डिजिटल भारत से अछूता एक गांव: मोबाइल नेटवर्क से वंचित सिलोइयां गांव, राशन के लिए डिजिटल पॉश मशीन भी नही करती काम, पॉश मशीन से अंगूठा सत्यापन के लिए राशन विक्रेता और उपभोक्ता चढ़ते हैं पहाड़ी पर

आज आपको 21 वीं सदी के आधुनिक भारत की एक ऐसी तस्वीर दिखा रहे हैं, जिसे देखकर आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत के नारे पर हंसने लगेंगे। इस तस्वीर की हकीकत देखकर आप पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के संचार क्रांति वाले दावों पर माथा पकड़ लेंगे।

मोबाइल नेटवर्क से वंचित सिलोइयां गांव, राशन के लिए डिजिटल पॉश मशीन भी नही करती काम, पॉश मशीन से अंगूठा सत्यापन के लिए राशन विक्रेता और उपभोक्ता चढ़ते हैं पहाड़ी पर
नेटवर्क की समस्या के चलते पॉश मशीन लेकर पहाड़ी पर चढ़ा राशन विक्रेता

सिरोही। आज आपको 21 वीं सदी के आधुनिक भारत की एक ऐसी तस्वीर दिखा रहे हैं, जिसे देखकर आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत के नारे पर हंसने लगेंगे। इस तस्वीर की हकीकत देखकर आप पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के संचार क्रांति वाले दावों पर माथा पकड़ लेंगे। देश भर में फैले भ्रष्टाचार को रोकने और सरकारी सहायता की पारदर्शिता के लिए डिजिटल तरीके से सहायता बांटने का निर्णय तो सरकारों ने ले लिया पर वास्तविकता यह हैं कि आज भी देश में ऐसे कई गांव हैं जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क पहुंचा ही नही है। जब गांव में मोबाइल नेटवर्क ही नही होगा तो उस गांव के लोगो का इंटरनेट से जुड़ना तो मात्र एक सपना ही कह सकते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक गांव की व्यथा बताने जा रहे हैं जहां आज़ादी के 74 वर्ष बीत जाने के बाद भी मोबाइल नेटवर्क नही पहुंचा हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं राजस्थान प्रदेश के दक्षिणी पश्चिमी किनारे स्थित सिरोही जिले के सिलोइयां गांव की, जहां आज भी मोबाइल नेटवर्क लोगो के लिए एक सपना बना हुआ हैं। वैसे तो इस गांव में कई मूलभूत सुविधाओं की कमी हैं। पर आज के इस डिजिटल युग में व्यक्ति की पहली जरूरत मोबाइल बना हुआ है और सिलोइयां गांव के निवासियों के लिए यह महत्वपूर्ण जरूरत ही एक सपना बनी हुई हैं। आप जो ये तस्वीर देख रहे हैं इस तस्वीर में दिखाई दे रहे लोग गांव के पास स्थित एक पहाड़ी पर सिर्फ इसलिए चढ़े हुए हैं कि उन्हें उचित मूल्य की दुकान से राशन इश्यू हो जाए। इन तस्वीरों में साफ देख सकते हैं कि उचित मूल्य की दुकान का दुकानदार अपने हाथ में पॉश मशीन लिए बैठा हैं, और उसके इर्दगिर्द ग्रामीण महिलाएं और पुरुष हाथ मे राशनकार्ड लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। गांव में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की सुविधा नही होने के कारण पूरे गांव के ग्रामीण और राशन विक्रेता इस पहाड़ी पर चढ़कर पॉश मशीन में नेटवर्क पकड़वाने का जतन कर रहे हैं। इस पहाड़ी पर भी एक निश्चित जगह हैं जहां नेटवर्क आता हैं। इसलिए राशन विक्रेता अपनी पॉश मशीन को लेकर एक ही जगह पर बैठा हैं ताकि नेटर्वक टूटने का खतरा नही हो। 

घण्टों इंतज़ार के बाद हो पाता हैं ऑनलाइन अंगूठे के वेरिफिकेशन

पहाड़ी पर चढ़ने के बाद भी एक एक उपभोक्ता को इस पॉश मशीन पर अपने अंगूठे के वेरिफिकेशन करवाने के लिए घण्टों जतन करने पड़ते हैं, तब कहीं जाकर उनके अंगूठे के वेरिफिकेशन हो पाता हैं। कई लोगो को तो तीन तीन दिन लगातार इस पहाड़ी पर चढ़कर अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए पॉश मशीन पर अंगूठा वेरिफाई करवाना पड़ता हैं। ऐसे में सरकार की महत्वपूर्ण योजना लोगो के लिए जी का जंजाल बन जाता हैं। यदि इस गांव में किसी एक कम्पनी का भी मोबाइल नेटवर्क लग जाए तो यहां के लोगो को बड़ी राहत मिल सकती हैं।

ग्रामीणों के पास मोबाइल तो हैं पर गांव में नही बजती कभी घण्टी

सिलोइयां गांव के ग्रामीणों के पास मोबाइल तो लगभग हर व्यक्ति के पास मौजूद हैं। पर इस गांव में रहने के दौरान इनके मोबाइल में कभी घण्टी नही बजती। गांव में रहने के दौरान यदि किसी से इमरजेंसी में बात करनी होती हैं तो यहां के लोगो को बस इसी पहाड़ी का सहारा लेना पड़ता हैं। पहाड़ी पर चढ़कर यहां के लोग फोन लगाकर बातचीत कर सकते हैं। पर जैसे ही पहाड़ी से नीचे उतर कर अपने घर पहुंचते हैं उनका मोबाइल मात्र शॉ-पीस बनकर रह जाता हैं। इस गांव के निवासियों को यदि कभी कोई इमरजेंसी हो जाए और मेडिकल रिलीफ की आवश्यकता पड़ जाए तो ये ग्रामीण ना तो किसी को फोन कर सकते हैं और ना ही कोई अन्य इन्हें फोन कर किसी घटना दुर्घटना की जानकारी दे सकते हैं। इन ग्रामीणों का जीवन आज भी वैसा ही हैं, जैसा देश आज़ादी से पहले हुआ करता था।

Must Read: शराब दुकान से 5 हजार रुपए की मंथली लेते जालोर आबकारी निरीक्षक एसीबी की गिरफ्त में

पढें राजस्थान खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें First Bharat App.

  • Follow us on :