भ्रष्टाचार: एसआईटी की जांच रिपोर्ट में खुलासा - अवैध बजरी खनन खाकी की मिलीभगत से चल रहा है
अवैध बजरी खनन के मामले में हाल ही में एसआईटी के एक इन्वेस्टिगेशन में यह खुलासा हुआ है कि अवैध बजरी खनन, ढुलाई, खरीद-फरोख्त आदि काम बजरी माफिया और पुलिस मिलीभगत से चल रहा है।
- 5 जिलों के 2 एसपी, 3 एडिशनल एसपी व 30 एसएचओ की बजरी माफिया से मिलीभगत
जयपुर।
एसआईटी ने मौखिक रूप से बताया कि जांच में 5 जिलों (धौलपुर, करौली, भीलवाड़ा, सवाईमाधाेपुर, टोंक) के 2 एसपी, 3 एडिशनल एसपी और 30 एसएचओ सहित करीब 200 पुलिसवालों की बजरी माफिया से साठगांठ सामने आई है। हालांकि यह जांच लगातार बजरी खनन को लेकर मिल रही शिकायतों के बाद पुलिस मुख्यालय ने एसआईटी टीम से कराई थी। जिसके बाद एसआईटी करीब डेढ़ महीने पहले ही पुलिस मुख्यालय को 14 पेज की एक रिपोर्ट सौंप चुकी है। जांच रिपोर्ट मिलने के बावजूद इतना लंबा समय निकल चुका है लेकिन इस पर अब तक कड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। आखिर पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है यह बड़ा सवाल है।
सूत्रों के मुताबिक एसआईटी की टीम ने खुद प्रत्यक्ष एक महीने तक इन पांचों जिलों के खनन क्षेत्र में जाकर जांच की है। जिसके बाद रिपोर्ट में ये खुलासे किए। ताज्जुब की बात यह है कि कई जगह पुलिस की निगरानी में बजरी का परिवहन व खनन हो रहा है तो कहीं पुलिस बिना जुर्माने के बजरी भरे वाहनों को छोड़ रही है।
एसआईटी की जांच टीम में एसपी राहुल कोटकी समेत तीन अधिकारी शामिल थे। रिपोर्ट में पुलिस के लिए दलाली करने वालों के नंबर भी शामिल हैं। इसके अलावा जांच में सामने आया कि बजरी के धंधे में नदी के पास रहने वाले लोग लिप्त हैं। बजरी माफिया मोटी कमाई से पुलिस, प्रशासन व राजनेताओं को प्रभाव में रखते हैं। जिससे माफिया के खिलाफ कोई शिकायत होने पर उसे आसानी से दबा दिया जाता है।
पुलिस की 20 चेकपोस्ट सिर्फ कागजों पर ही चला रही हैं, जांच में कई बंद मिलीं
रिपोर्ट के अनुसार पांचों जिलों की पुलिस ने सिर्फ कागजों में ही 20 चेकपोस्ट चला रखी हैं। जांच टीम को पांचों जिलों में पुलिस चेकपोस्ट बंद मिलीं। धौलपुर में बजरी परिवहन व खनन रोकने को 2019 में बनाई आरएसी की चेकपोस्ट भी बंद थी। इस पर राजस्व, वन विभाग व खनन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी भी नहीं मिले, इन्हें मिलाकर सरकार ने टास्क फोर्स बनाई थी।
धौलपुर के इन 5 थानों की मिलीभगत सबसे ज्यादा
बरौनी व सदर थाना (टोंक), सदर थाना (निवाई), बाटौदा, मलारना डूंगर, भाड़ौती, खुर्द व बहरावंडा (स. माधोपुर), हाउसिंग बाेर्ड चौकी, सागरपाड़ा चौकी, मनिया थाना, दिहोली थाना, राजाखेड़ा थाना (धौलपुर), मंडरायल, हाड़ौती चौकी (करौली), मंगरोप, बड़लियास व बिगोद थाना (भीलवाड़ा)। ये सबसे भ्रष्ट थाने।
आरएसी की 2018 में बनी बटालियन का नहीं किया उपयोग
अवैध बजरी खनन और परिवहन पर अंकुश लगाने के लिए आरएसी की वर्ष 2018 में एक बटालियन बनाई गई थी। लेकिन पांचों जिलों की पुलिस ने तीन साल में इस बटालियन का अवैध बजरी कारोबार रोकने के लिए उपयोग ही नहीं किया। पुलिस हमेशा खनन व राजस्व विभाग द्वारा उनका सहयोग न करने की बात ही करती रहती है। पुलिस कहती है कि खनन व राजस्व विभाग व स्पेशल टास्क फोर्स बुलाने पर भी नहीं आते। जबकि खनन विभाग के अफसर राजस्व व पुलिस का सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगाते हैं। यहाँ तक कि जांच टीम ने कार्रवाई के लिए विभागों में पत्राचार मांगे तो कोई नहीं दे पाया । इससे यह साफ जाहिर होता है कि अवैध बजरी रोकने के लिए जिम्मेदार विभागों में तालमेल ही नहीं है।
हाइकोर्ट ने लगाई फटकार और जुर्माना वसूला
अवैध खनन कारोबारी साढ़े 7 करोड़ का जुर्माना रद्द कराने हाईकोर्ट पहुंचे तो कोर्ट ने 20 लाख रु. और हर्जाना लगा दिया, कहा-हमारा वक्त बर्बाद किया।
पत्थर का अवैध खनन करने पर खान विभाग की ओर से साढ़े सात करोड़ से ज्यादा जुर्माने के खिलाफ दायर की गई खनन कारोबारियों की दो याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। यही नहीं, दोनों कारोबारियाें पर ही 10-10 लाख रु. यानी कुल 20 लाख रु. का हर्जाना भी लगाया। कोर्ट ने हर्जाना राशि 4 सप्ताह में रालसा में जमा कराने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस एके गौड़ ने कहा- विभाग के जुर्माना लगाने के खिलाफ याचिकाकर्ताओं को अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील पेश करनी चाहिए थी, पर उन्होंने अनावश्यक तौर पर याचिका हाईकोर्ट में पेश की। इस कारण अन्य महत्वपूर्ण केसों में सुनवाई नहीं हो पाई। याचिकाओं में 10 नवंबर को अवैध खनन का नोटिस जारी कर 22 दिसंबर को एक प्रार्थी पर 6.28 करोड़ रु. व दूसरे पर 1.25 करोड़ रु. के जुर्माने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
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