First Bharat @ बाजार पर नजर: कोरोना काल में काम आए थे आस पड़ोस के व्यापारी, अब त्योहारी सीजन में अच्छे व्यापार की उम्मीद

कोरोना माहमारी के दौर में जब शॉपिंग मॉल्स, ऑनलाइन खरीद बंद हो गई थी उस वक़्त आस-पड़ोस, गांव-कस्बे के व्यापारी ही काम आए थे। संकट के उस दौर में लोगों को अहसास हुआ था गली-मोहल्ले के छोटे व्यापारी कितने अहम हैं। जरूरत की हर चीज स्थानीय व्यापारियों ने उपलब्ध करवाई।

कोरोना काल में काम आए थे आस पड़ोस के व्यापारी, अब त्योहारी सीजन में अच्छे व्यापार की उम्मीद
गौरव अग्रवाल,
फर्स्ट भारत
सरुपगंज।
कोरोना माहमारी के दौर में जब शॉपिंग मॉल्स, ऑनलाइन खरीद बंद हो गई थी उस वक़्त आस-पड़ोस, गांव-कस्बे के व्यापारी ही काम आए थे। संकट के उस दौर में लोगों को अहसास हुआ था गली-मोहल्ले के छोटे व्यापारी कितने अहम हैं। जरूरत की हर चीज स्थानीय व्यापारियों ने उपलब्ध करवाई। खाने पीने से लेकर पहनने समेत किसी भी चीज की कमी नहीं देखी गई। अब त्योहारी सीजन में व्यापारियों को भी अच्छे व्यापार की उम्मीद है। ऑनलाइन व्यापार के चलन से स्थानीय दुकानदारों का व्यापार पिछले कुछ सालों से कमजोर होने लगा था। खासकर युवा पीढ़ी जो कि इस ऑनलाइन खरीद में अधिक रुचि लेने लगी। कोरोना की पहली लहर में ख़ौफ़ के चलते ऑनलाइन खरीद से लेकर स्थानीय बाजार पूरी तरह से बंद हो गया। लोगों को चिंता सताने लगी कि अब खाने-पीने का सामान कहा से आएगा। कही भूखे रहने की तो नौबत नहीं आ जाएगी, एक तो कोरोना का डर ऊपर से गृहस्थी चलाने का संकट भी खड़ा हो गया ऐसे वक्त में स्थानीय व्यापार काम आए और कोरोना से सतर्कता बरतते हुए जरूरत के सभी सामान उपलब्ध करवाए,खास बात तो यह है कि जिस वक्त लोग घरों से बाहर निकलने में भी डर रहे थे उस वक़्त स्थानीय व्यापारियों ने होम डिलीवरी की व्यवस्था कर सामान घर तक पहुंचाया।
कोविड के प्रभाव से उबरने में किराणा व्यवसाय को भी लगेगा समय
कोरोना महामारी ने आर्थिक जगत की पूरी तस्वीर ही बदलकर रख दी लेकिन किराणा व्यवसाय पर विशेष फर्क नहीं पड़ा।लॉकडाउन के दौरान भी निर्धारित समय तक दुकानें खोंलने की रियायत ने इनका व्यापार होता रहा। कोरोना के पहले एवम बाद में आए बदलावों से इस व्यवस्था से जुड़े दुकानदारों को भी परिवहन को लेकर थोड़ी दिक्कतें जरूर हुई लेकिन यातायात व्यवस्था बहाल होते ही कारोबार फिर पटरी पर लौट आया। किराणा व्यावसायियों ने बताया कि दाल, चावल, बिस्किट समेत आवश्यक वस्तुओं में शुमार होने के कारण इनकी आपूर्ति जारी रही। मुख्य प्रभाव परिवहन व्यवस्था की वजह से जरूर पड़ा था लेकिन यह समस्या ज्यादा दिनों तक नहीं रही।
किराणा व्यापारियों की जुबानी

कोरोना के शुरुआती दौर में ड़र इतना था कि लोग दुकान पर नहीं आते थे सामान लेने, लेकिन ऐसे वक्त में ग्राहकों के फोन आने लगे तो एहसास हुआ कि यही वक़्त है व्यापार के माध्यम से लोगों की मदद करने का। गाइडलाईन की पालना के साथ दुकान खोलकर लोगों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई।
जितेंद्र बंसल,किराणा व्यापारी,सरुपगंज।

कोरोना के दौरान कुछ घण्टो के लिए ही दुकान खुलती थी। खाद्य सामग्री की खपत तो होती थी लेकिन परिवहन व्यवस्था की वजह से आपूर्ति नहीं हो पा रही थी।लोगो के एक कॉल पर खाद्य सामग्री उनके घर तक पहुंचाई है। अब उम्मीद करते है कि त्योहारी सीजन में अच्छा कारोबार होगा।
अमृत प्रजापत
कलावती सुपर मार्केट,सरुपगंज।

लॉकडाउन में यातायात व्यवस्था ठप्प होने से व्यापार प्रभावित हुआ था लेकिन अब स्थिति सामान्य हो गई है। क्षेत्रवासियो से अपील करते है कि स्थानीय व्यपारियो से ही खरीदी करे ताकि देश का पैसा देश में रहे।ऑनलाइन खरीदी का बहिष्कार करे।

सांवरमल अग्रवाल,किराणा व्यापारी,सरुपगंज।

कोरोना व लॉकडाउन के बाद पहली दिवाली जब स्थिति सामान्य है।ऐसे में स्थानीय व्यपारियों को अच्छे कारोबार की उम्मीद है।क्षेत्रवासियो से उम्मीद करते है इस दिवाली से स्थानीय व्यापारियों से माल-सामान की खरीदी करे।
हरीश पुरोहित, किराणा व्यापारी,सरुपगंज।

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