ब्रह्मोस का अपडेट वर्जन तकनीकी खामी: दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का अपडेट वर्जन उडऩे के साथ ही जमीन पर आ गिरा

दुनिया का सबसे तेज सुपरसोनिक कू्रज मिसाइल ब्रह्मोस का अपडेट वर्जन टेस्ट में फेल हो गया। सूत्रों के मुताबिक  टेकऑफ के तुरंत बाद ही ब्रह्मोस जमीन पर आ गिरा। ओडिशा के तट पर ब्रह्मोस के अपडेटेड वर्जन का टेस्ट किया जा रहा था, जो 450 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।

दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का अपडेट वर्जन उडऩे के साथ ही जमीन पर आ गिरा

नई दिल्ली, एजेंसी। 
दुनिया का सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस( Super Sonic Cruise Missile BrahMos) का अपडेट वर्जन टेस्ट में फेल हो गया। सूत्रों के मुताबिक  टेकऑफ के तुरंत बाद ही ब्रह्मोस जमीन पर आ गिरा। ओडिशा के तट पर ब्रह्मोस के अपडेटेड वर्जन का टेस्ट ( Updated Version of BrahMos Failed in Odia)किया जा रहा था, जो 450 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। मिसाइल के प्रोपल्सन सिस्टम में खराबी के कारण टेस्टिंग में इस तरह की परेशानी आना बताया जा रहा है। हालांकि, जांच के बाद ही सही जानकारी सामने आ पाएगी। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि लॉन्चिंग के तुरंत बाद ही मिसाइल गिर गई। हालांकि, डिफेंस रीसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और ब्रह्मोस एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन (BrahMos Aerospace Corporation)के वैज्ञानिकों की एक ज्वाइंट टीम इसके फेल होने के कारणों की जांच कर रही है। आप को बता दें कि ब्रह्मोस एक बहुत ही विश्वसनीय मिसाइल रही है। ऐसे बहुत ही कम मौके रहे हैं, जब इसकी टेस्टिंग फेल हुई हो।
फिलहाल 300 किलोमीटर से कम रेंज का ब्रह्मोस
टेस्ट फेल होने का मतलब यह नहीं है कि यह मिसाइल खराब हो गई। फिलहाल 300 किलोमीटर से कम रेंज का ब्रह्मोस का कोई विकल्प नहीं है। अभी 300 किमी से कम के लक्ष्य को भेदने में इसका इस्तेमाल किया जाता था। हाल ही में इसे अपडेट किया गया और अब यह 450 किलोमीटर दूर दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने में सक्षम हो गया है। रफ्तार के मामले में दुनिया के गिने-चुने मिसाइलों में ब्रह्मोस की गिनती होती है। इसकी अधिकतम रफ्तार 4,300 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी ज्यादा है। यह मिसाइल बेहद पोर्टेबल है यानी इन्हें लॉन्च करना आसान है।
रूस के साथ मिलकर तैयार किया मिसाइल
भारत ने ब्रह्मोस के कई संस्करण लॉन्च किए हैं। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने भारतीय एजेंसी डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम के सहयोग से इन्हें विकसित किया है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम दो नदियों, भारत में ब्रह्मपुत्र और रूस में मोस्कवा के नाम पर रखा गया है। दोनों के बीआरएएम और एमओएस से ब्रह्मोस नाम दिया गया है।

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