मेजर ध्यानचंद को मिला सम्मान: टोक्यो ओलिंपिक ने दिलाया मेजर ध्यानचंद को सम्मान, खेल रत्न पुरस्कार से राजीव गांधी का हटाया नाम, अब किया मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड

टोक्यो ओलिंपिक में पुरुष हॉकी टीम ने भारत को पदक दिलाकर देश का नाम तो उंचा किया ही, इसके साथ ही हॉकी के जनक मेजर ध्यानचंद को भी एक सम्मान दिलाया। देशभर में हॉकी के जश्न के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को खेल से जुड़ा एक अहम फैसला लिया।

टोक्यो ओलिंपिक ने दिलाया मेजर ध्यानचंद को सम्मान, खेल रत्न पुरस्कार से राजीव गांधी का हटाया नाम, अब किया मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड


नई दिल्ली। 
टोक्यो ओलिंपिक ( Tokyo Olympics) में पुरुष हॉकी टीम ने भारत को पदक दिलाकर देश का नाम तो उंचा किया ही, इसके साथ ही हॉकी के जनक मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand)को भी एक सम्मान दिलाया। देशभर में हॉकी के जश्न के बीच केंद्र सरकार(Central government) ने शुक्रवार को खेल से जुड़ा एक अहम फैसला लिया। सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार(Rajiv Gandhi Khel Ratna Award) का नाम बदलते हुए मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया।मोदी ने इस फैसला का ऐलान करते हुए कहा कि ये अवॉर्ड हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि मेजर ध्यानचंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार (Sports highest Award) उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है। प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा कि “मुझे पूरे भारत के नागरिकों से खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए कई अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। उनकी भावना का सम्मान करते हुए, खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा।” मोदी ने ट्वीट किया ,‘‘उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए खेल रत्न पुरस्कार को अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जायेगा। मेजर ध्यानचंद खेलों में भारत को गौरवान्वित और सम्मानित करने वाले अग्रणी खिलाड़ियों में से थे। देश के सर्वोच्च खेल सम्मान का नाम उनके नाम पर ही होना चाहिये।’’

आपको बता दें कि राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है। सरकार ने 1991-92 में इस पुरस्कार की शुरुआत की थी। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है। सबसे पहला खेल रत्न पुरस्कार पहले भारतीय ग्रैंड मास्टर विश्वनाथ आनंद (Indian Grand Master Vishwanath Anand) को दिया गया था। अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है। हाल में क्रिकेटर रोहित शर्मा(Cricketer Rohit Sharma), पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु(Paralympian high jumper Mariyappan Thangavelu), टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, रेसलर विनेश फोगाट को ये अवॉर्ड दिया गया है। इस पुरस्कार से हॉकी में अब तक 3 खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। इसमें धनराज पिल्ले, सरदार सिंह और रानी रामपाल शामिल है।

मेजर को कहते हैं हॉकी का जादूगर
मेजर ध्यानचंद(Major Dhyan Chand) का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज(Prayagraj) में हुआ था। देशभर में इस दिन खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। मेजर ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक(amsterdam olympics) में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’ तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।

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