India @ इंडो पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2021: इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2021 में रक्षा मंत्री ने समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक रूप अपनाने का किया आह्वान

भारत अपने समुद्री हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भारत समुद्री प्रणालियों पर आधारित नियमों के रखरखाव का समर्थन करता है, जो समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत आवश्‍यक है।

इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2021 में रक्षा मंत्री ने समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक रूप अपनाने का किया आह्वान

नई दिल्ली, एजेंसी। 
 भारत अपने समुद्री हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भारत समुद्री प्रणालियों पर आधारित नियमों के रखरखाव का समर्थन करता है, जो समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत आवश्‍यक है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 27 से 29 अक्टूबर 2021 तक वर्चुअली आयोजित हो रहे इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2021 के अवसर पर अपने संबोधन में यह बात कहीं। रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि भारत समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन 1982 में निर्धारित किए गए सभी देशों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र सम्मेल के शासनादेश के रूप में कानून आधारित समुद्री प्रणालियों के रखरखाव का समर्थन करते हुए अपने क्षेत्रीय जल और विशेष आर्थिक क्षेत्र के संबंध में अपने देश के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करने के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। सिंह ने कहा कि समुद्र माल की ढुलाई, विचारों के आदान-प्रदान, नवाचारों को उत्प्रेरित करने और दुनिया को नजदीक लाने में अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इंडो-पैसिफिक की विविधता इसकी विशेषता है, जिसमें संस्कृतियों, जातियों, आर्थिक मॉडलों, शासन प्रणालियों और विभिन्न आकांक्षाओं की बहुलता है। महासागर सामान्य बंधन की कड़ी बने हुए हैं। राजनाथ सिंह ने समृद्धि के स्थिर मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए इंडो-पैसिफिक की समुद्री क्षमता का कुशल और सहयोगी उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
समुद्र मानव जाति के पालन पोषण में सहायक
रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां समुद्र मानव जाति के पालन-पोषण और विकास के लिए अनेक अवसर प्रदान करते हैं, वहीं वे आतंकवाद, समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां भी पेश करते हैं। उन्होंने इन चुनौतियों के लिए सहयोगी प्रतिक्रिया का आह्वान किया और कहा कि इसके काफी अंतर्राष्‍ट्रीय निहितार्थ हैं। समुद्री मुद्दों पर हितों और समानता के समावेश का पता लगाने की जरूरत है। आईपीआरडी 2021 के व्यापक विषय ‘21वीं सदी के दौरान समुद्री रणनीति का विकास अनिवार्यताएं, चुनौतियां और आगे का मार्ग’ के बारे में राजनाथ सिंह ने कहा कि यह इस क्षेत्र के अतीत पर आधारित है जो वर्तमान का आकलन करते हुए इन सिद्धांतों पर आ जाता है कि यह भविष्य के लिए समुद्री रणनीतियों की नींव स्‍थापित करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह वार्ता इंडो-पैसिफिक के लिए देश के साझा और सामूहिक विजन को आगे बढ़ाएगी। वह उन सिफारिशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो इस आयोजन में हुए विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप प्राप्त होंगी। इस उद्घाटन सत्र के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, पूर्व नौसेना प्रमुख एवं अध्‍यक्ष राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन के अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा (सेवानिवृत्त), विभिन्न देशों के क्षेत्र विशेषज्ञ और नीति निर्माता वर्चुअल रूप से उपस्थित थे।

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