Rajasthan से गुजरात नाबालिगों की तस्करी: राजस्थान से गुजरात भेजे जा रहे है नाबालिग, बीटी कॉटन में करवाया जा रहा है बाल श्रम, उदयपुर के 5 बच्चे गुजरात से भागकर पहुंचे सिरोही
राजस्थान से गुजरात नाबालिगों की तस्करी हो रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि ना तो पुलिस को इसकी भनक तक लगी और ना ही स्थानीय प्रशासन बाल श्रम रोकने में कामियाब हो पाया। नाबालिगों की तस्करी का खुलासा भी गुजरात से भागकर आए 5 बच्चों ने ही कर दिया। हालांकि बच्चों की व्यथा सुन स्थानीय प्रशासन, बाल कल्याण समिति सहित सिरोही
सिरोही।
राजस्थान से गुजरात नाबालिगों की तस्करी हो रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि ना तो पुलिस को इसकी भनक तक लगी और ना ही स्थानीय प्रशासन बाल श्रम रोकने में कामियाब हो पाया। नाबालिगों की तस्करी का खुलासा भी गुजरात से भागकर आए 5 बच्चों ने ही कर दिया। हालांकि बच्चों की व्यथा सुन स्थानीय प्रशासन, बाल कल्याण समिति सहित सिरोही जिला कलेक्टर हरकत में आ गए। आनन फानन में जहां पुलिस और बाल कल्याण समिति ने बच्चों को उनके परिजनों से मिलाने के प्रयास शुरू कर दिए, वहीं दूसरी ओर सिरोही जिला कलेक्टर ने बाल श्रम और नाबालिगों की तस्करी को देखते हुए सीमा पर सभी वाहनों की जांच के आदेश तक दे दिए। सिरोही बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रतन बाफना ने बताया कि बुधवार को मंडार पुलिस थाना इलाके में 5 बच्चों के घूमने की सूचना पर पुलिस ने उन्हे समिति के हवाले किया। समिति के सदस्यों ने बच्चों से बातचीत की तो बाल श्रम का मामले का खुलासा हुआ।
उदयपुर से गुजरात पहुंचाए गए थे पांचों बच्चे
बाल कल्याण समिति की पूछताछ में सामने आया है कि ये पांचों बच्चे गुजरात से भाग कर सिरोही के मंडार थाना इलाके में आए है। बच्चों ने बताया कि वे उदयपुर जिले के झाडोल तहसील के ओगणा गांव के है। गांव से उन्हें दिनेश नाम के एक व्यक्ति ने 100 रुपए रोजाना देने के बात कही। समिति के शशिकला मरडिया, प्रकाश माली, उमाराम देवासी ने बताया कि इसके बाद गुजरात के सातरवाडा में ले जाकर शंकर और भैरा नाम के ठेकेदारों को सौंप दिया। करीब 45 दिन बाद भी जब उन्हें रुपए नहीं दिए गए और मारपीट की जाने लगी तो वे मौका पाकर वहां से फरार हो गए।
बीटी कॉटन के लिए गुजरात भेेजे जा रहे है नाबालिग
गुजरात में बीटी कॉटन निकालने का कार्य इस समय जोरों पर है। मजदूरों की कमी के चलते ठेकेदार आसपास से नाबालिग बच्चों को लालच देकर कॉटन निकालने के लिए ले जाते है। जहां इन बच्चों से श्रम करवाया जाता है।
13 घंटे काम और खाना तक नहीं...
बच्चों के मुताबिक यहां सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक काम करवाया जाता है और खाना तक नहीं दिया जाता। काम सही से नहीं करने या कम करने पर इस मासूमों के साथ मारपीट तक की जाती है।
कलेक्टर ने निकाले आदेश
वहीं दूसरी ओर सिरोही कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने आज एक आदेश जारी कर उपखंड अधिकारी के साथ पुलिस अधिकारियों को वाहनों की जांच के आदेश तक दे दिए। कलेक्टर ने पत्र में माना कि गुजरात में बड़े स्तर पर बच्चों को भेजा जा रहा है। बाल श्रम रोकने के लिए अब सीमा पर लगी चैक पोस्ट पर सभी वाहनों की जांच की जाए।
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