राजस्थान पंचायती राज 3 अधिकारी सस्पेंड: पंचायती राज मंत्री रमेश चंद मीणा ने बीएसआर दर से ज्यादा फर्म को भुगतान करने पर 3 अधिकारियों को किया सस्पेंड
नागौर पंस के एक मामले में बीएसआर दर से ज्यादा फर्म को भुगतान करने पर तत्कालीन तीन अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। दरअसल, पंचायत समिति नागौर में टीएफसी एवं एसएफसी मद से वित्तीय वर्ष 2015 से 2018 के मध्य में करवाए गए निर्माण कार्यों में अनियमितताओं को लेकर राज्य सरकार ने तीन अधिकारियों को निलंबित किया है।
जयपुर।
ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग की योजनाओं को पारदर्शी धरातलीय क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेश चंद मीणा का विशेष फोकस है।
कई जिलों का दौरा कर उन्होंने विकास कार्यों का ग्रास रूट पर निरीक्षण के दौरान अधिकारी-कर्मचारियों स्पष्ट हिदायत दी कि लापरवाही, अनियमितता एवं भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति कायम है। नागौर पंस के एक मामले में बीएसआर दर से ज्यादा फर्म को भुगतान करने पर तत्कालीन तीन अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है।
दरअसल, पंचायत समिति नागौर में टीएफसी एवं एसएफसी मद से वित्तीय वर्ष 2015 से 2018 के मध्य में करवाए गए निर्माण कार्यों में अनियमितताओं को लेकर राज्य सरकार ने तीन अधिकारियों को निलंबित किया है।
उल्लेखनीय है कि खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल ने भी नागौर पंचायत समिति के इस मामले को लेकर विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान प्रश्न लगाया था।
इस पर पंचायती राज मंत्री ने प्रकरण को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए।
पंचायती राज विभाग के शासन सचिव पीसी किशन ने एक आदेश जारी कर सतपाल तत्कालीन विकास अधिकारी पंचायत समिति नागौर हाल विकास अधिकारी पंचायत समिति मालपुरा जिला टोंक, हरिराम फिड़ौदा तत्कालीन सहायक अभियंता पंचायत समिति नागौर हाल अधिशासी अभियंता अभियांत्रिकी जिला परिषद जोधपुर एवं हरि गोपाल धूत सहायक लेखा अधिकारी -1 पंचायत समिति खींवसर जिला नागौर के विरुद्ध विभागीय जांच कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।
उक्त कार्मिकों को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 13 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
नागौर जिले के पंचायत समिति नागौर में वर्ष 2015 से 18 के मध्य करवाए गए कार्यों के जांच हेतु जिला कलेक्टर नागौर द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया था।
कमेटी द्वारा जब जांच की गई तो मेसर्स ताराचंद नाई अलाय नागौर को 9 लाख 53 हजार 10 एवं मैसर्स महादेव बिल्डर्स नागौर को 88 हजार 900 का अधिक भुगतान पाया गया। इस पर जांच कमेटी द्वारा दोनों फर्मो से अधिक भुगतान की वसूली की अभिशषा की गई।
यह था मामला
पंचायत समिति नागौर के ग्राम पंचायत सिणोद में सार्वजनिक सिंगल फेज ट्यूबेल खुदाई एवं केसिंग पाइप के आइटम में अनुमोदित बीएसआर दर से 88 हजार 900 रुपए का अधिक भुगतान संबंधित फर्म को किया गया।
ग्राम पंचायत भदाणा, कालड़ी, खारी, कर्मसोता, सिंगड़, अमरपुरा, झाड़ीसरा एवं खारी कर्मसोता में बिना निविदा प्रक्रिया के कार्य करवाए गए।
इन ग्राम पंचायतों में भी ट्यूबवेल खुदाई एवं केसिंग पाइप के आइटम पर भी अनुमोदित बीएसआर दर से 9 लाख 53 हजार 10 रुपए का अधिक भुगतान संबंधित फर्म को किया गया।
जांच कमेटी द्वारा निविदा नहीं करवाने के लिए उक्त अवधि में कार्यरत रहे विकास अधिकारी, सहायक लेखा अधिकारी सहित अन्य संबंधित लोगो को जिम्मेदार माना गया था।
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