भारत को जल्द मिलेगी अमेरिकी वैक्सीन : DCGI ने भारत में अमेरिकी कंपनी की कोरोना वैक्सीन को दी मंजूरी, जल्द होगी सप्लाई शुरू

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन के भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। देश को मिलने वाली ये चौथी वैक्सीन है। इससे पहले कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-V को भी मंजूरी मिल चुकी है।

DCGI ने भारत में अमेरिकी कंपनी की कोरोना वैक्सीन  को दी मंजूरी, जल्द होगी सप्लाई शुरू

नई दिल्ली।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने अब भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए एक नई कंपनी को मंजूरी दे दी है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही भारत में अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना (American company Moderna) की कोरोना वैक्सीन लोगों को लगाई जा सकती है। हालांकि इससे पहले इस के टॉयल का दौर भी चलेगा, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि ये जल्द भारतीय बाजार में उपलब्ध हो सकती है। 
जानकारी के मुताबिक भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मॉडर्ना को मंजूरी दी गई है। सिप्ला कंपनी (Cipla company) को इस वैक्सीन के आयात की इजाजत दी गई है। सिप्ला को देश में 100 लोगों पर ब्रिज ट्रायल की शर्त को पूरा करना ही होगा। मॉडर्ना पहली ऐसी इंटरनेशनल वैक्सीन है, जो पूरी तरह तैयार होकर विदेश से आएगी और इसकी डोज लोगों को दी जाएगी। देश को मिलने वाली ये चौथी वैक्सीन है। इससे पहले कोवीशील्ड (Covishield), कोवैक्सिन (Covaxin) और स्पुतनिक-V (Sputnik-V) को भी मंजूरी मिल चुकी है। वहीं इसके अलावा DRDO ने कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर होता है, जिसे पानी में घोलकर दिया जाता है।

मॉडर्ना विदेश से होगी आयात
मॉडर्ना (Moderna) को भारत में पहली इंटरनेशनल वैक्सीन इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यह सीधे इंपोर्ट होगी। भारत में इसकी मैन्युफैक्चरिंग नहीं होगी। जबकि इससे पहले भारत में लगाई जा रही वैक्सीन कोवीशील्ड को देश में सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) बना रहा है। जबकि कोवैक्सिन को भारत बायोटेक और आईसीएमआर ICMR मिलकर बना रहे हैं। वहीं रूस की स्पुतनिक-V की मैन्युफैक्चरिंग भारत में डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज करेगी। डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज स्पुतनिक के डेवलपर रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की भारतीय पार्टनर है।

सिप्ला को 100 लोगों पर देना होगा ब्रिजिंग ट्रायल
मॉडर्ना और फाइजर उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत सरकार से अपील की थी कि वह इमरजेंसी यूज की इजाजत देने के बाद होने वाले लोकल ट्रायल की बाध्यता को खत्म करें। लेकिन सिप्ला को 100 लोगों पर ट्रायल करना होगा। हालांकि, विदेशी वैक्सीन को भारत में अप्रूवल मिलने पर पहले 1500-1600 लोगों पर ट्रायल करना होता था। लेकिन 15 अप्रैल को सरकार ने पॉलिसी में बदलाव कर इसे 100 लोगों तक सीमित कर दिया था।

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