राजस्थान के पुर्व राज्यपाल का निधन: राजस्थान, गुजरात के पुर्व राज्यपाल और न्यायमूर्ति अंशुमान सिंह का निधन

न्यायमूर्ति अंशुमान सिंह ने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में 16 जनवरी, 1999 को पदभार ग्रहण किया था। सिंह राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे थे

राजस्थान, गुजरात के पुर्व राज्यपाल और न्यायमूर्ति अंशुमान सिंह का  निधन

जयपुर।
राजस्थान और गुजरात के राज्यपाल रहे अंशुमान सिंह (Anshuman Singh)  का सोमवार सुबह विधन हो गया। उनके निधन की खबर से राजनीतिक क्षेत्र और उनके शुभचिंतकों के बीच शोक छा गया।  उन्होंने 85 वर्ष की उम्र में लखनऊ के अस्पताल में अंतिम सांस ली। फिलहाल उनके पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए प्रयागराज ले जाया जा रहा है। बताया गया है कि वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ्य चल रहे थे। उनके निधन की जानकारी मिलते ही उनके निवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालोंं का तांता लग गया। सोमवार सुबह सिंह के निधन की सूचना मिलने के बाद राज्यपाल कलराज मिश्र (kalraj mishra ) और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने गहरा दु:ख जताया है। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति रहे अंशुमान सिंह ने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में 16 जनवरी, 1999 को पदभार ग्रहण किया था। वह राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे थे। 

आज शाम प्रयागराज में होगा अंतिम संस्कार
आज शाम प्रयागराज में ही रसूलाबाद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। वह 1984 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज बने थे।  पिछले साल कोरोना की वजह से अमेरिका से आए बेटे को उन्होंने एयरपोर्ट से ही वापस लौटा दिया था। वह संविधान के अच्छे जानकार थे। जस्टिस अंशुमान सिंह के निधन की खबर से कानूनविद भी शोक में आ गए। 

1957 में शुरू कर दी थी वकालात
अंशुमान सिंह का जन्म 7 जुलाई, 1935 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1957 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद कानून के क्षेत्र में गहरी रूचि के कारण वर्ष 1957 में 22 वर्ष की आयु में ही जिला न्यायालय, इलाहाबाद में वकालत शुरू कर दी थी। वर्ष 1968 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जुड़े और अपनी मेहनत और न्याय के लिये प्रतिबद्धता के कारण वर्ष 1976 में आपको इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सरकारी वकील के रूप में नियुक्त किया गया। वर्ष 1984 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुए। सिंह इलाहाबाद उच्च न्यायालय की मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भी रहे। कार्यकाल में कर्मचारी कल्याण की अनेक योजनाएं शुरू की गई। 1994 में वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थानान्तरित किये गये। वर्ष 1996 में राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश नियुक्त हुए, और अपनी सेवानिवृति तक इस पद पर रहे। वर्ष 1994 से 1997 तक चार बार कार्यवाहक राज्यपाल के रूप में भी पद भार ग्रहण किया। 7 अप्रेल, 1998 को राजस्थान राज्य विधिक सेवा अधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 17 अप्रेल, 1998 को गुजरात का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस गरिमामय पद पर 13 मई 2003 तक आसीन रहे।

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