ट्विटर ब्लू टिक विवाद : ट्विटर ने भारत के उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू का वेरिफिकेशन ब्लू टिक हटाया, फिर लगाया
नए आईटी नियमों को लेकर चल रहे विवाद के बीच ट्विटर की एक और कार्रवाई ने केंद्र सरकार की नाराजगी बढ़ा दी है। शनिवार सुबह ट्विटर ने भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई नेताओं के पर्सनल ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक हटा दिया।

नई दिल्ली, एजेंसी।
नए आईटी नियमों को लेकर चल रहे विवाद के बीच ट्विटर (Twitter handle) की एक और कार्रवाई ने केंद्र सरकार की नाराजगी बढ़ा दी है। शनिवार सुबह ट्विटर ने भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Vice President of India Venkaiah Naidu) और संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) समेत कई नेताओं के पर्सनल ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक (Blue tick ) हटा दिया। हालांकि, विवाद बढ़ता देख थोड़ी ही देर में ट्विटर को नायडू के अकाउंट का ब्लू-टिक तो री-स्टोर कर दिया, लेकिन बाकी नेताओं के अकाउंट अनवेरिफाइड बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मामले में अब आईटी मंत्रालय की तरफ से ट्विटर को नोटिस भेजा जाएगा। बताया जा रहा है भारत के Vice President के ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक बिना सूचना के हटाना पद की गरिमा के खिलाफ है। Vice President का पद संवैधानिक पद है और यह पद की अवमानना है। इससे पहले मामले पर सफाई देते हुए ट्विटर ने कहा कि उनका अकाउंट जुलाई 2020 से सक्रिय नहीं था। इसलिए हमारी वेरिफिकेशन पॉलिसी के मुताबिक हम ऐसे अकाउंट को बिना किसी सूचना के अनवेरिफाई कर सकते हैं। फिलहाल नायडू के अकाउंट को फिर से वेरिफाइ कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कई नेताओं के ट्विटर अकाउंट को भी ट्विटर ने अनवेरिफाई कर दिया। इनमें भागवत के अलावा अरुण कुमार, भैयाजी जोशी और सुरेश सोनी जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। इस बीच भाजपा मुंबई के प्रवक्ता सुरेश नखुआ ने ट्विटर की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने इसे भारत के संविधान पर हमला बताया। Vice President के पर्सनल अकाउंट को 13 लाख लोग फॉलो करते हैं। उनके ट्विटर अकाउंट से पिछले 11 महीने से कोई ट्वीट नहीं हुआ है। इस अकाउंट से 23 जुलाई 2020 को आखिरी बार ट्वीट किया गया था। ट्विटर की एकतरफा कार्रवाई से आईटी मंत्रालय नाराज था। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय का मानना है कि देश के नंबर-2 अथॉरिटी के व्यक्ति के साथ ऐसा सलूक नहीं किया जा सकता। इसके पीछे ट्विटर की मंशा गलत है। मामले में ट्विटर की दलील भी पूरी तरह गलत है।
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