खाकी की मिलीभगत से अपराधियों की चांदी: रात के अंधेरे में जालोर में करोड़ों का अवैध कारोबार
जालोर जिले में अवैध खनन में पुलिस के लोग ही अपराधियों की मदद कर रहे हैं। खाकी की यह शह इस पिछड़े जिले में अपराध को बढ़ावा देने की बड़ी वजह बन रही है
जालोर | बजरी के अवैध खनन के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए भले ही पुलिस दावा कर रही हो, लेकिन हकीकत इससे परे है। शहर समेत जिलेभर में बजरी खनन का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। पुलिस दावा भले ही इसे रोकने का करती हो, लेकिन कहीं ना कहीं पुलिस की मिलीभगत बजरी के अवैध खनन करने वाले माफियाओं को शह दे रही है। जालोर मुख्यालय जहां पुलिस महकमे का कप्तान बैठता है बावजूद इसके बजरी खनन के कारोबार पर लगाम नहीं लग रही है। आधी रात से अल सवेरे तक चलने वाले इस खनन में माफिया जमकर चांदी कूट रहे हैं। पुलिस कभी-कभार एक दो ट्रेक्टर जब्त कर कारवाई तो दर्शा रही है, लेकिन बजरी खनन के अवैध कारोबार पर लगाम अब तक नहीं लगा रही है।
लोगों से मनमानी रकम वसूल रहे
बजरी खनन पर न्यायालय की रोक होने के बावजूद अवैध खनन तेजी से हो रहा है। प्रशासन हो या पुलिस सभी बजरी खनन माफियाओं के सामने बौने साबित हो रहे हैं। ऐसे में बजरी खनन माफिया लोगों से बजरी के मनमाने दाम वसूल रहे हैं। मजबूर लोग भी मुंहमांगे दाम देने को मजबूर हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में नदियों से बजरी का जो खनन हो रहा है, उसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है। रात के अंधेरे में होने वाला यह कारोबार अल सवेरे तक धड़ल्ले से चलता है। इसमें बजरी खनन माफियाओं की दादागिरी देखकर पुलिस महकमा भी हाथ डालने से कतरा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
रात से अल सवेरे तक चलता है यह धंधा
जालोर शहहर समेत जिलेभर में बजरी खनन माफियाओं का यह अवैध धंधा रात के अंधेरे में शुरू होता है। रात होते ही बजरी खनन माफिया सक्रिय हो जाते हैं, जो अल सवेरे तक सैंकड़ों ट्रेक्टरों में बजरी का परिवहन कर एक जगह एकत्रित करते हैं। इसके बाद जब भी मौका मिलता है। वहां से बजरी को उठाकर डिमांड स्थल तक पहुंचाई जाती है। रात के समय बजरी खनन माफिया ना केवल रौब झाड़ते नजर आते हैं, बल्कि वहां आने वालों को अवैध हथियारों से डराया भी जाता है। ऐसे में पुलिस भी एक बार तो इन बजरी माफियाओं पर हाथ डालने से पहले कतराती है।
कुल मिलाकर जालोर में बजरी खनन के इस अवैध कारोबार में करोड़ों रूपए की कमाई की जा रही है। बजरी खनन पर लगाम लगाने में पुलिस की मिलीभगत तो सामने आती ही है, कहीं ना कहीं बजरी माफियाओं को पुलिस की शह भी जरूर मिली हुई लगती है।
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