जालोर: आहोर थानाधिकारी व दो कांस्टेबल के विरुद्ध लोकायुक्त में शिकायत
अपराधियों में भय, आमजन में विश्वास का स्लोगन लेकर काम करने वाली राजस्थान पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर बार बार सवाल उठते हैं।
- मानसिक रूप से परेशान करने सहित 1 लाख रुपये की घुस लेने का लगाया आरोप
जालोर। अपराधियों में भय, आमजन में विश्वास का स्लोगन लेकर काम करने वाली राजस्थान पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर बार बार सवाल उठते हैं। कभी शराब तस्करों से सांठगांठ में एसपी तक की संलिप्तता जाहिर होती हैं तो कभी मामले की जांच में कोई हेडकांस्टेबल रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया जाता हैं। लेकिन आज हम जिन खाकीधारियों की बात कर रहे हैं, उन्होंने तो हद ही पार कर दी हैं। राजस्थान प्रदेश के लोकायुक्त में कल जालोर जिले के आहोर थाना क्षेत्र के चरली गांव की एक गरीब दम्पति ने शिकायत भेजकर न्याय की गुहार लगाई हैं। चरली निवासी जीवाराम भील व उसकी पत्नी हस्तुदेवी ने लोकायुक्त को भेजी शिकायत में बताया कि उनकी खातेदारी भूमि चरली गांव में स्थित हैं। जिसके बेचान का एक एग्रीमेंट 25 सितम्बर 2020 को किया गया था। मगर इस एग्रीमेंट के दौरान खरीददार हराराम की तरफ से कोई रकम नहीं दी गई। साथ ही जिस व्यक्ति के नाम से एग्रीमेंट करवाया गया था। वो व्यक्ति वहां मौजूद ही नहीं था। ये एग्रीमेंट दो दलालों ने इस गरीब दम्पति को झांसे में लेकर निष्पादित करवाया था। लेकिन पैसे नहीं देने पर परिवादी जीवाराम भील व उसकी पत्नी ने उस आराजी भूमि में से 1/5 हिस्सा एक अन्य व्यक्ति हेमाराम को बेचान कर दिया। जिसको लेकर उन भूमाफियाओं ने इकरारग्रहिता हराराम को उकसाकर आहोर थाने में मामला भी दर्ज करवाया था। जिसके मुकदमा नम्बर 48/21 हैं।
इस मुकदमे की जांच आहोर थानाधिकारी स्वयं कर रहे हैं। और इसी जांच में थानाधिकारी घेवरसिंह और कांस्टेबल विजय मीणा व विष्णु ने जीवाराम व उसकी पत्नी पर अनैतिक दबाव बनाकर और मानसिक परेशान करते हुए एक लाख रुपये की घुस मांगी गई। जिस पर इस गरीब दम्पति ने अपनी बेची हुई भूमि से प्राप्त राशि में से एक लाख रुपये थानाधिकारी व दोनो कांस्टेबल को दी। बावजूद इन ख़ाकीधारियो ने इस दम्पति को डरना धमकाना जारी रखा, ताकि और घुस मिलती रहे। हालांकि दंपती ने उच्च न्यायालय में प्रार्थना पत्र पेश किया, जिस पर न्यायालय ने दंपती की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। वहीं मामला बढ़ता देख इकरारग्रहिता हराराम ने हस्तु देवी और जीवाराम से समझौता कर लिया और आपसी समझाइश से इकरारनामा बाबत निरस्त निष्पादित किया। जिसमें हराराम ने इस बात का करार किया कि इकरारनामे के अनुरूप बेचान के लिए दंपती को किसी तरह की राशि का भुगतान नहीं किया था, इस कारण दंपती ने जमीन का बेचान नहीं किया। ऐसे में पूरे मामले का ही पटाक्षेप हो गया, लेकिन खाकीधारियों की हरकतें नहीं रुकीं। हद तो तब हो गई जब जमीन खरीददार हेमाराम को भी जांच के नाम पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और बेचान के मूल दस्तावेज थानाधिकारी घेवरसिंह ने अपने कब्जे में ले लिए और दस्तावेज की फर्द जब्ती भी नहीं दी गई। दस्तावेज की मांग कर करने पर उल्टा झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जाने लगी। जिस पर जमीन खरीददार हेमाराम ने जोधपुर आईजी से मामले की निष्पक्ष जांच और थानाधिकारी व कांस्टेबलों के खिलाफ विभागीय जांच की गुहार लगाई। तो दूसरी तरफ पीड़ित दम्पति ने पुलिस अधीक्षक को और तत्पश्चात लोकायुक्त को शिकायत भेजी है।
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