सिरोही में स्वास्थ्य से खिलवाड़: कौन करेगा कार्रवाई: सुविधाओं के पैरोकार सीएम सलाहकार के क्षेत्र में संक्रमण का खेल, आखिर किनके वरदहस्त से घर पर अपनी प्रेक्टिस चमका रहा डॉक्टर!
कौन करेगा कार्रवाई ? सुविधाओं के पैरोकार सीएम सलाहकार के क्षेत्र में संक्रमण का खेल, आखिर किनके वरदहस्त से घर पर अपनी प्रेक्टिस चमका रहा डॉक्टर। संक्रमण के बीच ऑपरेशन करने से मरीजों की जान जोखिम में।
सिरोही. जिला मुख्यालय पर बिना नियम-कायदों के ऑपरेशन थियेटर संचालित करने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई तो दूर, अभी कोई जांच तक नहीं हुई। आखिर सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा के गृह क्षेत्र में ही जब बिना नियम-कायदों के ही डॉक्टर इस तरह से अपनी प्रेक्टिस चमका रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों की बात करना ही बेमानी है।
सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की बढ़ोतरी करने एवं मरीजों को पूरा लाभ दिलाने के लिए वे हमेशा ही पैरवी करते नजर आते हैं, लेकिन इस मामले में वे मौन ही नजर आ रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं राजकीय मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध जिला चिकित्सालय में कार्यरत अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ.नरेंद्रसिंह सोलंकी की। वे मरीजों को ऑपरेशन के लिए जिला अस्पताल के बजाय अपने घर बुला रहे हैं।
डॉक्टर ने इसके लिए अपने घर पर ऑपरेशन थियेटर संचालित कर रखा है। बगैर कायदों के संचालित इस तरह के थियेटर से संक्रमण फैलने का अंदेशा बना हुआ है, लेकिन इसकी रोकथाम के कोई उपाय नहीं हो रहे।
जनता की जान जोखिम में डाल कर ऑपरेशन कर रहे डॉक्टर को आखिर किसका वरदहस्त प्राप्त है, यह कहना मुश्किल है।
हर समय बना हुआ है संक्रमण का अंदेशा -
कायदों को ताक पर रखते हुए संचालित हो रहा ऑपरेशन थियेटर संक्रमण फैला रहा है। मरीज को टेबल पर लिटाकर एक सुई के सहारे ऑपरेशन किए जा रहे हैं।
खून सनी रूई, पट्टियां व गंदगी के बीच चीरफाड़ से संक्रमण का हर समय अंदेशा बना हुआ है, लेकिन डॉक्टर को इससे कोई सरोकार नहीं है।
जान जोखिम में डालना आपराधिक कृत्य है -
नियम तो यह भी है कि इस तरह के ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। विशेषज्ञ बताते हैं कि लोगों की जान जोखिम में डालना आपराधिक कृत्य है।
संक्रमण फैलने पर किसी की जान भी जा सकती है। इस तरह के मामलों में शिकायत के आधार पर सख्त कार्रवाई और आपराधिक मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है।
कहीं मिलीभगत का मामला तो नहीं -
जिला मुख्यालय पर बिना नियम-कायदों के संचालित हो रहे ऑपरेशन थियेटर को लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक मानों अनजान बने हुए हैं।
आखिर क्या कारण है कि इस थियेटर पर किसी की नजर नहीं जा रही। मामला सामने आने के बावजूद न तो किसी ने जांच की और न पूछताछ हुई। बगैर लाग-लपेट के कहे तो इसे मिलीभगत का मामला भी मान सकते हैं।
एक सुई के सहारे दर्दनाक ऑपरेशन की स्वीकारोक्ति -
सरकारी मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध जिला अस्पताल का यह डॉक्टर ने अपने घर पर ऑपरेशन थियेटर चला रहा है। निजी अस्पताल में ज्यादा खर्च का डर दिखाते हुए मरीजों को घर बुलाया जाता है, जहां बगैर संसाधन ऑपरेशन किए जा रहे हैं।
ऑपरेशन के लिए आवश्यक एनेस्थीसिया चिकित्सक तो दूर कक्ष को रोगाणुरहित तक नहीं किया जाता। घर पर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर खुद मानते हैं कि उनके पास संसाधन नहीं है।
यहां तक कि एनेस्थीसिया या टेक्निशियन भी नहीं है। वे खुद स्वीकारते हैं कि मरीज का दर्द कम करने के लिए केवल एक इंजेक्शन लगाते हैं, ताकि ऑपरेशन वाला हिस्सा सुन्न हो जाए। इसके बाद ऑपरेशन करते हैं।
शरीर के हिस्से को सुन्न करने वाली एक सुई के भरोसे चीरफाड़ कर रहे डॉक्टर यह भी स्वीकारते हैं कि इससे मरीज को दर्द होता है।
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