Rajasthan: प्रोजेक्ट किशोरी: बेटियों के स्वास्थ्य और स्वाभिमान की नई कहानी

यह अभियान न सिर्फ बेटियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास कर रहा है बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में भी एक मजबूत कदम उठा रहा है। इस अभियान का असर अब तक 15,000 बेटियों तक पहुँच चुका है, जिनमें से अधिकतर जयपुर के कच्ची बस्तियों, आंगनबाड़ी केंद्रों और सरकारी स्कूलों से जुड़ी हैं।

प्रोजेक्ट किशोरी: बेटियों के स्वास्थ्य और स्वाभिमान की नई कहानी
Prazna Foundation Jaipur

जयपुर। समाज में महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे मुद्दों पर चर्चा करना आज भी एक चुनौती है। इसी सोच को बदलने और बेटियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रजना फाउंडेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने "प्रोजेक्ट किशोरी" की शुरुआत की।

यह अभियान न सिर्फ बेटियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास कर रहा है बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में भी एक मजबूत कदम उठा रहा है। इस अभियान का असर अब तक 15,000 बेटियों तक पहुँच चुका है, जिनमें से अधिकतर जयपुर के कच्ची बस्तियों, आंगनबाड़ी केंद्रों और सरकारी स्कूलों से जुड़ी हैं।

आरंभिक कदम: जब दीया कुमारी ने किया अभियान का उद्घाटन
इस परियोजना की शुरुआत जयपुर के वैशाली नगर स्थित खंडेलवाल गर्ल्स कॉलेज सभागार में हुई।

प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने इस अभियान का शुभारंभ करते हुए महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता के मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "महिलाओं को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं पर खुलकर बात करनी चाहिए।

यह समाज में बदलाव की दिशा में एक सशक्त कदम है।"

जागरूकता शिविर और किशोरी क्लब का गठन
प्रोजेक्ट किशोरी के तहत प्रजना फाउंडेशन ने जयपुर के सौ से अधिक स्कूलों में जागरूकता शिविर आयोजित किए।

इन शिविरों में बेटियों को किशोरी किट वितरित किए गए, जिनमें स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक सामग्री शामिल थी।

शिविर के दौरान, डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर खुलकर बात की, जिससे बेटियों को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को समझने और समाधान पाने में मदद मिली।

साथ ही, किशोरी क्लबों का गठन किया गया, जिसमें करीब 1100 बेटियों को शामिल किया गया। इन क्लबों का उद्देश्य था कि बेटियाँ अपने मुद्दों पर खुलकर चर्चा कर सकें और सामूहिक समर्थन पा सकें।

सामुदायिक सहयोग: कच्ची बस्तियों और आंगनबाड़ियों में भी अभियान की गूंज
प्रोजेक्ट किशोरी का दायरा केवल स्कूलों तक ही सीमित नहीं रहा।

यह अभियान जयपुर की कच्ची बस्तियों और आंगनबाड़ी केंद्रों में भी पहुंचा। प्रजना फाउंडेशन ने बीस हजार से अधिक लाभार्थियों तक सीधी पहुंच बनाई, जो इस यात्रा की सफलता को दर्शाता है।

वहाँ भी किशोरी किट का वितरण किया गया और बेटियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया गया। यह पहल साबित करती है कि बदलाव लाने के लिए शिक्षा और जागरूकता हर तबके में जरूरी है।

मानसिकता में बदलाव: जब मुद्दों पर खुलकर बात करने का मौका मिला
इस अभियान का एक और अहम उद्देश्य था कि महिलाओं और बेटियों के मुद्दों पर खुलकर चर्चा हो।

डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने माहवारी जैसे विषयों को टैबू मानने की मानसिकता को चुनौती दी और यह संदेश दिया कि महिलाओं का स्वास्थ्य समाज के स्वास्थ्य से जुड़ा है।

प्रोजेक्ट किशोरी के पीछे की टीम: प्रीति शर्मा का नेतृत्व और योगदान
इस अभियान की संचालक प्रीति शर्मा, प्रजना फाउंडेशन की संस्थापक, ने इस अभियान को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रीति ने कहा, "अब सोच बदलने लगी है। महिलाओं की समस्याओं को समझना जरूरी है और इस दिशा में पुरुषों का सहयोग भी आवश्यक है।"

इसके साथ ही, रोहित अस्पताल की निदेशक डॉ. शैलजा जैन ने अपने चिकित्सा अनुभव से अभियान को एक नई दिशा दी।

प्रजना फाउण्डेशन की प्रवक्ता विशिष्टा सिंह ने इसे एक नई सोच की शुरूआत करार दिया।

उन्होंने बताया कि इस अभियान में शामिल युवा लड़कों की भागीदारी ने इसे और भी प्रभावी बनाया। "ये लड़के अपने मन से इस मुद्दे के साथ खड़े हुए और पूरे कार्यक्रम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही," उन्होंने कहा।

प्राची खण्डेलवाल ने इस अनुभव को अनूठा बताते हुए कहा कि वे इस काम को आगे भी जारी रखना चाहती हैं।

राशि कटोदा ने कहा कि प्रजना ने उन्हें वह मौका दिया, जिसके लिए वे लंबे समय से इच्छुक थीं।

इस प्रकार, अभियान ने न केवल महिलाओं को सशक्त बनाया, बल्कि युवा पुरुषों को भी सामाजिक मुद्दों पर सक्रियता से काम करने के लिए प्रेरित किया

पुरुषों का भी मिला सहयोग: नए विचारों की नींव
हालांकि प्रोजेक्ट किशोरी महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा अभियान था, लेकिन इसे सफल बनाने में युवा पुरुषों की भी अहम भूमिका रही।

दीपक श्योराण, शिवनारायण, और राघव बोहरा जैसे युवा स्वयंसेवकों ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लिया और यह साबित किया कि महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पूरे समाज का विषय हैं।

शिवनारायण ने कहा, "बेटियों की गरिमा एक महत्वपूर्ण विषय है और इस अभियान से जुड़कर गर्व महसूस हो रहा है।"

भविष्य की दिशा: एक सशक्त समाज की ओर कदम
प्रोजेक्ट किशोरी ने न केवल बेटियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाया, बल्कि युवा पुरुषों को भी संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास दिलाया।

यह अभियान एक ऐसी उम्मीद बन गया है जो भविष्य में और भी बेटियों को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य करेगा।

प्रजना फाउंडेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस का यह प्रयास साबित करता है कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए शिक्षा, जागरूकता और एकता की आवश्यकता होती है।

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