कोरोना वैक्सीनेशन और अलग—अलग डोज: कोरोना वैक्सीन की किल्लत के बीच सरकार 2 अलग—अलग डोज लगाने पर कर रही हैं ट्रायल

सरकार कोरोना वैक्सीन को लेकर नया ही एक्सपेरिमेंट कर रही है। इसके तहत  सरकार और प्रशासन अब एक व्यक्ति के दो अलग — अलग कंपनी की वैक्सीन लगाने का सोच रही है। इसको लेकर ट्रायल शुरू करने वाली है। अगले कुछ हफ्तों में दो अलग-अलग वैक्सीन लगाने को लेकर ट्रायल हो सकता है।

कोरोना वैक्सीन की किल्लत के बीच सरकार 2 अलग—अलग डोज लगाने पर कर रही हैं ट्रायल

नई दिल्ली।
कोरोना महामारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन का तो प्रचार प्रसार जोरों पर किया जा रहा है, लेकिन वैक्सीन की कमी ने सरकार की तैयार की पोल खोल कर रख दी। इस बीच अब सरकार कोरोना वैक्सीन को लेकर नया ही एक्सपेरिमेंट कर रही है। इसके तहत  सरकार और प्रशासन अब एक व्यक्ति के दो अलग — अलग कंपनी की वैक्सीन लगाने का सोच रही है। इसको लेकर ट्रायल शुरू करने वाली है। अगले कुछ हफ्तों में दो अलग-अलग वैक्सीन लगाने को लेकर ट्रायल हो सकता है। इसमें कोवीशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतिनक समेत 8 वैक्सीन को शामिल किया जा सकता है। इसकी पुष्टि नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के तहत काम कर रहे कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ. एन के अरोड़ा (Dr. N K Arora) ने की है। उन्होंने कहा कि दो अलग-अलग वैक्सीन के ट्रायल से पता लगाया जाएगा कि क्या इससे इम्यून सिस्टम को और भी ज्यादा बूस्ट किया जा सकता है या नहीं। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि हम दो ऐसी वैक्सीन का कॉम्बिनेशन तलाश रहे हैं, जो बेहतर नतीजे दे सकें। फिलहाल जो वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही हैं, वे गंभीर बीमारी से तो सुरक्षा प्रदान कर रही हैं, लेकिन संक्रमण और वायरस से हमारी उम्मीद के मुताबिक सुरक्षा प्रदान नहीं कर पा रही हैं। अभी काफी कुछ चीजों को लेकर टेस्टिंग की बेहद जरूरत है। दोनों वैक्सीन अपनी जगह पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन टेस्टिंग यह करना है कि क्या उन्हें मिक्स करके दे सकते हैं। यह दोनों ही वैक्सीन अलग-अलग कंपनियां बनाती हैं। ऐसे में हम नहीं चाहते कि किसी को कोई नुकसान हो। फिलहाल, देश में सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन ही उपलब्ध हैं। रूस की स्पूतनिक वैक्सीन भारत को जून के दूसरे हफ्ते में मिल सकती है। पहले स्टेज में कोवीशील्ड और कोवैक्सीन को ट्रायल में शामिल कर सकते हैं। इसके बाद स्पूतनिक समेत 8 वैक्सीन को भी टेस्टिंग में शामिल किया जाएगा। ट्रायल से पता लगाया जाएगा कि दो अलग-अलग वैक्सीन लगाई जा सकती हैं। कौन सी अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन ज्यादा फायदेमंद रहेंगी। साथ ही कौन सी वैक्सीन पहले डोज के तौर पर देनी चाहिए और कौन सी दूसरी डोज में। यह सब ट्रायल में टेस्ट किया जाएगा। आप को बता दें कि हाल ही में देश भर में कोरोना वैक्सीन की किल्लत की खबरों के बीच केंद्र सरकार ने इसकी खरीद बढ़ाने का फैसला लिया है। सूत्रों ने रविवार को बताया कि केंद्र सरकार जुलाई के आखिर तक वैक्सीन के 20 से 25 करोड़ डोज खरीदेगी। इसके बाद अगस्त-सितंबर में 30 करोड़ डोज खरीदे जाएंगे। कोवीशील्ड वैक्सीन बना रही कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) जून में सरकार को इसके 10 करोड़ डोज दे देगी।

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