Rajasthan: भाजपा जिलाध्यक्ष की घोषणा में अभी और करना होगा इंतजार, 13 को आ सकती है सूची

आलाकमान तक पहुंची सिरोही भाजपा में चल रही गुटबाजी की खबर  जिलाध्यक्ष को लेकर दो नामों में फंसा पेंच 

भाजपा जिलाध्यक्ष की घोषणा में अभी और करना होगा इंतजार, 13 को आ सकती है सूची
BJP Rajasthan Chief Madan Rathore

सिरोही | भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने 7 दिन पहले यह दावा किया था कि 9 जनवरी तक जिलाध्यक्ष की घोषणा कर दी जाएगी लेकिन अब यह माना जा रहा है कि भाजपा खेमों में गुटबाजी के चलते जिलाध्यक्ष की घोषणा अभी कुछ दिन और टल सकती हैं। अब यह दावा है कि जिलाध्यक्षों की सूची 13 जनवरी तक आएगी। जिलाध्यक्ष कौन होगा यह तय करने में इस बार सत्ता की बजाय संगठन की चलेगी। क्योंकि मदन राठौड़ की सदारत वाली टीम चुनने के लिए नारायण पंचारिया के संयोजकत्व में जो लोग इस पर मंथन कर रहे हैं। वे संगठन के ही मजबूत लोग है। इनमें औंकार सिंह लखावत, घनश्याम तिवाड़ी और अरुण चतुर्वेदी का नाम है।

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिरोही जिले में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कई गुटों में बंटी भाजपा की गुटबाजी चौड़े आ गई है।जिलाध्यक्ष पद के लिए पूर्व महामंत्री, वरिष्ठ कार्यकर्ता समेत कई अन्य लोग इस दौड़ में है। जिलाध्यक्ष को लेकर सांसद, मंत्री, विधायक व विधायक प्रत्याशी समेत अन्य लोग भी अपने चहेते को जिलाध्यक्ष बनवाने के लिए जी-तोड़ मेहनत के साथ आलकामान तक लोबिंग में जुटे हुए है। इसी गुटबाजी को देखते हुए अब आलाकमान ने जिलाध्यक्ष की नियुक्ति का नाम अपने हाथ में ले लिया हैं।

अलग-अलग राग अलाप रहे सत्ता व संगठन

सिरोही जिले में भाजपा जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सत्ता व संगठन दोनों ही अलग अलग राग अलाप रहे है।अगर लोबिंग की बात करें तो सांसद, राज्यमंत्री और विधायक तीनों ही ऐसे व्यक्ति का अंदरखाने समर्थन कर रहे है जिसको अन्य कार्यकर्ता व पदाधिकारी बाहरी बता रहे है वहीं संगठन है जो एक पदाधिकारी का समर्थन कर रहे जो पूर्व में विभिन्न पदों पर रहकर संगठन को मजबूत करने का काम करता आया है साथ ही संगठन ये भी दावा कर रहा है कि इसी पदाधिकारी ने पहले त्याग का परिचय दिया है ऐसे में इस बार ऐसे कार्यकर्ता को मौका मिलने की बात कही जा रही है। एक महिला नेत्री और एक वरिष्ठ पदाधिकारी का भी नाम सुर्खियों में है। अब देखने वाली बात यह भी है आखिर संगठन चलाने में माहिर बीएल संतोष किस नाम पर मुहर लगाते है।

चार संभावित नाम मंगवाए-

भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने जिलाध्यक्ष को लेकर पूरी बागडोर अपने हाथ में ले ली है। जिलाध्यक्ष की घोषणा से पहले संभावित चार-चार नाम अपने पास मंगवाए है।ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सिरोही भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में किसकी ताजपोशी होती हैं।

राष्ट्रीय संगठन महामंत्री लगाएंगे अंतिम मुहर-

जिला और प्रदेश इकाई की तरफ से नाम चयनित किए गए है।जिलाध्यक्ष के नाम पर अंतिम मुहर अब संगठन महामंत्री बीएल संतोष लगाएंगे उसके बाद ही अब सिरोही जिलाध्यक्ष की घोषणा होगी।

दो नामों में फंसा पेंच-

विश्वस्त सूत्रों की माने तो सिरोही जिलाध्यक्ष के लिए दो नामों में पेंच फंसा हुआ हैं। शिवगंज निवासी पदाधिकारी जो कि दो बार जिले के संगठन महामंत्री पद की जिम्मेदारी संभालते हुए संगठन के लिए काम किया और आबूरोड निवासी जिला परिषद की पूर्व जिला प्रमुख अपनी कार्यशैली की बदौलत ग्रामीण इलाकों में अपनी अलग पहचान और पकड़ बना चुकी हैं।इन दोनों के नाम पर प्रदेश स्तर व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के स्तर पर मंथन हो रहा हैं।सूत्रों कि माने तो अन्य कई दावेदार अब दौड़ से लगभग बाहर हो चुके हैं।

दोनों ही दावेदारों का मजबूत और कमजोर पक्ष...

दो बार महामंत्री का मजबूत पक्ष-

दो बार संगठन महामंत्री रहने से संगठन चलाने का अनुभव साथ ही आरएसएस के एक दिग्गज जिनका प्रभाव प्रदेश से केंद्रीय स्तर तक बताया जाता हैं। पूर्व में बने जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित, सुरेश कोठरी भी इन्ही की बदौलत जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे हैं। आरएसएस के इन दिग्गज का शिवगंज निवासी पदाधिकारी को खुला समर्थन हैं।

कमजोर पक्ष

दो बार महामंत्री तो रहे लेकिन उस दौरान कुछ चूक कुछ विरोध और आरोप लगे थे। अब कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ता उन बातों को लेकर आपत्ति जताकर रोड़ा डालने का काम कर रहे हैं। सत्ता में बैठे राज्यमंत्री और विधायक भी इनके पक्ष में नहीं।

जिला प्रमुख रही महिला नेत्री का मजबूत पक्ष

जिले के ग्रामीण इलाकों में गहरी पैठ। जिला प्रमुख रहते दुरुस्त इलाकों में विकास कार्य इसका कारण। सरल व मिलनसार स्वभाव भी उनकी मजबूती का बड़ा कारण। उसके अलावा वर्तमान राज्यपाल और भाजपा के दिग्गज रहे ओम माथुर, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला समेत कई दिग्गजों की सिपाहलसार होना भी पूर्व प्रमुख का मजबूत पक्ष हैं।

पूर्व जिला प्रमुख का कमजोर पक्ष

संगठन व सत्ता पक्ष के लोगों की अंदरूनी नापसंद होना कमजोर पक्ष हैं।सिरोही-शिवगंज के विधायक और राज्यमंत्री को यह डर हैं कि अगर पूर्व जिला प्रमुख जिलाध्यक्ष बन गई तो टिकट की दावेदारी करेगी जैसे इस बार भी की थी।

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