सिरोही : सुबह सात बजे मगरीवाड़ा में जो ट्रक पकड़ा वह रात तीन बजे मंडार पहुंच चुका था
गुजरात के पांथावाड़ा में शराब तस्कर लगातार धरे जा रहे हैं, लेकिन ऐन बॉर्डर पर राजस्थान के मंडार थाने में कोई कार्रवाई नहीं हो रही। क्या कारण है कि मंडार थाना क्षेत्र से गुजरते हुए शराब भरे वाहन आसानी से पार हो रहे हैं। इस थानो से महज दो किमी आगे पांथावाड़ा (गुजरात) के गुंदरी चेकपोस्ट पर पकड़ में आ रहे हैं।
- तो क्या पुलिस की साख बचाने को तस्कर ने मगरीवाड़ा के लिए यू-टर्न किया
- मंडार पुलिस ने अपनी पीठ तो थपथपा ली पर कार्रवाई सवालों के घेरे में
सिरोही. गुजरात के पांथावाड़ा में शराब तस्कर लगातार धरे जा रहे हैं, लेकिन ऐन बॉर्डर पर राजस्थान के मंडार थाने में कोई कार्रवाई नहीं हो रही। क्या कारण है कि मंडार थाना क्षेत्र से गुजरते हुए शराब भरे वाहन आसानी से पार हो रहे हैं। इस थानो से महज दो किमी आगे पांथावाड़ा (गुजरात) के गुंदरी चेकपोस्ट पर पकड़ में आ रहे हैं। इन सवालों के जवाब जानने के लिए फस्र्ट भारत की टीम ने पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इन सवालों के जवाब ढूंढे गए तो राजस्थान पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में नजर आ रही है। अपनी साख बचाने के लिए मंडार थाना पुलिस ने शराब की जो खेप बरामद की है वह कार्रवाई भी मिलीभगत की बताई जा रही है। पुलिस ने यह शराब गुजरात जाना बताया है, जबकि पकडऩे से कुछ घंटे पहले ही यह वाहन मंडार में था। रात करीब तीन बजे यह ट्रक मंडार से वापस रेवदर की ओर गया है। सुबह सात बजे मंडार थाना पुलिस ने इसे मगरीवाड़ा से कुछ आगे पकडऩा बताया है। जब वाहन चालक को अपना माल गुजरात पहुंचाना था तो मंडार से सीधा गुजरात निकल जाता यू टर्न लेकर वापस मगरीवाड़ा आने की क्या जरूरत थी। मंडार थाना पुलिस ने शराब भरा ट्रक पकड़ कर अपनी पीठ तो थपथपा ली, लेकिन यह पूरा मामला संदेह के दायरे में है।
तस्कर और पुलिस का गठजोड़ तो दिखता ही है
पुलिस ने मगरीवाड़ा के पास से जिस ट्रक को पकडऩे का दावा किया है वह इस कार्रवाई से कुछ घंटे पहले ही मंडार की ओर से रेवदर की तरफ आया था। ऐसे में इस बात की पुरजोर संभावना है कि अपनी साख बचाने के लिए मंडार पुलिस को एक कार्रवाई करनी थी और तस्करी का यह माल पकड़वाने के लिए मंडार तक पहुंचे वाहन को यू-टर्न देकर वापस मगरीवाड़ा तक पहुंचाया गया। अब यह जांच का विषय है कि मंडार तक पहुंच चुके शराब भरे ट्रक को वापस मगरीवाड़ा तक लाने का काम पुलिस ने ही किया या तस्करों के जरिए मंगवाया गया। चाहे जो हो, लेकिन दोनों ही तरह के मामलों में तस्कर और पुलिस का गठजोड़ तो दिखता ही है।
साख बचाने के चक्कर में कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
मान सकते है पुलिस यदि निष्पक्षता से चल रही होती तो जो माल गुंदरी में पकड़ा जा रहा है वह मंडार थाना पुलिस के हाथ लगता। लग तो यही रहा है कि गुजरात में लगातार हो रही कार्रवाई और मीडिया में उछल रहे मुद्दों से बचने के लिए तस्करों ने अपना कुछ माल और एक कुरियर को पुलिस के हत्थे सौंप दिया। यह सोचने वाली बात है कि बगैर किसी लाभ के पुलिस और तस्कर एक-दूसरे का ध्यान क्यों रखेंगे। जाहिर है मिलीभगत के सौदे में पुलिस ने अपनी साख तो बचा ली, लेकिन कार्रवाई ने भी सवाल छोड़ दिए।
पुलिस पहले ऐसा कर चुकी है
कुछ माह पहले रोहिड़ा थाना क्षेत्र के भूजेला में इसी तरह का मामला सामने आया था। आबकारी मुख्यालय से आई टीम ने यहां शराब का डम्पिंग यार्ड पकड़ा तो पुलिस ने भी अपनी साख बचाने के लिए सरूपगंज पुलिस थाना क्षेत्र में हाईवे पर कार्रवाई कर ली। कंटेनर पकड़ कर शराब जब्त की, लेकिन जांच में सामने आया कि यह कंटेनर कुछ समय से इसी एरिया में आवाजाही कर रहा था तो चंडीगढ़ से माल लेकर कैसे आया। जांच हुई तो पुलिस की मिलीभगत भी खुलकर सामने आ गई।
पुलिस अधीक्षक पर भी लग चुके हैं आरोप
गुजरात बॉर्डर का जिला होने से शराब तस्कर यहां अपनी डेरा जमाए रखते हैं। पुलिस से साठगांठ के बगैर तस्कर अपना काम नहीं कर पाते। लिहाजा तस्कर एवं पुलिस के बीच मिलीभगत का खेल लम्बे समय से चल रहा है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हिम्मत अभिलाष पर इसके आरोप लग चुके हैं तथा जांच में इसे सही भी माना गया। इसके बाद पुलिस अधीक्षक समेत थानों में पदस्थापित कई पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हुई तथा इनको सिरोही से बाहर भेजा गया।
इनका कहना
मुझे ऐसी जानकारी नहीं है। अगर ऐसी बात हैं तो जल्द कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
- बृजेश सोनी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,सिरोही।
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