ISRO @ पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-08 लांच: इसरो ने नवीनतम पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘ईओएस-08’ श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई

भारत की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी। मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इसरो ही यह उपलब्धि भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।

इसरो ने नवीनतम पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘ईओएस-08’ श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई

जयपुर, 16 अगस्त 2024। इसरो के नवीनतम पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘ईओएस-08’ को शुक्रवार सुबह 9:17 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान डी3 द्वारा लांच कर दिया। भारत की इस उपलब्धि पर PM Narendra Modi ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी।

Modi ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इसरो ही यह उपलब्धि भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। इस उपलब्धि के लिए हमारे वैज्ञानिकों और उद्योग जगत को बहुत बहुत बधाई। यह बेहद खुशी की बात है कि भारत के पास अब एक नया लॉन्च वाहन है। लागत प्रभावी एसएसएलवी अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और निजी उद्योग को भी प्रोत्साहित करेगा। मेरी शुभकामनाएं।  


इसरो ने इसे लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान डी3 द्वारा लांच किया गया। EOS-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्य माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास करना, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ सृजित पेलोड उपकरणों का निर्माण करना तथा भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को शामिल करना है।

होगी आपदा निगरानी 
माइक्रो सैट/आईएमएस-1 बस पर निर्मित ईओएस-08 तीन पेलोड ले जाता है। इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) और एसआईसी यूवी डोसिमीटर पेलोड शामिल है।

ईओआईआर पेलोड को उपग्रह-आधारित निगरानी, ​​आपदा निगरानी, ​​पर्यावरण निगरानी, ​​आग का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन और औद्योगिक और बिजली संयंत्र आपदा निगरानी जैसे अनुप्रयोगों के लिए दिन-रात मिड-वेव आईआर (MIR) और लॉन्ग-वेव आईआर (LWIR) बैंड में इमेज को प्राप्‍त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

वहीं जीएनएसएस-आर पेलोड समुद्री सतह वायु विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, हिमालयी क्षेत्र में क्रायो स्फीयर अध्ययन, बाढ़ का पता लगाने और अंतर्देशीय जल निकायों का पता लगाने जैसे अनुप्रयोगों के लिए जीएनएसएस-आर-आधारित रिमोट सेंसिंग का उपयोग करने की क्षमता प्रदर्शित करता है। 

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