हारने के बाद किया था अध्यात्म का रुख: एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का ब्रह्माकुमारी संस्थान से रहा है गहरा लगाव
अध्यात्म में गहरी रुचि ही मुर्मू को यहां खींच लाई। करीब 13 साल पहले वह माउंट आबू के ब्रह्मकुमारी संस्थान से जुड़ीं। बेटे की मौत के बाद इस संस्थान से उनका रिश्ता और गहरा हो गया। डिप्रेशन दूर करने के लिए यहां राजयोग सीखा था। इसके अलावा, संस्थान के कई कार्यक्रमों का भी हिस्सा बन चुकी हैं।
सिरोही। राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार आदिवासी महिला और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू अब सुर्खियों में हैं। एनडीए ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू के नाम का एलान किया है। मुर्मू का देश और दुनिया में अध्यात्म का अलख जगा रही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक संस्थान से गहरा जुड़ाव रहा है। 2009 में मुर्मू संस्थान से जुड़ीं और ब्रह्माकुमारी बहनों ने उन्हें राजयोग मेडिटेशन सिखाया था। वे कई बार आबूरोड आ चुकी हैं।
मुर्मू की अध्यात्म और मेडिटेशन में बहुत रुचि है। वे आध्यात्मिक ज्ञान और मेडिटेशन के लिए राज्यपाल रहते दो बार और उसके पहले भी काफी बार ब्रह्माकुमारी संस्थान के राजस्थान में माउंट आबू स्थित मुख्यालय में आती रही हैं। इसके अलावा जब भी उन्हें मौका मिलता है तो वे देश के अलग-अलग राज्यों में फैले संस्थान के सेंटर्स में लगातार जाती हैं और मुरली क्लास में भी हिस्सा लेती रही हैं।
वे यह स्वीकार कर चुकी है कि राजयोग मेडिटेशन और संस्था के ज्ञान ने उनकी जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में बहुत मदद की है। द्रौपदी मुर्मू ने कई कार्यक्रमों में अध्यात्म के जरिए विश्व परिवर्तन के संस्थान के प्रयासों की खुले मन से प्रशंसा की हैं। मुर्मू के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने से संस्थान के मुख्यालय और सदस्यों में उत्साह का माहौल है। ब्रह्माकुमारी संस्थान के कार्यकारी सचिव बी. के. मृत्युंजय ने फोन कर उन्हें बधाई दी और उनके सफलता की कामना की है।
वह एक दो बार नहीं, बल्कि कई बार राजस्थान के माउंट आबू और आबूरोड (सिरोही) आ चुकी हैं। अध्यात्म में गहरी रुचि ही मुर्मू को यहां खींच लाई। करीब 13 साल पहले वह माउंट आबू के ब्रह्मकुमारी संस्थान से जुड़ीं। बेटे की मौत के बाद इस संस्थान से उनका रिश्ता और गहरा हो गया। डिप्रेशन दूर करने के लिए यहां राजयोग सीखा था। इसके अलावा, संस्थान के कई कार्यक्रमों का भी हिस्सा बन चुकी हैं।
मुर्मू ओडिशा में संथाल आदिवासी समाज से आती हैं। उनका पूरा जीवन संघर्ष से भरा रहा है। साल 2000 में उन्हें विधायक का टिकट मिला। जनता ने उन्हें जिताया भी। वह मंत्री बनीं। 2009 में वे चुनाव हार गईं और अपने गांव लौट आईं। इसी बीच, एक हादसे में उनके बेटे की मौत हो गई। वे डिप्रेशन में चली गईं। संस्थान के कार्यकारी सचिव बी.के. मृत्युंजय के अनुसार, इसके बाद मुर्मू 2009 में संस्थान से जुड़ीं और राजयोग सीखा। इसके बाद वे लगातार संस्थान के संपर्क में रहीं। समय-समय पर यहां आती रहीं। किसी तरह वे सदमे से बाहर आ पाई थीं। साल 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी दुर्घटना में मौत हो गई। 2014 में उन्होंने पति को भी खो दिया। इसके बाद वो अध्यात्म के और करीब आ गईं।
द्रौपदी मुर्मू संस्थान के कई कार्यक्रमों में शामिल हो चुकी हैं। 2 बार तो झारखंड की राज्यपाल रहते हुए आईं। 31 जनवरी 2016 को एक कार्यक्रम में वे यहां आई थीं। 8 फरवरी 2020 को मूल्य शिक्षा महोत्सव कार्यक्रम में भाग लेने के लिए संस्थान पहुंची थीं। राष्ट्रपति पद के लिए उनके नाम की घोषणा होने के बाद यहां संस्थान के सदस्यों में खुशी की लहर है। संस्थान के कार्यकारी सचिव बी.के. मृत्युंजय ने फोन कर उन्हें बधाई दी है।
देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं प्रतिभा पाटिल भी राष्ट्रपति बनने से पहले ब्रह्मकुमारी संस्थान आ चुकी हैं। वे उस समय राजस्थान की राज्यपाल थीं। जब UPA की ओर से उनके नाम की घोषणा हुई थी तो वे माउंट आबू में ही थीं। बतौर राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद भी यहां आ चुके हैं।
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