पुलिस के इस कमांडो के जज्बे को सलाम: राजस्थान पुलिस का कमांडो लकवे से ग्रस्त होने के बावजूद वर्दी का निभा रहे हैं फर्ज, हर रोज 8 से 8 बजे तक की ड्यूटी में रहते है तैनात

झुंझुनूं के मंडावा निवासी राजस्थान पुलिस में कमांडाे महबूब खान लकवा ग्रस्त है लेकिन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक जयपुर की सड़क पर पुलिस की नाकाबंदी पॉइंट पर तैनात है। जयपुर में झाेटवाड़ा पुलिस थाना इलाके की खिरणी फाटक पुलिस चाैकी प्रभारी कमांडाे महबूब खान 1985 में पुलिस भर्ती हुए।

राजस्थान पुलिस का कमांडो लकवे से ग्रस्त होने के बावजूद वर्दी का निभा रहे हैं फर्ज, हर रोज 8 से 8 बजे तक की ड्यूटी में रहते है तैनात

जयपुर।
कहते है कि दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो सफलता भी इंसान के कदम चूमती है। इसी दृढ़ इच्छा शक्ति और आत्म विश्वास से भरे एक शख्स ने ना केवल पैरालिसिस जैसी गंभीर बीमारी को मात दी, बल्कि मजबूत इरादों के चलते शारीरिक दुर्बलता को दरकिनार कर कोरोना महामारी में वर्दी का फर्ज निभाते हुए नजर आ रहे है। आज हम बात कर रहे है राजस्थान पुलिस के एक ऐसे कमांडो की, जो ब्रेन हेमरेज होने के बाद लकवे जैसी बीमारी से ग्रस्त है, लेकिन इसके बावजूद  कमांडो का हौंसला इतना बुलंद है कि कोरोना काल में भी लगातार  साल के 365 दिन, हर रोज 12 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहे और पुलिस के जवानों का भी हौंसला बुलंद किया हैं। 


खिरणी फाटक चौकी पर मिलेंगे कमांडो महबूब खान
झुंझुनूं के मंडावा निवासी राजस्थान पुलिस में कमांडाे महबूब खान लकवा ग्रस्त है लेकिन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक जयपुर की सड़क पर पुलिस की नाकाबंदी पॉइंट पर तैनात है। जयपुर में झाेटवाड़ा पुलिस थाना इलाके की खिरणी फाटक पुलिस चाैकी प्रभारी कमांडाे महबूब खान 1985 में पुलिस भर्ती हुए। महबूब खान ने 1987 में आईटीबीपी मसूरी से कमांडो की ट्रेनिंग ली। वे तीस साल तक आईपीएस से लेकर न्यायाधीशों तक की सेवा में बतौर कमांडो तैनात रहे। 

2015 में आया लकवा, दृढ़ इच्छा शक्ति से कर रहे है ड्यूटी
20 सितंबर 2015 को अचानक कमांडाे महबूब खान काे ब्रेन हेमरेज हो गया। इससे उनका आधा शरीर पैरालिसिस की चपेट में आ गया। करीबन 45 दिन दुर्लभजी अस्पताल जयपुर में भर्ती रहे, इसमें से 25 दिन तो कोमा में रहे। कमांडाे खान बताते है कि फिजियाे थैरेपिस्ट की ओर से कराई जाने वाली एक्सरसाइज और कमांडाे ट्रेनिंग के दाैरान मिले प्रशिक्षण का उन्हें फायदा मिला और दाे साल में उन्हाेंने खुद काे रिकवर कर लिया। हालांकि लकवे की वजह से आज भी उनके शरीर का बायां हिस्सा काम नहीं करता है लेकिन चुस्ती के साथ ड्यूटी करना उनकी जीवन में समा गया है। आज भी महबूब खान ढंग से चल नहीं सकते हैं, खड़े होने के लिए भी उनको लकड़ी की जरूरत पड़ती है और हरदम उनकी जेब में दवाइयां मिलती है, ड्यूटी पॉइंट पर उनके परिवार जन छोड़कर जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कोरोना काल में ड्यूटी मिस नहीं करते हैं। 

आईपीएस गौरव श्रीवास्तव ने किया ड्यूटी के प्रति प्रेरित
पैरालिसिस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद कमांडो महबूब खान शारीरिक तौर पर तो कमजोर हो गए, लेकिन मानसिक तौर पर अभी तक मजबूत थे। ऐसे में आईपीएल अधिकारी गौरव श्रीवास्तव से एक मुलाकात और कमांडो महबूब खान ने फिर से पहन ली वर्दी। हैड कांस्टेबल कमांडो महबूब खान ने बताया कि ​बीमारी के बाद लंबे समय तक घर पर रहे। इस दौरान एक बार आईपीएस गौरव श्रीवास्तव साहब ने बुलाया और बीमारी को नजर अंदाज कर नौकरी ज्वाइंन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा था कि घर पर बीमार बनकर बैठने से अच्छा है कि आप ड्यूटी पर आओ और सामर्थ्य के अनुसार कार्य करें। पुलिस  फोर्स की ओर से आप को हर संभव मदद मिलेगी। इसके बाद घर झोटवाड़ा पुलिस थाने में नौकरी ज्वाइंन की और यहां से पुलिस चौकी खिरणी फाटक पर पिछले दो साल से तैनात है।


शारीरिक दुर्बलता जरूर, लेकिन दिल—दिमाग आज भी कमांडो
कमांडाे महबूब खान का कहना है कि शारीरिक दुर्बलता जरूर हो गई है लेकिन दिल और दिमाग से मैं आज भी कमांडो ही हूं। जिस दिन हमने यह वर्दी पहनी थी ताे यही कसम खाई थी कि हम हर हाल में अपने फर्ज का अदा करेंगे। आज काेराेना महामारी से जनता काे बचाना हम सब का फर्ज है। महबूब कमांडाे पुलिस के फुर्तीले जवानाें में शामिल रहे हैं। वे 14 साल तक कई आईपीएस के गनमैन रहे। महबूब कमांडाे आईपीएल पुखराज सिरवी, जसवंत संपतराम, कपिल गर्ग, आरएस ढिल्लाे, आईजी एसएन जैन, ओपी गल्हाेत्रा के सुरक्षा गार्ड रह चुके है। इसके अलावा हाईकाेर्ट जज जेके रांका के भी सुरक्षा गार्ड रहे।

बीमारी से खराब हुए हालात, बच्चियों की पढ़ाई तक हुई बाधित
जयपुर के झोटवाड़ा पुलिस थाना इलाका निवासी महबूब खान की बीमारी में करीबन 15 लाख रुपए खर्च हो गए। ऐसे में अचानक परिवार की आर्थिक स्थिति खराब सी हो गई। चार बेटियां और एक बेटे सहित सात लोगों का खर्च चलाना और फिर दवाइयों में रुपए खर्च होने से बच्चियों की पढ़ाई तक बाधित हो गई। हालांकि दो बच्चियों की शादी कर दी तो दो बच्चियां 12 तक पढ़ाई की है। वहीं एक बेटा अभी पढ़ाई कर रहा है।

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