Sanchore: सांचौर जिले की पुनः बहाली की मांग को लेकर जनता का आक्रोश बढ़ा: महापड़ाव का आयोजन

राजस्थान सरकार द्वारा सांचौर जिले को निरस्त किए जाने के फैसले के खिलाफ सांचौर क्षेत्र में आक्रोश गहराता जा रहा है। जनता ने इस फैसले का विरोध करते हुए आगामी 30 दिसंबर 2024 को जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने महापड़ाव आयोजित करने का ऐलान किया है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से न केवल उनके अधिकारों का उल्

सांचौर जिले की पुनः बहाली की मांग को लेकर जनता का आक्रोश बढ़ा: महापड़ाव का आयोजन

जालौर, राजस्थान | राजस्थान सरकार द्वारा सांचौर जिले को निरस्त किए जाने के फैसले के खिलाफ सांचौर क्षेत्र में आक्रोश गहराता जा रहा है। जनता ने इस फैसले का विरोध करते हुए आगामी 30 दिसंबर 2024 को जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने महापड़ाव आयोजित करने का ऐलान किया है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि यह जनहित के विपरीत भी है।

सांचौर जिले का गठन और भाजपा सरकार का निर्णय
सांचौर जिले का गठन पूर्ववर्ती सरकार द्वारा रामलुभाया कमेटी की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। इस कमेटी ने जनसंख्या, दूरी और प्रशासनिक सुविधा जैसे प्रमुख कारणों को ध्यान में रखते हुए सांचौर को नया जिला बनाने का सुझाव दिया था। सांचौर और जालोर के बीच की दूरी 145 किलोमीटर होने के कारण जिला मुख्यालय बनने से यहां के निवासियों को प्रशासनिक कार्यों में सुविधा और आर्थिक राहत मिली थी।

लेकिन, हाल ही में भाजपा सरकार ने सांचौर जिले को निरस्त कर दिया है, जबकि समान परिस्थितियों में अन्य जिलों को बरकरार रखा गया है। यह फैसला क्षेत्रवासियों के लिए गहरी निराशा का कारण बना है।

जनता का आक्रोश और आंदोलन की रूपरेखा
जनता का कहना है कि सरकार का यह निर्णय उनके हितों के खिलाफ है। उन्होंने इसे न्यायिक और प्रशासनिक असमानता करार दिया है। पहले भी, क्षेत्रवासियों ने 25 सितंबर से 2 अक्टूबर 2024 तक अनशन और प्रदर्शन के जरिए अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाया था। अब, महापड़ाव के रूप में आंदोलन को और तेज किया जा रहा है।

महापड़ाव के दौरान हजारों लोगों के जुटने की उम्मीद है। आंदोलन के आयोजकों का कहना है कि यदि उनकी मांगों को न माना गया, तो आंदोलन और भी उग्र रूप ले सकता है। इस महापड़ाव में सांचौर जिले की पुनः बहाली की मांग प्रमुख मुद्दा होगी।

सरकार की चुनौती और जनता की अपेक्षाएँ
जनता का मानना है कि सांचौर जिले को पुनः बहाल किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल स्थानीय लोगों को प्रशासनिक सुविधाएं मिली थीं, बल्कि यह उनके सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी जरूरी था। अब यह देखना होगा कि राजस्थान सरकार जनता के इस आक्रोश का समाधान कैसे करती है और क्या वह सांचौर जिले को पुनः बहाल करने के फैसले पर पुनर्विचार करेगी।

राजनीतिक प्रभाव और भविष्य का अनुमान
इस आंदोलन का राजनीतिक प्रभाव भी दूरगामी हो सकता है। सांचौर जिले की बहाली को लेकर जनता का दबाव बढ़ता जा रहा है, और अगर यह मुद्दा नहीं सुलझा तो सरकार के लिए यह एक बड़ा चुनौती बन सकता है। आने वाले दिनों में यह सवाल उठेगा कि सरकार अपनी नीतियों में किस तरह बदलाव करती है और जनता के साथ संवाद कैसे बढ़ाती है।

Must Read: प्रदेश में निरोगी राजस्थान की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी ‘घर-घर औषधि योजना: मुख्यमंत्री गहलोत

पढें राजनीति खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें First Bharat App.

  • Follow us on :