ISRO का ईओएस-03 फेल: इसरो का आसमान में निगहबान तैनात करने का मिशन तकनीकी खराबी के चलते हुआ फेल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का प्रोजेक्ट ईओएस-03 उड़ान भरने के कुछ समय बाद तकनीकी खराबी के चलते फेल हो गया। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गुरुवार सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर जीएसएलवी-एफ 10 के जरिए धरती पर निगरानी रखने वाले उपग्रह ईओएस-03 का प्रक्षेपण किया गया,

इसरो का आसमान में निगहबान तैनात करने का मिशन तकनीकी खराबी के चलते हुआ फेल

नई दिल्ली, एजेंसी। 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का प्रोजेक्ट EOS-03 उड़ान भरने के कुछ समय बाद तकनीकी खराबी के चलते फेल हो गया। श्रीहरिकोटा (Sriharikota) स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से गुरुवार सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर GSLV-F-10 के जरिए धरती पर निगरानी रखने वाले उपग्रह ईओएस-03 का प्रक्षेपण किया गया, लेकिन क्रायोजेनिक इंजन(Cryogenic Engine) में तकनीकी खराबी की वजह से यह मिशन असफल हो गया। मिशन असफल होने के बाद इसरो अध्यक्ष के सिवन ( K Sivan) ने बताया कि प्रक्षेपण के क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी दिक्कतों के कारण इसरो का जीएसएलवी-एफ10/ईओएस-03 मिशन पूरी तरह से पूरा नहीं हो सका। इसके सफल प्रक्षेपण से भारत को काफी फायदा मिलने वाला था। इसे जीएसएलवी-एफ 10 रॉकेट के जरिए भू्-अवलोकन उपग्रह(Earth Observation Satellite) ईओएस-03 के प्रक्षेपण के लिए 26 घंटे की उल्टी गिनती श्रीहरिकोटा में बुधवार को शुरू की गई थी।


2017 के बाद अंतरिक्ष प्रक्षेपण की पहली विफलता
जानकारी के मुताबिक 2017 के बाद से किसी भारतीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण (Indian space launch) में यह पहली विफलता है। इससे पहले इसरो के लगातार 14 मिशन पूर्ण रूप से सफल हुए हैं। फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया(Amazonia)-1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद 2021 में इसरो (ISRO) का यह दूसरा प्रक्षेपण हुआ था।

ईओएस-03 अलग होने से पहले आई खराबी
इसरो से मिली जानकारी के मुताबिक गुरुवार सुबह करीबन 5.43 बजे उपग्रह की सफलता पूर्वक लॉन्चिंग हुई। तय समय के अनुसार सारे स्टेज पूरे होते चले गए। लेकिन आखिरी वक्त EOS -03 के अलग होने से पहले क्रायोजेनिक इंजन(Cryogenic engine) में कुछ तकनीकी खराबी आ गई। इससे इसरो को आंकड़ें मिलने बंद हो गए। इसके बाद इसरो प्रमुख ने ऐलान किया कि यह मिशन आंशिक तौर पर विफल हो गया। वैसे आपको बता दें कि यह प्रक्षेपण मूल रूप से इस साल अप्रैल या मई में ही होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते इसे टाल दिया गया था। 

वास्तविक तस्वीरें उपलब्ध कराने में होता सहायक
EOS-03 अवलोकन उपग्रह देश और इसकी सीमाओं (Borders) की तस्वीरें वास्तविक समय पर उपलब्ध कराएगा और प्राकृतिक आपदाओं की शीघ्र निगरानी भी कर सकेगा। इस अभियान का उद्देश्य नियमित अंतराल पर बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय पर तस्वीरें उपलब्ध कराना, प्राकृतिक आपदाओं की त्वरित निगरानी करना और कृषि, वनीकरण, जल संसाधनों (water resources)तथा आपदा चेतावनी प्रदान करना, चक्रवात की निगरानी करना, बादल फटने आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना था।  यह उपग्रह 10 साल तक सेवा देगा। 

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