India @ मुखर्जी पोर्ट कोलकाता: भारत ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह पर एलपीजी का जहाज से जहाज प्रचालन किया शुरू
देश के सबसे पुराने नदी स्थित प्रमुख बंदरगाह के लिए नई व्यावसायिक संभावनाएं खुलने की उम्मीद है, बल्कि पर्याप्त विदेशी मुद्रा की बचत के मामले में व्यापार और देश को भी लाभ होगा। इस प्रकार एसएमपी, कोलकाता में एसटीएस प्रचालन द्वारा भारतीय तट में आयातित एलपीजी के संचालन से समग्र अर्थव्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव आने...
नई दिल्ली, एजेंसी
नदी चैनल में सीमित प्रारूप के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट कोलकाता (पूर्व में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट) के हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स (एचडीसी) या कोलकाता डॉक सिस्टम (केडीएस) में उद्यम करने से पहले पड़ोसी बंदरगाहों पर कार्गो की आंशिक ऑफलोडिंग की आवश्यकता होती है। दो पोर्ट डिस्चार्ज के परिणाम स्वरूप, पोतों को निष्फल माल भाड़ा (डेड फ्रेट) और अतिरिक्त स्टीमिंग समय लगता है। अंत र्निहित चैनल बाधाओं को दूर करने के लिए एसएमपी कोलकाता ने सागर, सैंडहेड्स और एक्स प्वाइंट पर स्थित डीप ड्राफ्टेड एंकरेज में केप साइज या बेबी केप पोतों को लाने तथा फ्लोटिंग क्रेन या शिप क्रेन की तैनाती के माध्यम से पूरी तरह से लदे ड्राई बल्क पोतों के संचालन में सक्षम बनाने के लिए आयातकों के लिए अवसरों को खोलने का प्रयत्न किया है। रणनीतिक रूप से लाभप्रद इस स्थान के कारण, एचडीसी ने एलपीजी आयातित पीओएल उत्पादों और अन्य तरल कार्गो के लिहाज से व्यापार से मांग में वृद्धि का अनुभव किया है। एचडीसी पर एलपीजी आयात की मात्रा में क्रमिक वृद्धि का विवरण नीचे प्रस्तुत किया गया है। बीपीसीएल, आईओसीएल, एचपीसीएल जैसी तेल विनिर्माण कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधन तथा एलपीजी और अन्य तरल उत्पादों के अग्रणी निजी आयातकों के साथ कई विचार-विमर्शों ने उन आंतरिक लाभों की ओर इंगित किया। इनका उपयोग एसएमपी, कोलकाता के डीप ड्राफ्टेड एंकरेज पॉइंट्स पर एलपीजी/तरल कार्गो के जहाज-से-जहाज हस्तांतरण (एसटीएस) की सुविधा के विस्तार के माध्यम से किया जा सकता है। एकल बंदरगाह संचालन न केवल हल्दिया में प्रारूप प्रतिबंध से उबरने में सक्षम बनाएगा जिससे विफल माल भाड़ा (डेड फ्रेट) निष्प्रभावी होगा, बल्कि अधिक कार्गो की गतिशीलता में भी मदद करेगा, जिससे इकाई लागत कम हो जाएगी।
सीमा शुल्क विभाग से मिली अनुमति
कोलकाता स्थित एचडीसी, एसएमपी ने पूरी तरह से लदे पोतों के संचालन के लिए अपनी सीमा के भीतर एलपीजी के एसटीएस ऑपरेशन के अन्वेषण के लिए एक अग्रणी पहल की और सीमा शुल्क अधिकारियों से इस तरह के संचालन की अनुमति देने का अनुरोध किया। सीमा शुल्क विभाग के साथ इस मामले को आगे बढ़ाया गया और उन्होंने उदारतापूर्वक इस आग्रह पर विचार किया तथा 26.04.2021 को ऐसे एसटीएस ऑपरेशन की अनुमति देने के लिए आवश्यक मंजूरी प्रदान कर दी। इसके अतिरिक्त, सामान्य रूप से लाइटरेज प्रचालन को बढ़ावा देने के लिए, एसएमपी, कोलकाता ने पोत और कार्गो संबंधित शुल्कों के संदर्भ में पर्याप्त छूट प्रदान की और पोर्ट द्वारा विशेष रूप से सैंडहेड्स पर एसटीएस ऑपरेशन के लिए टग किराया शुल्क के लिए एक अतिरिक्त रियायत दी गई। इस अग्रणी पहल के परिणामस्वरूप, भारतीय तट में एलपीजी का अब तक का पहला एसटीएस प्रचालन 15 अक्तूबर, 2021 को बीपीसीएल द्वारा किया गया। बीपीसीएल ने सेवा प्रदाता मैसर्स फेंडरकेयर मरीन को अपतटीय एसटीएस स्थान पर सेवाएं प्रदान करने के लिए नियुक्त किया।
महज 17 घंटों में सराहनीय कार्य
तरल कार्गो के एसटीएस प्रचालन के क्षेत्र में एक विख्यात कंपनी मैसर्स फेंडरकेयर मरीन ओमेगा लॉजिस्टिक्स सहायता प्रदान कर रही है। एसटीएस साइट पर पोत की बर्थिंग के लिए टग और बड़े आकार के योकोहामा फेंडरों की टोइंग/प्लेसिंग करने की सुविधा एसएमपी कोलकाता द्वारा प्रदान की जा रही है। 44551 एमटी कार्गो के पार्सल लोड के साथ मदर वेसल एमटी युशान ने सैंडहेड्स में डॉटर वेसल एमटी हैम्पशायर के साथ एसटीएस प्रचालन किया। कार्गो प्रचालन 15.10.2021 को 12:48 बजे शुरू हुआ और 16.10.2021 को 06:06 बजे पूरा हुआ। इस प्रकार, लगभग 17 घंटे की छोटी समय सीमा के भीतर, 23051 मीट्रिक टन कार्गो की मात्रा को डॉटर वेसल में हस्तांतरित कर दिया गया।
विदेशी मुद्रा की बचत और देश को होगा लाभ
तत्काल एसटीएस प्रचालन से न केवल देश के सबसे पुराने नदी स्थित प्रमुख बंदरगाह के लिए नई व्यावसायिक संभावनाएं खुलने की उम्मीद है, बल्कि पर्याप्त विदेशी मुद्रा की बचत के मामले में व्यापार और देश को भी लाभ होगा। इस प्रकार एसएमपी, कोलकाता में एसटीएस प्रचालन द्वारा भारतीय तट में आयातित एलपीजी के संचालन से समग्र अर्थव्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना है।
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