राजनीति: सिरोही भाजपा में सब ठीक नहीं: पार्टी में असंतोष चरम पर, टुकड़ों में बंटी है भाजपा

प्रदेश के अर्बुदाचंल में बसे सिरोही में भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों असंतोष चरम पर है, जिससे पार्टी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। विधानसभा चुनाव के बाद जब से सिरोही में भारतीय जनता पार्टी की कमान नारायण पुरोहित को सौंपी है तब से ही पार्टी  की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।

सिरोही भाजपा में सब ठीक नहीं: पार्टी में असंतोष चरम पर, टुकड़ों में बंटी है भाजपा
  • जिलास्तर पर नहीं है पार्टी का कार्यालय, रिको स्थित समाचार पत्र कार्यालय से चलाते है सभी गतिविधियां
  • सरकार के विरोध के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जाती

सिरोही। प्रदेश के अर्बुदाचंल में बसे सिरोही में भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों असंतोष चरम पर है, जिससे पार्टी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। विधानसभा चुनाव के बाद जब से सिरोही में भारतीय जनता पार्टी की कमान नारायण पुरोहित को सौंपी है तब से ही पार्टी  की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। क्योंकि जिलाध्यक्ष बनने के बाद आज तक नारायण पुरोहित निष्क्रिय और तटस्थ की भूमिका निभाते रहे। आरोप तो यहां तक कि कोरोनाकाल में पूरा प्रदेश एकजुट होकर जूझ रहा था और हर छोटा-बड़ा नेता इसमें अपनी भागीदारी निभा रहा था, वहीं जिलाध्यक्ष पुरोहित अपने निवास पर जीरावल में लघु उद्योग भारती के एक वरिष्ठ पदाधिकारी प्रकाश गुप्ता की सेवा में लगे थे। पुरोहित ने एक बार भी जनता के बीच में जाकर उनकी ना तो सुध ली और ना ही किसी से मिले। अर्थात यह कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जिलाध्यक्ष पुरोहित सिरोही के लोगों के दुख-दर्द में हमेशा दूर ही रहे, इनकी सुध तक नहीं ली। जबकि भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष लूम्बाराम चौधरी समेत अन्य नेता कोरोनाकाल में लगातार जनसेवा में जुटे रहे। यहां तक इन नेताओं ने पुलिस के मामले भी झेले। इस प्रकार निष्क्रय हुए जिलाध्यक्ष के कारण सिरोही भाजपा बिखरने के कगार पर है। बताया तो यह भी जा रहा है कि जिलाध्यक्ष बनने के बाद आज तक नारायण पुरोहित ने आम कार्यकर्ताओं के साथ ना तो कोई बैठक की और ना ही कोई सुध बुध, यहां तक कि धरने प्रदर्शनों में भी जिलाध्यक्ष नदारद रहे और सीधे कलक्टर से मिलकर ज्ञापन सौंपने की औपचारिकता निभाई। बताया जा रहा है कि दो नावों में सवार नारायण पुरोहित अपना व्यक्तिगत स्वार्थ साधने और अपने बिजनस को देखते हुए कांग्रेस को भी नाराज नहीं करना चाहते। क्योंकि पुरोहित अगर कांग्रेस को नाराज करते है तो उनके परिवार के सिरोही-जयपुर से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र जागरूक टाइम्स पर प्रतिकूल असर पडऩे की आशंंका रहती है। इसलिए हमेशा बचकर ही नपी तुली बयानबाजी करते है, जिससे कांग्रेस सरकार भी नाराज नहीं हो और बयान के नाम पर पार्टी की औपचारिका भी निभा सके। जानकार लोगों की माने तो सिरोही में भाजपा का कोई ऑफिस भी नहीं है। आज तक पुरोहित ने जो बैठके की है वे सभी रिको स्थित जागरूक टाइम्स समाचार पत्र के कार्यालय में ही हुई है और इन बैठकों में विधायक, सांसद और बड़े पदाधिकारी ही मौजूद रहे है। इस प्रकार जब से नारायण पुरोहित ने सिरोही भाजपा की कमान संभाली है, तभी से ही भाजपा में असंतोष और गुटबाजी पनपने शुरू हो गई, जो आज तक जारी है। हालात तो यहां तक हो चुके है कि सिरोही में भाजपा संगठन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।  पार्टी के जानकार लोगों और राजनीति से जुड़े लोगों की माने तो वो दिन दूर नहीं जब सिरोही में भाजपा हासिए पर जा सकती है, जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा। सिरोही भाजपा  अब सिर्फ भगवान भरोसे है।

हां, रेवदर और प्रेस से चलाता हूं कार्यालय: पुरोहित

इधर जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि मैं पार्टी कार्यालय मेरे रेवदर स्थित निवास से और सिरोही रिको स्थित जागरूक टाइम्स कार्यालय के अंदर बने दो रूम से  चलाता हूं, जहां समय-समय पर पार्टी की बैठके होती रहती है। पार्टी कार्यालय के लिए कवायद जारी है। पार्टी में उभरे असंतोष के जवाब में पुरोहित ने कहा कि कुछ लोग कहते रहते है, जो गलत है। कोरोनाकाल के बाद तो मीटिंगे ली है।

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