Israel @ साइबर अटैक: चीन के हैकर्स ने इजराइल में किया साइबर अटैक, सरकारी संस्थाओं को बनाया निशाना

इजराइल में चीनी हैकर्स ने साइबर अटैक किया है। हैकर्स ने इजराइल की सरकारी संस्थाओं के साथ आईटी कंपनियों के अलावा टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को भी निशाना बनाया है। अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी कंपनी फर्स्ट आई ने इजराइल में इस हमले के पीछे चीने हैकर्स का हाथ बताया है।

चीन के हैकर्स ने इजराइल में किया साइबर अटैक, सरकारी संस्थाओं को बनाया निशाना

नई दिल्ली। 
इजराइल(Israel) में चीनी हैकर्स ने साइबर अटैक किया है। हैकर्स ने इजराइल की सरकारी संस्थाओं के साथ आईटी कंपनियों के अलावा टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को भी निशाना बनाया है। अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी कंपनी फर्स्ट आई ने इजराइल में इस हमले के पीछे चीने हैकर्स का हाथ बताया है। जानकारी के मुताबिक फर्स्ट आई(First eye) ने स्पष्ट किया है कि साइबर हैकर्स ने इन कंपनियों का फाइनेंस, टेक्नोलॉजी और बिजनेस से जुड़ा डेटा चोरी किया है। इस डेटा में यूजर्स का डेटा भी शामिल था। छानबीन में सामने आया है कि हैकर्स ने माइक्रो सॉफ्ट शेयर पॉइंट(Microsoft share point) के पुराने लूप होल को निशाना बनाया है। इसमें बताया गया है कि हैकर्स ने इस हमले की जिम्मेदारी ईरान पर थोपने की कोशिश की है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि हैकर्स ने ऐसे सबूत छोड़े है जिससे ईरान पर शक हो।  हैकर्स ने ऐसे टूल्स यूज किए जिनका उफयोग आमतौर पर ईरान(Iran) के हैकर करते हैं। उन्होंने आपस में फारसी में बात भी की।

हैकर्स का यह ग्रुप 2014 से कर रहा है हमला 
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि UNC215 ग्रुप 2014 से मिडिल ईस्ट, यूरोप, अमेरिका, एशिया में साइबर अटैक कर रहा है। हैकर्स का यह ग्रुप डिफेंस, सरकारी कार्यालय, टेक्नोलॉजी, टेलीकॉम  फाइनेंस और हेल्थ केयर सेक्टर को निशाना बनाता है। अमेरिकी कंपनी के मुताबिक इजराइल के रक्षा मंत्रालय (Israel's Ministry of Defense) के साथ मिलकर इस हमले की जांच की जा रही है। फर्स्ट आई ने सीधे चीन की सरकार को इस हमले का जिम्मेदार नहीं ठहराया है, लेकिन उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इजराइल पर हमले का फायदा चीन की सरकार को ही मिलेगा। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि ये हमला चीन की रणनीति का ही हिस्सा है। वह मिडिल ईस्ट(Middle East) में अपना दबदबा कायम करना चाहता है। हैकिंग के जरिए जो डेटा चुराया गया है, इससे चीन को फायदा मिल सकता है।

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