राजस्थान राजनीतिक नियुक्तियों पर विवाद: कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक नियुक्तियों में 11 विधायकों को पद देने पर विवाद शुरू, संयम लोढ़ा ने भाजपा पर किया पलटवार

राजस्थान में लंबे इंतजार के बाद हुई राजनीतिक नियुक्तियों पर विवाद शुरू हो गया। राजनीतिक नियुक्तियों में 11 विधायकों को नियुक्तियां देने पर विपक्ष की ओर से सवाल उठाए गए। भाजपा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने विधायकों को बोर्ड, निगम और आयोग में नियुक्ति देने को संविधान के प्रोविजन के खिलाफ बताया। 

कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक नियुक्तियों में 11 विधायकों को पद देने पर विवाद शुरू, संयम लोढ़ा ने भाजपा पर किया पलटवार

जयपुर। 
राजस्थान में लंबे इंतजार के बाद हुई राजनीतिक नियुक्तियों पर विवाद शुरू हो गया। राजनीतिक नियुक्तियों में 11 विधायकों को नियुक्तियां देने पर विपक्ष की ओर से सवाल उठाए गए। 
भाजपा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने विधायकों को बोर्ड, निगम और आयोग में नियुक्ति देने को संविधान के प्रोविजन के खिलाफ बताया। 
वहीं सिरोही विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने इस मामले को लेकर भाजपा पर पलटवार किया। 
भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ ने बताया कि सरकार की ओर से विधायक महादेव सिंह खण्डेला, दीपचंद खैरिया, रफीक खान, खिलाड़ीलाल बैरवा, मेवाराम जैन, हाकम अली खान, लाखन मीणा, जोगिन्द्र सिंह अवाना, कृष्णा पूनिया, लक्ष्मण मीणा, रमीला खड़िया को इन नियुक्तियों में शामिल किया हैं।
इन मामलों को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले आ चुके हैं। विधायकों की ऐसी नियुक्तियों को लाभ का पद मानते हुए अलग से मानदेय या सुविधा नहीं दी जा सकती है। 
राजस्थान सरकार ने आर्टिकल 164 व 194 का उल्लंघन किया है। इस मामले को लेकर कानूनी जानकारी से राय के बाद सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। 
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पांच सितारा होटल में 34 दिन तक सरकार कैद रही। असंतुष्टों को लॉलीपॉप देने के बाद जब सरकार किसी को मंत्री पद नहीं दे पाई तो उन्हें झुनझुना पकड़ा दिया। 
भाजपा के प्रवक्ता व विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि सरकार अवैधानिक व असंवैधानिक काम कर रही है। अगर विधायकों की ये नियुक्तियां गैर कानूनी है तो भाजपा इसका मामला उठाएगी।


इस मामले को लेकर ​मुख्यमंत्री के सलाहकार और सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने भाजपा पर पलटवार किया। लोढ़ा ने कहा कि विधिक परामर्श के बाद ही इन पदों पर नियुक्तियां की गई। 
किसी भी विधायक को मंत्री स्तर का दर्जा नहीं दिया गया। विधायक के अलावा किसी तरह का लाभ का पद नहीं दिया गया। राजेंद्र राठौड़ का बयान पूरी तरह बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित है। 
वहीं इस मामले में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि राजेंद्र राठौड़ को झूठ बोलने की आदत है। 
भाजपा में सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़ तथा गुलाब चंद कटारिया में नेता बनने की होड़ लगी हुई हैं।
 ये नियुक्तियां लाभ के पद में आती है या नहीं आती है। यह हम समझते हैं। सीएम अशोक गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री हैं। कानून कायदे की बातें सीएम को ना समझाएं। 
खाचरियावास ने कहा कि अगर राठौड़ में ज्यादा दम है तो नियम कायदों की बात विधानसभा सदन में टेबल करके आरोप लगाएं।
राजस्थान में जिन विधायकों की राजनीतिक नियुक्तियां हुई हैं। 
उन्हें मंत्री का दर्जा, वेतन-भत्ते देंगे या नहीं देंगे, यह पावर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है।
 वहीं किसान आयोग के अध्यक्ष विधायक महादेव सिंह खंडेला ने कहा कि विरोधियों के पास विरोध के अलावा कुछ बचा ही नहीं।

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