हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसला: इतावली नौसैनिकों पर भारत में चल रहा हत्या का मुकदमा होगा बंद: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने 2012 में केरल के दो मछुआरों की हत्या के मामले में आरोपी इतालवी नौसैनिकों पर भारत में चल रहे अपराधिक मुकदमे को बंद कर के निर्देश दिए है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला केंद्र की याचिका पर विचार करने के बाद लिया है।
नई दिल्ली, एजेंसी।
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने 2012 में केरल के दो मछुआरों की हत्या के मामले में आरोपी इतालवी नौसैनिकों पर भारत में चल रहे अपराधिक मुकदमे को बंद कर के निर्देश दिए है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला केंद्र की याचिका पर विचार करने के बाद लिया है। जानकारी के मुताबिक जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एम आर शाह की अवकाश कालीन पीठ संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत मिले विशेष अधिकार के तहत सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीडि़त परिवार मुआवजे से संतुष्ट है, इसलिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहे मुकदमे को बंद करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इटली द्वारा भुगतान किए गए 10 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि को भी केरल हाईकोर्ट को हस्तांतरित करने का दिया निर्देश दिया है। हाईकोर्ट, पीडि़त परिवारों में मुआवजे का वितरण करेगा। चार-चार करोड़ रुपए दोनों पीडि़त परिवारों को दिए जाएंगे, जबकि नाव के मालिक को दो करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
यह है मामला
साल 2012 में जब मछली पकडऩे की एक नाव सेंटर एंटनी इतालवी टैंकर एरिका लेक्सी के पास से गुजर रही थी। जहाज पर सवार दो इतालवी नौसैनिकों मासिमिलानो लेटोरे और सल्वाटोर गिरोन ने सेंट एंटनी को समुद्री डाकुओं की नाव समझा और उस पर गोली चला दी। इस गोलीबारी में दो भारतीय मछुआरों की मौत हो गई थी। उनका कहना था कि उन्होंने उन्हें समुद्री लुटेरे समझ लिया था।
इटली सरकार का आश्वासन
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 10 करोड़ रुपए का मुआवजा पहले ही इटली सरकार द्वारा दिया जा चुका है।
अंतरराष्ट्रीय कानूनों की वजह से भारत को अपने देश में इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ आपराधिक मामला बंद करना होगा। इटली ने भारत को आश्वासन दिया है कि वो अपने देश में उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलाएगा। आप को बता दें कि बीते नौ साल से ज़्यादा समय से चल रहे इस केस में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले है। पहले मरीन्स की भारत में गिरफ्तारी हुई। इसके बाद फिर उन्हें इटली जाने दिया गया। इसके बाद इटली ने लौटाने से इनकार कर दिया। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में तमाम कानूनों के हवाले से जिरह हुई।
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