सरकारी नौकरी के साथ साथ समाज सेवा : समाज सेवा का अनूठा जज़्बा : फारेस्ट गार्ड गयी थी घायल पक्षी रेस्क्यू करने, जरूरतमंद बच्चों को देखा और बांट आयी शिक्षण सामग्री
सिरोही जिले की एक बेटी जो अपनी सरकारी नौकरी के साथ साथ समाज सेवा का दूसरा नाम बन गयी गई है। समाज सेवा का जज़्बा और जूनून ऐसा कि इनकी बदौलत जिले में थेलेसिमिया बीमारी से पीड़ित बच्चों के ईलाज के लिए अस्पताल तक बन गया, वन्यजीवों के लिए जिले में एक आधुनिक सुविधाओं से युक्त रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेण्टर बन गया ...........
सिरोही (धीरज माली) ।
सिरोही जिले की एक बेटी जो अपनी सरकारी नौकरी के साथ साथ समाज सेवा का दूसरा नाम बन गयी गई है। समाज सेवा का जज़्बा और जूनून ऐसा कि इनकी बदौलत जिले में थेलेसिमिया बीमारी से पीड़ित बच्चों के ईलाज के लिए अस्पताल तक बन गया, वन्यजीवों के लिए जिले में एक आधुनिक सुविधाओं से युक्त रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेण्टर बन गया और न जाने कितने ही जरूरतमंद लोगों के लिए जिले की महिला वनरक्षक अंजू चौहान एक मसीहा बनकर बिना थके और बिना रुके लगातार अपना अमूल्य योगदान दे रही है।
गुरुवार को भी क्षेत्र में कुछ ऐसा ही वाक़या देखने को मिला। वन विभाग के पिंडवाड़ा कार्यालय में तैनात वनरक्षक अंजू चौहान को सिवेरा गाँव के आदिवासी बच्चों ने फ़ोन किया और सुचना दी कि यहाँ एक कौवा घायल पड़ा है। सुचना मिलते ही अंजू तुरंत मौके पर पहुंची और घायल कौवे को रेस्क्यू किया। मौके पर अंजू चौहान ने घायल कौवे को तो बचा लिया लेकिन वहां मौजूद करीब 40 आदिवासी बच्चों को देखकर उससे रहा नहीं गया। बच्चों से जानकारी जुटाई तो पता चला कि इनके स्कूल बंद है तब से ही यहाँ आश्रम में रह रहे पागल बाबा नाम के संत उनके रहने, खाने पीने की व्यवस्था किये हुए है और और शिक्षण भी वह स्वयं ही दे रहे है। जिसके बाद पागल बाबा से मिलकर उन्हें वास्तविक हालात पता चले और सभी जरूरतमंद 40 बच्चों के आवश्यक शिक्षण सामग्री पहुंचाने का जिम्मा इन्होंने लिया। कुछ ही घंटो के बाद अंजू चौहान सभी बच्चों के लिए शिक्षण सामग्री लेकर पहुंच गई। नई कॉपी , किताब, पेन, पेन्सिल आदि शिक्षण सामग्री देखकर इन जरूरतमंद बच्चों की ख़ुशी और पढ़ने हौसला दुगुना जरूर हो गया।
महिला वनरक्षक की सांपो को रेस्क्यू करने में भी महारत
महिला वनरक्षक अंजू चौहान जरूरतमंद इंसानों के साथ साथ बेजुबान वन्यजीवों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहती है। वन्यजीवों को सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ने के इनके उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए राजस्थान के वन विभाग के सबसे उच्चस्त अधिकारी हॉफ द्वारा भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
पागल बाबा को भी किया सम्मानित
वनरक्षक अंजू चौहान और इनके साथ आये लायंस क्लब के सदस्यों द्वारा इन 40 गरीब आदिवासी बच्चों को मुफ्त में शिक्षण देने के साथ साथ रहने खाने की व्यवस्था करने के लिए काफी आभार जताया और बाबा का शॉल ओढ़ाकर इनके द्वारा सम्मान किया गया। पागल बाबा पिछले कई वर्षों से सिवेरा के आसपास रहने वाले गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे है। जिसमे इनके द्वारा बच्चों को स्कूल के पाठ्यक्रम के साथ साथ पर्सनालिटी डेवलपमेंट की भी शिक्षा दी जाती है।
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