महिला वन रक्षक की अनुठी पहल: सिरोही की महिला वनरक्षक ने रेस्क्यू सेंटर में लगाई वन्यजीवों की तस्वीरें, लोगों को वनजीवों के प्रति कर रही है जागरूक
वन्यजीवों को बचाने के साथ—साथ आम जनता को जागरूक करने की दिशा में एक महिला वन रक्षक ने अनुठी पहल की है। महिला वन रक्षक ने जहां रेस्क्यू सेंटर में वन्यजीवों से संबंधित अनेक तस्वीरें लगाई है, वहीं दूसरी ओर सांपों के बचाव की दिशा में भी अनुकरणीय कार्य किया है।
सिरोही।
वन्यजीवों को बचाने के साथ—साथ आम जनता को जागरूक करने की दिशा में एक महिला वन रक्षक ने अनुठी पहल की है। महिला वन रक्षक ने जहां रेस्क्यू सेंटर में वन्यजीवों से संबंधित अनेक तस्वीरें लगाई है, वहीं दूसरी ओर सांपों के बचाव की दिशा में भी अनुकरणीय कार्य किया है। महिला वन रक्षक की इस पहल और कार्य के चलते विभागीय अधिकारियों की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया।
जानकारी के अनुसार राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित पिण्डवाड़ा जैसे एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाली महिला अंजू चौहान वन विभाग में बतौर वनरक्षक कार्य कर रही है। इन्होंने अपनी काबिलियत और वन्यजीवों को बचाने के जुनून की बदौलत देशभर में अपनी अलग ही छवि बनाई है। इतना ही नहीं, इनके हुनर और कुशल कार्यप्रणाली के लिए इन्हें वन विभाग के उच्चस्थ अधिकारी द्वारा राज्य स्तर पर भी सम्मानित किया गया था। फिलहाल वनरक्षक मंजू चौहान पिंडवाड़ा में वन्यजीव रेस्क्यू इंचार्ज के तौर पर कार्य कर रही है।
इंटरप्रेटेशन सेंटर की तरह सजाया रेस्क्यू सेंटर
वनरक्षक अंजू चौहान को जैसे ही रेस्क्यू सेंटर के लिए विभाग की ओर से कक्ष आवंटित किया गया। इन्होंने तुरंत ही उसे कई तरह के वन्यजीवों की फ़ोटो सहित रोचक जानकारी के साथ दीवारों पर पोस्टर चस्पा कर सजा दिया। अंजू चौहान ने यह कार्य स्वयं के खर्च से किया है। वन्य जीवों से संबंधित कई तरह की जानकारियां एकत्रित कर अंजू ने उन्हें दीवार पर चस्पा किया है। इससे यहां आने वाले लोगों को अधिक से अधिक वन्यजीवों के प्रति जानकारी मिल सकें।
रेस्क्यू क्वीन के नाम से मिली पहचान
राजस्थान में साँपों को रेस्क्यू करने वाली महिला रेस्क्यूअर
अंजू चौहान को रेस्क्यू क्वीन के नाम से भी जाना जाता है। राज्यस्तर पर विभाग द्वारा भी इन्हें विशेष ट्रेनिंग दी गई है जिसके बाद आज अंजू चौहान साँपों के साथ अन्य वन्यजीव रेस्क्यू करने के लिए दिन रात कार्य करती है। अंजू बताती हैं कि “मैंने फील्ड कार्य को आसान करने के लिए वाहन चलाना सीखा हैं और अब रेस्क्यू किट गाड़ी में रखती हूं जैसे ही सूचना मिलती हैं, मैं पूर्ण उपकरण के साथ वहां पहुँच जाती हूं और घायल वन्यजीव को उनके अनुकूल आवास में छोड़ देती हूं, उसके साथ उनकी देखभाल व ज्यादा घायल होने पर सम्बन्धित स्टाफ से सलाह व मदद भी लेती हूं”।
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