अब मच्छर को बनाएंगे बांझ: विश्व में मच्छरों से सालाना 10 लाख लोगों की होती हैं मौत, अब मच्छरों की आबादी को काबू में करने की तैयारी

वैज्ञानियों ने मच्छरों की आबादी को काबू में करने का फैसला किया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही जीन एडिटिंग तकनीक से मच्छरों को बांझ बनाया​ दिया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है, यह तकनीक गेम चेंजर साबित हो सकती है और इससे जानलेवा बीमारी का खात्मा किया जा सकता है।

विश्व में मच्छरों से सालाना 10 लाख लोगों की होती हैं मौत, अब मच्छरों की आबादी को काबू में करने की तैयारी

नई दिल्ली, एजेंसी। 
मेडिकल हेल्थ सर्वे (Medical health survey)के मुताबिक सालाना करीबन 10 लाख लोगों की मौत मच्छरों (mosquitoes)से होने वाली बीमारी से हो जाती है। चौंकाने वाली बात तो यह है अकेले भारत (India) में मच्छर से होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए करीब 45 हजार करोड़ रुपये का बजट पास किया जाता है। लाखों—करोड़ों खर्च करने के बावजूद मलेरिया(Malaria) जैसी बीमारी से हजारों की संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। ऐसे में वैज्ञानियों ने मच्छरों की आबादी को काबू में करने का फैसला किया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही जीन एडिटिंग तकनीक से मच्छरों को बांझ(infertile) बनाया​ दिया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है, यह तकनीक गेम चेंजर साबित हो सकती है और इससे जानलेवा बीमारी का खात्मा किया जा सकता है। फिलहाल मच्छरों की 3500 के करीब प्रजातियां पाई जाती है। जानकारी के मुताबिक लंदन का इम्पीरियल कॉलेज (Imperial College of London) और लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन (Liverpool School of Tropical Medicine) मिलकर इस तकनीक पर कार्य कर रहे है। वैज्ञानिक (Scientist)पहली बार मादा मच्छरों के जीन में इस तरह के बदलाव कर रहे हैं कि वे प्रजनन लायक न रह सकें। इसके लिए वैज्ञानिकों में मच्छरों की एनाफिलीज गैम्बी प्रजाति(Anopheles gambiae) को चुना है। गैम्बी प्रजाति की मादा मच्छर से ही मलेरिया फैलता है। वैज्ञानिकों का कहना है, मच्छरदानी, कीटनाशक और वैक्सीन के साथ जीन एडिटिंग मलेरिया को खत्म करने की फास्ट तकनीक है। यह बड़ा बदलाव ला सकती है।

यूं समझे मच्छरों का इन फर्टाइल
वैज्ञानिक का दावा है कि मादा मच्छरों (female mosquitoes)को इनफर्टाइल(Infertile) किया जा सकता है। इसके लिए CRISPR जीन एडिटिंग तकनीक काम में आ सकती है। इस तकनीक की मदद से मच्छर के जीन में बदलाव किया जा सकता है। मलेरिया के मामले में मादा मच्छर में मौजूद डबलसेक्स जीन में बदलाव किया गया है ताकि ये प्रजनन लायक न बचें। वैज्ञानिकों के प्रयोग के दौरान पाया गया पिछले 560 दिनों के अंदर मच्छरों की संख्या में कमी आई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के मुताबिक  दुनियाभर में 2019 में मलेरिया के करीब 23 करोड़ मामले सामने आए। 4 लाख से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ा। इन मौतों में सबसे ज्यादा 5 साल से कम उम्र वाले बच्चे शामिल थे। 

मलेरिया मुक्त हो गया चीन 
आपको जानकर हैरानी होगी कि 70 साल की लगातार कोशिशों के बाद चीन मलेरिया मुक्त देश (China malaria free country)हो गया। WHO ने इसकी घोषणा की है। 40 के दशक में हर साल चीन(China) में मलेरिया(Malaria) के 3 करोड़ मामले सामने आते थे। चीन वेस्टर्न पेसिफिक रीजन(China Western Pacific Region) का पहला देश है, जहां पिछले 4 साल में मलेरिया का एक भी मामला नहीं मिला है। बताया जाता है कि मलेरिया से निपटने के लिए चीन ने 2012 में 1-3-7 की रणनीति लागू की। हेल्थकेयर वर्कर्स(Healthcare workers) के लिए टारगेट तय किए किए। रणनीति के मुताबिक, 1 दिन के अंदर मलेरिया के मामले को रिपोर्ट करना अनिवार्य किया गया। 3 दिन के अंदर इस मामले की पड़ताल करना और इससे होने वाले खतरे का पता लगाना जरूरी किया गया। वहीं, 7 दिन के अंदर इस मामले को फैलने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की बात कही गई थी।

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