Jalore के कारीगरों ने तैयार किया दरवाजा: Kashi Vishwanath Temple में जालोर रामसीन के कारीगरों ने तैयार किए मुख्य दरवाजे, सागवान की लकड़ी से तैयार 3 टन वजनी मुख्य दरवाजा

3 हजार किलोग्राम वजनी मुख्य दरवाजा भी लोगों को आकर्षित कर रहा है और मंदिर परिसर में प्रवेश के साथ ही यह दरवाजा राजस्थान की भी याद दिला रहा है। आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ के इस मंदिर में लगने वाले सभी 6 दरवाजे राजस्थान के ही कारीगरों ने तैयार किए है।

जालोर। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह काशी विश्वनाथ कॉरिडोर राष्ट्र को समर्पित कर दिया।
हजारों संतों और विशिष्ट लोगों की उपस्थिति में बाबा के धाम में बना कॉरिडोर भक्तों के लिए खोल दिया। 
बाबा के धाम में अब काशी की वास्तुकला के साथ आध्यात्मिक भाव को अभिव्यक्ति देने वाली मेहराबें, बेलबूटेदार दीवारें और स्तंभों के बीच नक्काशीदार प्रस्तर जालियां वास्तु देव के अंग-प्रत्यंग के रूप में छाप छोड़ रही हैं। 
लेकिन इन सब के बीच बाबा के दरबार में कुछ खास नजर आ रहा है तो वह काशी विश्वनाथ मंदिर का मुख्य दरवाजा भी है। 
जी हां, 3 हजार किलोग्राम वजनी मुख्य दरवाजा भी लोगों को आकर्षित कर रहा है और मंदिर परिसर में प्रवेश के साथ ही यह दरवाजा राजस्थान की भी याद दिला रहा है।

राजस्थानी की कारीगरी को स्वयं मोदी ने भी कई देर तक निहारा और कारीगरों की तारीफ भी की।


आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ के इस मंदिर में लगने वाले सभी 6 दरवाजे राजस्थान के ही कारीगरों ने तैयार किए है। 
इनता ही नहीं, इन दरवाजों के लिए जालोर के रामसीन के कारीगरों ने करीबन दो माह तक हर रोज 18—18 घंटे तक काम कर तैयार किया हैं। आइए इन कारीगरों से ही जानते है उनके कार्य की अदभुत कारीगरी:—

रामसीन के शिवम आर्ट के का​रीगरों का कार्य
काशी विश्वनाथ मंदिर के दरवाजे जालोर के रामसीन स्थित शिवम आर्ट के कारीगरों ने बनाए है। 
शिवम आर्ट के कालूराम सुथार ने बताया कि हमारे 30 से 35 कारीगरों ने हर रोज 18—18 घंटे काम कर बाबा मंदिर के लिए दरवाजे बनाए हैं।


शिवम आर्ट वर्कशॉप में ही काशी विश्वनाथ मंदिर के 6 दरवाजे बनाए गए है। इनमें 2 दरवाजे तो मुख्य गेट के है। 
एक तो दरवाजा 4 नंबर गेट का और दूसरा दरवाजा घाटवाला दरवाजा है। इन दोनों ही दरवाजों में करीनब 3—3 टन वजन है। बाकी 4 परिसर दरवाजे बनाए गए है।
 
1300 किलोमीटर दूर तैयार होकर पहुंचाए वाराणसी
कालूराम सुथार ने बताया कि सागवान लकड़ी से बनाए गए सभी दरवाजे जालोर के रामसीन से वाराणसी पहुंचाए गए। 
रामसीन से वाराणसी 1300 किलोमीटर का सफर तीन से चार दिन लग गए। इसके बाद वहां इन दरवाजों को लगाने में करीबन ढाई माह लग गए।


8 दिसंबर तक हमारे कारीगरों ने इन दरवाजों को तैयार कर मंदिर प्रशासन को सुपुर्द कर दिया। 
मुख्य दरवाजा 23 फीट ऊंचा और 16 फीट चौड़ा
कालूराम सुथार ने बताया कि यहां लगे 2 मुख्य दरवाजों की ऊंचाई 23 फीट है। जबकि इनकी चौड़ाई 16 फीट है। 
इस मुख्य दरवाजे का एक पलड़ा 8 फीट चौड़ा हैं। इस मुख्य दरवाजे में एक छोटा गेट बनाया गया है। इसकी ऊंचाई 6.5 फीट की है। 
जबकि इस दरवाजे में 108 चौपड़ या फूल बनाए गए है। प्रत्येक फूल 2 गुणा 2 साइज का बना हुआ है। इसमें एक पीतल की कटौरियां लगी हुई। 

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