पसंद के अधिकारियों की डिमांड: मंत्रियों के विभाग बंटवारे के बाद अब ब्यूरोक्रेसी में बदलाव की तैयारी
सभी मंत्रियों की पसंद पर लिस्ट तैयार होगी ताकि आपसी सामंजस्य से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को मिल सके
जयपुर। राजस्थान में 21 नवंबर को गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हो गया। उसके बाद 22 नवंबर को सभी मंत्रियों को उनके विभाग भी बांट दिए गए। 23 नवंबर को लगभग सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों का पदभार संभालने के साथ ही काम शुरू कर दिया। इन दिनों मिशन 2023 की तैयारी में सभी दल लगे हैं। राजस्थान में लगभग 2 साल बाद चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में गहलोत सरकार के पास अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। सीधे तौर पर देखा जाए तो 2 साल के वक्त में से सरकार के पास काम करने के लिए सिर्फ डेढ़ साल का वक्त बचा है। उसके बाद आचार सहिंता लग जायेगी। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी मंत्रियों को जमीनी स्तर पर काम करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी मंत्रियों को उनकी पसंद के हिसाब से अफसर लगाने के निर्देश भी दिए हैं। इसमें कहा गया है कि मंत्रियों से उनकी पसंद के अफसरों की लिस्ट ले काम को आगे बढ़ाया जाए। मानना है कि बिना किसी विवाद के बेहतर तरीके से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचा दिया जाए। यही वजह है कि मुख्यमंत्री कार्यालय इन दिनों आरएएस, आईएएस और आईपीएस की सूची तैयार करने में लग गया है।
माना जा रहा है कि अगले दो-तीन दिन में बड़े स्तर पर जिला कलेक्टर और एसडीएम बदले जा सकते हैं। इसके साथ ही सचिवालय में लगे सचिव शासन सचिव भी बदले जा सकते हैं। हालांकि इनकी तबादला सूची 1 महीने देरी से इसलिए आ सकती है, क्योंकि 31 दिसंबर के बाद इन सभी का प्रमोशन होना है। ऐसे में प्रमोशन होने के बाद जनवरी में दोबारा लिस्ट जारी नहीं करनी पड़े इसलिए इस सूची को एक महीना रोका जा सकता है। दरअसल, अफसरों की पसंदगी के पीछे इतिहास भी रहा है। कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी की वजह मंत्री और अफसर के बीच विवाद रहा।
एक नजर मंत्री-अफसर विवाद पर
तत्कालीन परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और रोडवेज सीएमडी राजेश्वर सिंह के बीच विवाद हुआ तो राजेश्वर सिंह का तबादला करते हुए राजस्व बोर्ड अजमेर भेज दिया। एनएचएम के तत्कालीन निदेशक समित शर्मा और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के बीच नियुक्तियों को लेकर विवाद हुआ। उसके बाद समित शर्मा को वहां से हटा दिया गया। परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव एवं आयुक्त राजेश यादव और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बीच काफी समय तक अनबन रही तो सरकार ने राजेश यादव को परिवहन विभाग से हटा दिया। माइंस के मामलों को लेकर खान विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव दिनेश कुमार और मंत्री प्रमोद जैन भाया के बीच भी विवाद काफी चर्चित रहा। लिहाजा उनका भी छह माह में ही ट्रांसफर कर दिया गया। मंत्रियों और विधायकों के निशाने पर रहे IAS यज्ञमित्र सिंह देव, डा. कुंजबिहारी पांड्या, संदेश नायक, हिमांशु गुप्ता, अंशदीप और ओमप्रकाश को अपने तत्कालीन पदों से हटना पड़ा था। पूर्व खाद्य मंत्री रमेश मीणा के साथ तनातनी के चलते IAS मुग्धा सिन्हा को अपने पद से हटना पड़ा था। पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह से टकराने वाले IAS एच गुइटे और श्रेया गुहा को भी हटना पड़ा। IAS नरेशपाल गंगवार और मंत्री उदयलाल आंजना के बीच कंट्रोवर्सी हुई तो गंगवार को सहकारिता से हटाकर उद्योग विभाग में लगा दिया गया था। IAS मंजू राजपाल के शिक्षा विभाग में रहते हुए उनकी शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से अनबन चलती रही थी। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने मंजू राजपाल को वहां से हटा दिया।
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