राजस्थान राजनीतिक नियुक्तियों में विवाद: राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों के बाद सदस्यों में असंतोष, पायलट समर्थकों के साथ गहलोत खेमे तक में नाराजगी

राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में फिलहाल डेढ़ साल का समय बा​की हैं, लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां में ​चुनावी रंग देखने को ​मिल रहा हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से की गई नियुक्तियों के बाद असंतोष सामने आने लग गया।

राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों के बाद सदस्यों में असंतोष, पायलट समर्थकों के साथ गहलोत खेमे तक में नाराजगी

जयपुर।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में फिलहाल डेढ़ साल का समय बा​की हैं, लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां में ​चुनावी रंग देखने को ​मिल रहा हैं। 
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से की गई नियुक्तियों के बाद असंतोष सामने आने लग गया। प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों के बाद सचिन पायलट समर्थक नाराज हो गए। चेयरमैन के दावेदार इन समर्थकों को सदस्य बनाए जाने पर हंगामा तक हो गया। 
कुछ ने मेंबर का पद तक ठुकरा दिया तो कुछ की नाराजगी देखने को मिल रही हैं। पायलट समर्थक सुशील आसोपा तथा राजेश चौधरी ने सार्वजनिक रूप से बयान जारी कर पद लेने से भी इनकार कर दिया। इन दोनों के अलावा चार से पांच नेता नाराज बताए जा रहे हैं।
 सुशील, राजेश के अलावा करणसिंह उचियारड़ा, ज्योति खंडेलवाल, घनश्याम मेहर भी नाराज है। ये तीनों भी पद नहीीं संभालेंगे। ज्योति खंडेलवाल जयपुर की पूर्व मेयर रह चुकी हैं, ऐसे में केवल मेंबर बनाए जाने से वे नाराज हैं।
 हालांकि पायलट समर्थक फिलहाल खुलकर नहीं बोल रहे हैंं। लेकिन ऐसी संभावना है कि राजस्थान की राजनीति में असंतोष गहरा सकता हैं।


राजस्थान के बंजर भू​मि विकास बोर्ड सदस्य बनाए गए सुशील आसोपा ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की। आसोपा ने ​ट्वीट किया कि मुझे दी गई राजनीतिक नियुक्ति को अस्वीकार करता हूं।
क्योंकि मेरी सहमति नहीं ली गई। मैं 42 महीने पहले सरकारी नौकरी छोड़कर पदों के लिए कांग्रेस में नहीं आया, जीवन भर नि:स्वार्थ सेवा करता रहूंगा। पूर्व विधायक घनश्याम मेहर भी बंजर भूमि विकास बोर्ड में मेंबर बनाए गए है। 
टोडा भीम से ​पूर्व विधायक रहे मेहर जूनियर नेता के अंडर मेंबर बनने पर नाराज हो गए। आपको बता दें कि मेहर तब कांग्रेस के विधायक थे जब प्रदेश में इनके 21 ही विधायक थें। मोदी लहर में जीतने वाले मेहर भी पद ठुकरा सकते हैं। 
राजस्थान की राजनीति में 74 ​नियुक्तियों में से करीबन 20 सचिन पायलट समर्थकों को जगह दी गई। इन 20 में से दो को ही अध्यक्ष बनाया गया। 
इस बार कई पायलट समर्थक नेता बोर्ड, निगम के अध्यक्ष पद पर दावेदार थे, इन्हें मेंबर बनाया गया। इससे पहले 10 फरवरी 2022 को की गई राजनीतिक नियुक्तियों में पायलट समर्थक अध्यक्ष बहुत कम थे। 
ऐसा नहीं है कि इन नियुक्तियों में पायलट समर्थक ही नाराज है, बल्कि गहलोत खेमे के भी विधायक खुश नहीं हैं, लेकिन गहलोत समर्थक खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। 
ऐसा बताया जा रहा है कि समाज कल्याण बोर्ड उपाध्यक्ष मीनाक्षी चंद्रावत के साथ भी सीनियरिटी का इश्यू है। मीनाक्षी विधायक रह चुकी और एनएसयूआई की प्रदेश अध्यक्ष भी थी। इन्हें बोर्ड में उपाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि अध्यक्ष अर्चना शर्मा विधायक नहीं रही। ऐसे में सीनियरिटी का इश्यू तो बन रहा है। 
इसी तरह खादी ग्रामाद्योग  बोर्ड में सदस्य बनाए गए अरुण कुमावत भी खुश नहीं हैं 

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