भारत बंद आठ को: आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने भारत बंद से खुद को किया अलग
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बीते एक पखवाड़े से दिल्ली—हरियाणा सीमा पर बड़ा किसान आन्दोलन चल रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों और किसान संगठनों ने इसे समर्थन दिया है। परन्तु आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने इससे दूरी बनाई है। भाकिसं के नेताओं का कहना है जब नौ दिसम्बर को दोनों पक्षों की वार्ता हो रही है तो...
नई दिल्ली | तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बीते एक पखवाड़े से दिल्ली—हरियाणा सीमा पर बड़ा किसान आन्दोलन चल रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों और किसान संगठनों ने इसे समर्थन दिया है। परन्तु आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने इससे दूरी बनाई है। भाकिसं के नेताओं का कहना है जब नौ दिसम्बर को दोनों पक्षों की वार्ता हो रही है तो एक दिन पहले भारत बंद का औचित्य ही नहीं है।
किसान नेता व भारतीय किसान संघ के सिरोही जिला मंत्री सुजान सिंह वड़वज ने बताया कि भारतीय किसान संघ ने अपने बयान में कहा है कि अभी तक किसान आंदोलन अनुशासित चला है। परन्तु ताजा घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि विदेशी ताकतें, राष्ट्रद्रोही तत्व और कुछ राजनीतिक दलों का प्रयास किसान आंदोलन को अराजकता की ओर मोड़ देने में प्रयासरत है। भारतीय किसान संघ की ओर से जारी पत्र में यह भी कहा गया है कि अंदेशा है कि वर्ष 2017 में मंदसौर की घटना न दोहरा दी जाए, जहां छह किसानों की गोलियों से मौत हुई थी। जिन लोगों ने किसानों को हिंसक आंदोलनों में झोंका वे नेता तो विधायक और मंत्री बन गए, परंतु जो जले-मरे उनके परिवार आज बर्बादी का दंश झेल रहे हैं। ऐसे आंदोलन से नुकसान तो देश का और किसानों का ही होता है। इसलिए भारतीय किसान संघ ने भारत बंद से अलग रहने का निर्णय लिया है। आपको बता दें कि किसान आंदोलन की धार तेज करने के लिए यूनियनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया है। केंद्र सरकार से पांच दौर की वार्ता अनिर्णीत रही है। मंगलवार को होने वाली बंदी को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन है। प्रदर्शनकारी किसानों की मूल मांग कृषि क्षेत्र से जुड़े तीनों कानून वापस लेने की है, जिसपर केंद्र सहमत नहीं। हालांकि सरकार कानूनों में कुछ संशोधन के लिए राजी है मगर किसान नेता अड़े हुए हैं। किसानों का आंदोलन मुख्य रूप से दिल्ली-एनसीआर में केंद्रित था, लेकिन अब यह राष्ट्रव्यापी होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के किसानों से भी दिल्ली आने की अपील की गई है।
संगठन ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे जनता को भारत बंद के संबंध में सावधान करते हुए किसी भी प्रकार की अप्रिय वारदात से बचाएं। किसान संघ के सुझाव :
-भारतीय किसान संघ का कहना है कि वह तीनों कानूनों की वापसी नहीं, बल्कि संशोधन के पक्ष में है। एमएसपी से नीचे खरीद न हो, व्यापारियों से किसानों को धनराशि की गारंटी मिले, अलग से कृषि न्यायालयों की स्थापना हो।
- भारतीय किसान संघ ने कहा कि देश की जनता यह भी जान चुकी है कि पंजाब राज्य सरकार के द्वारा पारित वैकल्पिक बिलों में केंद्रीय कानूनों को निरस्त कर पांच जून से पूर्व की स्थिति बहाल करने का प्रावधान किया जा चुका है, फिर भी पंजाब के किसान नेता तीनों बिलों को वापस लिए जाने पर क्यों अड़े हुए हैं।
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