फर्जी रजिस्ट्रिेशन मामला,1 और गिरफ्तार: वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन मामले में जयपुर पुलिस ने आरटीओ के इंस्पेक्टर को किया गिरफ्तार
फर्जी रजिस्ट्रेशन के मामले में बुधवार को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के एक इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि पुलिस की गिरफ्त में आए इंस्पेक्टर ने ही फर्जी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में वाहनों का फिजिकल वेरिफिकेशन किया था।
जयपुर।
खोह नागोरियान थाना पुलिस ने वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन के मामले में बुधवार को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के एक इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि पुलिस की गिरफ्त में आए इंस्पेक्टर ने ही फर्जी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में वाहनों का फिजिकल वेरिफिकेशन किया था।
पुलिस के मुताबिक इंस्पेक्टर सतेन्द्र शर्मा को झालाना आरटीओ कार्यालय के बाहर से गिरफ्तार किया गया है। इंस्पेक्टर को पकड़ते ही आरटीओ कार्यालय में हड़कंप मच गया। पुलिस इंस्पेक्टर को गिरफ्तार करने के बाद थाने ले गई, जहां उससे अब पूछताछ की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, अभी पुलिस को इस मामले में अन्य आरटीओ इंस्पेक्टर और बाबूओं की तलाश है, जो इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं। आरटीओ कर्मचारियों के अनुसार किसी वाहन का रजिस्ट्रेशन करवाने से पहले फाइल परिवहन निरीक्षक के पास आती है, जो वाहन का फिजिकल सर्वे करके वाहन मालिक के साथ फोटो करवाता है। उसके बाद फाइल बाबू के पास पहुंचती है, जहां से जरूरी दस्तावेजों की जांच होने के बाद फाइल डीटीओ के पास जाती है।
गत सप्ताह गिरफ्तार किए थे दलाल और कर्मचारी
इस मामले में पुलिस ने करीब एक सप्ताह पहले दो लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें दलाल नजीर अहमद और आरटीओ में काम करने वाला बाबू जहांगीर खान था। ये लोग 45 से ज्यादा बड़े वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाकर फाइनेंस कंपनियों से लोन ले चुके हैं। पुलिस ने बताया कि 2019 में जिला परिवहन अधिकारी जाकिर हुसैन ने रिपोर्ट दर्ज करवाई कि 2018 में एक वाहन के लोन निरस्तीकरण का आवेदन पत्र प्राप्त हुआ, जिसका रजिस्ट्रेशन आरटीओ ऑफिस जगतपुरा में हुआ था। इतने कम समय में लोन समाप्त होने और प्रमाण पत्र लेने का मामला संदिग्ध लगा। उसके जांच करवाई तो वाहन का रजिस्ट्रेशन फर्जी निकला। इसके बाद जुलाई 2018 से जनवरी 2019 तक दस्तावेजों की जांच करवाई तो करीब 45 वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन पाए गए थे। पुलिस जांच में सामने आया कि बदमाश उक्त वाहनों के फर्जी दस्तावेज तैयार करके कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाते हैं। उसके बाद वाहन पर लोन कंपनियों के कर्मचारियों से सांठ-गांठ करके लोन उठा लेते हैं। उसके बाद उन वाहन की झूठी चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवा देते थे।
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