भारत: पंजाब एसआईटी ने 2015 कोटकपूरा फायरिंग घटना में सुखबीर बादल को किया तलब

एसआईटी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एल.के. यादव ने इससे पहले पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी से पूछताछ की थी।

पंजाब एसआईटी ने 2015 कोटकपूरा फायरिंग घटना में सुखबीर बादल को किया तलब
Sukhbir Badal
चंडीगढ़, 25 अगस्त (आईएएनएस)। गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद 2015 कोटकपूरा गोलीबारी मामले की जांच कर रहे एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तत्कालीन पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वर्तमान अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को 30 अगस्त को तलब किया है।

एसआईटी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एल.के. यादव ने इससे पहले पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी से पूछताछ की थी।

हालांकि, अकाली दल के नेताओं ने इस बात से इनकार किया कि बादल, जो 2015 में पंजाब के गृह मंत्री थे, को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। बादल को 30 अगस्त को सुबह साढ़े 10 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 32 स्थित पंजाब पुलिस ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट में पेश होने को कहा गया है।

2015 में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं और उसके बाद राज्य में हिंसा की घटनाओं के बाद सैनी को शीर्ष पुलिस पद से हटा दिया गया था, जिसमें पुलिस बल पर ज्यादती का आरोप लगाया गया था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।

न्यायमूर्ति रंजीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की कथित घटनाओं और बाद में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग की घटनाओं में नियुक्त आयोग का नेतृत्व करने वाले ने तत्कालीन मुख्यमंत्री और तत्कालीन डीजीपी सैनी को कटघरे में खड़ा किया है।

इसके अलावा, उन्होंने सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा की आलोचना की, जिसके प्रमुख और स्वयंभू संत गुरमीत राम रहीम सिंह वर्तमान में अपने दो शिष्यों से बलात्कार के लिए 20 साल की जेल की सजा और एक पत्रकार की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

जस्टिस सिंह ने जनवरी में अपनी 423 पन्नों की किताब द सैक्रिलेज के विमोचन पर यह टिप्पणी की थी, जब वह सरकार द्वारा गठित आयोग का नेतृत्व कर रहे थे।

न्यायमूर्ति सिंह ने किताब के विमोचन के मौके पर आईएएनएस को बताया था, सामग्री और सबूत तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैनी, दोनों के खिलाफ है।

बेअदबी की घटना फरीदकोट जिले के बहबल कलां गांव में हुई और उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने दो लोगों की मौत का मुद्दा जोर शोर से उठाया था।

2022 के चुनावों में भी, राज्य की राजनीति में ये मुद्दा गर्म रहा।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 9 अप्रैल, 2021 को पिछली पुलिस एसआईटी रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसने बादल को क्लीन चिट दी थी और राज्य सरकार को एक नई टीम गठित करने का निर्देश दिया था।

उच्च न्यायालय ने न केवल जांच को खारिज कर दिया था, बल्कि तरीकों पर भी संदेह जताया था और एसआईटी के पुनर्गठन का आदेश दिया था।

अदालत के निर्देश के बाद, कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने घटना की जांच के लिए 7 मई को एसआईटी का गठन किया।

--आईएएनएस

एचके/एसकेपी

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