जांच के नाम पर घुमती रहती हैं फाइलें: ‘मेरा मन काफी आहत, दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता’ कहते हुए कांग्रेस विधायक ने दिया इस्तीफा
Rajasthan Dalit Student Death: राजस्थान के जालौर जिले में टीचर द्वारा दलित छात्र की निर्मम पिटाई से हुई मौत के बाद प्रदेश की सियासत में हड़कंप मचा हुआ है। इस घटना से आहत होकर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के विधायक पानाचंद मेघवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
जालौर | Rajasthan Dalit Student Death: राजस्थान के जालौर जिले में टीचर द्वारा दलित छात्र की निर्मम पिटाई से हुई मौत के बाद प्रदेश की सियासत में हड़कंप मचा हुआ है। इस घटना से आहत होकर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के विधायक पानाचंद मेघवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
कहा- मेरा मन काफी आहत, दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता
जानकारी के अनुसार बारां अटरू से कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना इस्तीफा भेजा है। मेघवाल ने इस्तीफे में लिखा है कि आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग पर लगातार हो रहे अत्याचारों से मेरा मन काफी आहत है। मेरा समाज आज जिस प्रकार की यातनाएं झेल रहा है उसका दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। जब हम हमारे समाज के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें न्याय दिलाने में नाकाम होने लगे तो हमें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। अतः मेरी अंतरात्मा की आवाज पर विधायक पद से इस्तीफा देता हूं।
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राजस्थान: बारां जिले की अटरू विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस्तीफा दिया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 15, 2022
उन्होंने कहा, "जालौर में 9 वर्षीय दलित छात्र की मृत्यु से मैं आहत हूं और मैं अपना इस्तीफा दे रहा हूं। दलितों और वंचित समुदायों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं।" pic.twitter.com/HwcrHUJKNJ
जांच के नाम पर घुमती रहती हैं फाइलें
विधायक मेघवाल यहीं चुप नहीं रहे, उन्होंने कहा कि प्रदेश में दलित और वंचितों को मटके से पानी पीने के नाम पर ही नहीं, कभी घोड़ी चढ़ने तो कभी मूंछ रखने पर भी घोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है। इन घटनाओं को लेकर जांच के नाम पर फाइलें बस इधर से उधर घुमाती रहती है। इन मामलों में एफआर लगा दी जाती है। मैंने विधानसभा में कई बार ऐसे मामलों को उठाया भी, लेकिन पुलिस प्रशासन हरकत में नहीं आया।
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समानता के अधिकार की रक्षा करने वाला कोई नहीं
राजस्थान में पिछले कुछ सालों से दलितों व वंचितों पर लगातार अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं। अब तो ऐसा लगता है कि संविधान में दलितों और वंचितों के लिए जिस समानता के अधिकार का प्रावधान है उसकी रक्षा करने वाला भी कोई नहीं है।
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