंह का कहना है कि फिलहाल गांव में गंभीर पेयजल संकट है। करीब एक माह से ज्यादा समय हो गया।

नलों में पानी सप्लाई नहीं हो रही। अब ऐसे में एक माह तक बिना पानी के जनता कैसे रह सकती है। गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए अन्य स्त्रोत भी नहीं है।

अगर पेयजल का विकल्प हो तो वहां से पानी की लाकर जनता अपनी हलक तर कर सके। मजबूरन लोगों को अन्य गांवों से टेंकरों से मुंह मांगी कीमत पर पानी खरीदना पड़ रहा है।

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